प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रविवार को मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत और चीन के बीच लंबे समय तक विकास और प्रगति के लिए बातचीत की। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रिश्तों पर चर्चा की, जो भविष्य में सहयोग को और मजबूत करेगी। उन्होंने कहा कि स्थिर और दोस्ताना भारत-चीन रिश्ते दोनों देशों के 2.8 अरब लोगों के लिए फायदेमंद होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी इस समय चीन के तियानजिन शहर में हैं। वे 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चलने वाले 25वें शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। इस दो दिवसीय दौरे के दौरान वे मुख्य सत्रों में शामिल होंगे। साथ ही, कई देशों के नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकें भी करेंगे।
राष्ट्रपति शी ने भारत-चीन रिश्तों को बेहतर करने के लिए चार प्रस्ताव रखे। वहीं, पीएम मोदी ने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शांति से ही दोनों देशों के रिश्ते लगातार बेहतर हो सकते हैं। मिस्री ने बताया कि दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि मतभेदों को विवाद में नहीं बदलना चाहिए।
दोनों नेताओं ने व्यापार और आर्थिक सहयोग पर भी बात की। उन्होंने माना कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक व्यापार को स्थिर करने में बड़ी भूमिका निभाती हैं। उन्होंने व्यापार और निवेश को बढ़ाने की जरूरत बताई। साथ ही, व्यापार घाटे को कम करने पर भी ध्यान देने की बात कही। इसके अलावा, लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए सीधी उड़ानें शुरू करने और वीजा प्रक्रिया को आसान करने पर सहमति बनी। कैलाश मानसरोवर यात्रा और पर्यटक वीजा फिर से शुरू होने से इस दिशा में कदम उठ चुके हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन दोनों ही रणनीतिक स्वायत्तता के रास्ते पर चलते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत-चीन रिश्तों को किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। दोनों नेताओं ने आतंकवाद जैसे वैश्विक मुद्दों और बहुपक्षीय मंचों पर निष्पक्ष व्यापार की जरूरत पर भी बात की।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति शी को 2026 में भारत में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में आने का न्योता दिया। शी ने न्योते के लिए शुक्रिया अदा किया और भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता को समर्थन देने का भरोसा दिया।