अमेरिका द्वारा भारत पर 27 प्रतिशत शुल्क लगाने का मुद्दा गुरुवार को संसद में गूंजा। सत्तारूढ़ राजग के घटकों समेत विभिन्न दलों ने यह मुद्दा उठाया। इसके अलावा पूरे देश में कांग्रेस, वाम दलों और शिवसेना (उद्धव) आदि अनेक दलों ने मांग की कि सरकार उद्योग और कृषि क्षेत्र को बचाने के लिए क्या योजना बना रही है। दूसरी ओर, संघ परिवार से संबद्ध संगठनों ने कहा कि केंद्र किसानों और छोटे उद्योगों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
लोक सभा में शून्यकाल के दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पूछा कि सरकार अमेरिकी टैरिफ से भारतीय उद्योग की रक्षा के लिए क्या योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि यह टैरिफ देश की अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से ऑटो, फार्मास्यूटिकल्स और कृषि जैसे क्षेत्रों को पूरी तरह से तबाह कर देगा। गांधी ने कहा कि विदेश नीति दूसरे देशों के लिए है। एक तरफ आपने चीन को हमारी 4,000 वर्ग किलोमीटर भूमि दे दी है, दूसरी ओर अमेरिका ने अचानक हम पर शुल्क लगाने का फैसला कर लिया है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को जवाब देना होगा कि वह इस बारे में क्या कर रही है।
राज्य सभा में आप सांसद राघव चड्ढा ने सुझाव दिया कि सरकार को अरबपति ईलॉन मस्क की स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं को दी गई मंजूरी का इस्तेमाल 27 प्रतिशत शुल्क पर दोबारा बातचीत करने के लिए करना चाहिए। इस पर संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, ‘देश के हर उपभोक्ता को विश्व का प्रत्येक अवसर और उपलब्ध टेक्नॉलजी प्रदान करना मेरा काम है।’ मंत्री ने बताया कि सरकार ने पहले ही सैटेलाइट टेक्नॉलजी के लिए दो भारतीय कंपनियों रिलायंस और भारती एयरटेल को दो लाइसेंस दे दिए हैं।
केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन में साझेदार तेदेपा के सांसद लावू श्री कृष्णा ने लोक सभा में आंध्र प्रदेश के 8,00,000 किसानों की रक्षा करने की मांग उठाई। यहां के सी-फूड के अमेरिका के 27 प्रतिशत शुल्क से प्रभावित होने की आंशका है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि उसे उम्मीद है कि सरकार देश की कृषि, डेरी और छोटे उद्योगों की रक्षा के लिए संगठन की मांग पर ध्यान देगी।
मुंबई में संवाददाता सम्मेलन में शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि केंद्र को अमेरिकी टैरिफ के संभावित खतरे से निपटने के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में लोगों को विश्वास में लेना चाहिए था और संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए थी। मदुरै में सीपीआई (एम) की वृंदा करात ने अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्कों पर कथित रूप से चुप्पी साधने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार की कड़ी आलोचना की।
दूसरी ओर, सरकार की ओर से आई शुरुआती प्रतिक्रियाओं में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि भारत अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्क और देश पर इसके प्रभाव का आकलन कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘डॉनल्ड ट्रंप के लिए ‘अमेरिका फर्स्ट’ है, लेकिन मोदी के लिए ‘इंडिया फर्स्ट’ है। हम अमेरिका द्वारा लगाए गए जवाबी शुल्कों के प्रभाव का आकलन कर रहे हैं।’