मजबूत आर्थिक महाशक्ति के तौर पर अमेरिका की लंबे समय से चली आ रही अवधारणा 21वीं सदी के आते आते फीकी पड़ने लगेगी। गोल्डमैन सैक्स ने अनुमान जताया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजार वैश्विक तौर पर वर्ष 2050 तक शीर्ष-5 में शामिल होंगे और 2075 तक अमेरिका को भी पीछे छोड़ने में कामयाब रहेंगे।
एक अमेरिकी बैंक ने रिपोर्ट ‘द पाथ टु 2075: कैपिटल मार्केट साइज ऐंड अपॉर्च्युनिटी’ में कहा है कि उभरते बाजारों (EM) में वृद्धि विकसित बाजारों (DM) के मुकाबले तेज बनी रहेगी और वर्ष 2075 में तक शीर्ष-10 विश्व अर्थव्यवस्थाओं में से सात ईएम से जुड़ी होंगी।
गोल्डमैन सैक्स में मुख्य अर्थशास्त्री और वैश्विक निवेश शोध के प्रमुख जैन हैटजियस का कहना है, ‘हमें अनुमान है कि EM वृद्धि इस दशक के शेष समय के दौरान DM के मुकाबले मजबूत (1.8 प्रतिशत के मुकाबले 3.8 प्रतिशत) बनी रहेगी। वर्ष 2050 में, हमारा मानना है कि दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं चीन, अमेरिका, भारत, इंडोनेशिया, और जर्मनी होंगी। वर्ष 2075 तक, चीन अमेरिका और भारत तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के तौर पर बने रहने की संभावना है और सही नीतियों तथा संस्थानों के साथ दुनिया की शीर्ष-10 अर्थव्यवस्थाओं में से 7 ईएम से हो सकती हैं।’
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शानदार आर्थिक वृद्धि की मदद से, आने वाले दशकों में EM और भारतीय पूंजी बाजारों की हैसियत मजबूत होने का अनुमान है।
हैटजियस का मानना है, ‘हमारे अनुमार के अनुसार, वैश्विक इक्विटी बाजार पूंजीकरण (एम-कैप) में EM की भागीदारी मौजूदा करीब 27 प्रतिशत से बढ़कर 2030 में 35 प्रतिशत, 2050 में 47 प्रतिशत और 2075 में 55 प्रतिशत हो जाएगी।’