अंतरराष्ट्रीय व्यापार में पिछले एक साल से चल रही सुस्ती के बाद 2024 में स्थिति बेहतर रहने की उम्मीद है, हालांकि भू-राजनीतिक अनिश्चितता से जुड़ी चिंता बरकरार है। यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड ऐंड डेवलपमेंट (अंकटाड) ने अपनी ताजा वैश्विक व्यापार रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए आगाह किया है कि लाल सागर, काला सागर और पनामा नहर होकर गुजरने वाले मालवाहक जहाजों की आवाजाही में व्यवधान से जो लॉजिस्टिक्स से जुड़ी चुनौतियां पैदा हुई हैं उनसे आशावादी परिदृश्य में व्यवधान आ सकता है। इन चुनौतियों से लागत बढ़ सकती है और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान आ सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘2024 के लिए अनुमान अधिक आशावादी है। कुल मिलाकर वैश्विक स्तर पर महंगाई दर में नरमी और आर्थिक विकास के पूर्वानुमानों में सुधार से गिरावट के रुझान में बदलाव के संकेत मिलते हैं। साथ ही पर्यावरण की बेहतरी को लेकर उभरती मांग से 2024 में व्यापार को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि 2024 में वैश्विक व्यापार की स्थिति कुछ उल्लेखनीय अनिश्चितताओं से जुड़ी है।’
साल 2023 में वैश्विक व्यापार में 3 फीसदी की कमी आई थी, जो मोटे तौर पर 1 लाख करोड़ डॉलर के बराबर है। एक साल पहले 32 लाख करोड़ डॉलर का रिकॉर्ड कारोबार हुआ था। 2023 में सेवा क्षेत्र में पिछले साल की तुलना में 8 फीसदी वृद्धि हुई थी, जबकि वस्तुओं के व्यापार में 2022 की तुलना में 5 फीसदी की कमी आई थी।
तिमाही आंकड़ों से संकेत मिलते हैं कि चीन और भारत सहित कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि हुई है। इसमें कहा गया है, ‘कुल मिलाकर सालाना और तिमाही आंकड़ों से संकेत मिलते हैं कि कुछ अर्थव्यवस्थाओं में उल्लेखीय सुधार हुआ है। बहरहाल 2023 में कुल मिलाकर आंकड़े ऋणात्मक रहे हैं।’
भारत के वाणिज्यिक व्यापार में 2023 की अंतिम तिमाही में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 5 फीसदी वृद्धि हुई है। हालांकि सालाना आधार पर निर्यात वृद्धि में 6 फीसदी की कमी आई है। 2023 की अंतिम तिमाही में सेवाओं का निर्यात पिछले साल की समान अवधि के बराबर ही रहा है। वहीं पूरे साल 2023 में भारत से सेवाओं का निर्यात 14 फीसदी बढ़ा है।