रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बुधवार को कहा कि अनिश्चितताएं बढ़ने और चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार ठोस रहा है और यह सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
दास ने RBI की छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा है कि वित्तीय स्थिरता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है और वित्तीय प्रणाली के सभी पक्षों को इसे कायम रखने के लिए काम करना चाहिए।
केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा, ‘रिजर्व बैंक और अन्य वित्तीय नियामकों को संभावित एवं उभरती चुनौतियों को देखते हुए वित्तीय स्थिरता बचाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता कायम रखनी होगी।’
उन्होंने कहा कि आज के वैश्विक परिदृश्य में वृहद-आर्थिक एवं वित्तीय स्थिरता को कायम रखना, नीतिगत दुविधाओं के बीच संतुलन साधना और टिकाऊ वृद्धि को समर्थन देना दुनिया भर के नीति-निर्माताओं के लिए शीर्ष प्राथमिकताएं हैं।
दास ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्था ने लगातार कई झटकों का सामना किया है। इनमें कोविड-19 महामारी, भू-राजनीतिक अस्थिरता, मौद्रिक नीति में तीव्र गति से बदलाव और हाल में आया बैंकिंग संकट भी शामिल है।
दिसंबर, 2022 में पिछली वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट आने के बाद से वैश्विक और भारतीय वित्तीय प्रणालियां कमोबेश अलग-अलग राह पर चलती नजर आई हैं।
वैश्विक स्तर पर जहां अमेरिका एवं ब्रिटेन में बैंकों का संकट गहराने से तनाव की स्थिति है वहीं भारत स्थिर और मजबूत बना रहा है।
दास ने कहा कि बैंकों और कंपनियों दोनों के बहीखाते मजबूत हुए हैं जो कि वृद्धि के लिए लाभ की स्थिति पैदा करती है। प्रौद्योगिकी की मदद और डिजिटलीकरण बढ़ने से वित्तीय मध्यस्थता की पहुंच और पकड़ बढ़ी है। इससे वृद्धि और वित्तीय समावेश के लिए नए अवसर पैदा होते हैं।
हालांकि उन्होंने विकसित अर्थव्यवस्थाओं में पैदा हुए बैंकिंग संकट का जिक्र करते हुए कहा कि वित्तीय क्षेत्र के नियमन से संबंधित वैश्विक मानदंडों पर नए सिरे से ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अच्छे वक्त में जोखिमों को नजरअंदाज करने पर कमजोरी के बीज पड़ जाते हैं।