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ये है कारोबार की कला या फिर कला का कारोबार

Last Updated- December 06, 2022 | 1:02 AM IST

बदलाव प्रकृति का नियम है। वक्त की रफ्तार के साथ कदमताल करने की चाहत में अक्सर बहुत सी चीजें पीछे छूट जाती हैं लेकिन धुन के पक्के कुछ लोग पुरानी चीजों से वक्त की धूल झाड़ कर नए जमाने को उनकी अहमियत का अहसास कराते हैं।


रूस में पुरानी पेंटिंग्स को लोगों तक लाने का ऐसा ही बीड़ा उठाया है रूसी कलाकार इल्या काबाकोव ने और उनका साथ दे रहे हैं अरबपति मिखाइल प्रोख्रोव। दूसरे विश्वयुध्दोत्तर काल के नामी गिरामी रूसी कलाकार काबाकोव पुराने कलाकारों की बनाई तस्वीरों की प्रदर्शनी लगाने जा रहे हैं।
 
काबाकोव का यह प्रयास अपने आप में अनूठा है क्योंकि रूस में यह पहली मौका होगा जब इस तरह की कोई प्रदर्शनी लगाई जा रही है। इस काम के लिए मिखाइल फाउंडेशन 2 करोड़ डॉलर देगा।74 साल के काबाकोव रूस में पनपे वैचारिक कला आंदोलन के प्रणेता रहे हैं। हालांकि सरकार ने इस तरह के किसी भी गैर सरकारी कला आंदोलन को दबाने के पूरे प्रयास किए थे। 1989 में काबाकोव ने अपनी पत्नी एमिलिया के साथ मिलकर इस दिशा में काम करना शुरू किया था।


मॉस्को में लगाई जाने वाली यह प्रदर्शनी पुश्किन म्यूजियम ऑफ फाइन आट्र्स में 15 सितंबर से खोल दी जाएगी। 15 अक्तूबर तक चलने वाली यह प्रदर्शनी एक साथ तीन अलग अलग जगह पर लगेगी। इन स्थानों में हाल ही में दुरुस्त किया गया वह बस डिपो भी शामिल है जिसे 1920 में प्रमुख वास्तुशिल्पी कॉन्सटैनटिन मेलनिकोव ने बनाया था।


मिखाइल प्रोख्रोव फाउंडेशन की प्रवक्ता नतालिया फेदियानीना कहती हैं कि फाउंडेशन काबाकोव के इस काम के लिए 2 करोड़ डॉलर मुहैया करा रही है। काबाकोव की पत्नी एमिलिया काबाकोव ने बताया कि इस प्रदर्शनी में 150 पेंटिग्स, ड्राइंग और दूसरी वस्तुएं रखी जाएंगी।

First Published - May 1, 2008 | 9:43 PM IST

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