भारत ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) समूह का पूर्ण सदस्य बनने के पाकिस्तान के प्रयास का विरोध कर सकता है, क्योंकि भारत इसे उभरती बाजार वाली अर्थव्यवस्थाओं के समूह के रूप में रखना चाहता है।
रूस ने सोमवार को ब्रिक्स देशों की अध्यक्षता संभाली है। इसका उद्देश्य ‘समान वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना’ रखा गया है। रूस की अध्यक्षता में पाकिस्तान ने ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए रूस से मदद मांगी है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘निश्चित रूप से ब्रिक्स में पाकिस्तान की सदस्यता का हम विरोध करेंगे। इसका मूल चरित्र उभरते बाजार वाली अर्थव्यवस्थाओं से बना समूह होना है, जो खत्म नहीं किया जाना चाहिए। अगर हम इसमें सबको ले लेंगे, तो वह चरित्र खत्म हो जाएगा।
पाकिस्तान ब्रिक्स में कोई अंशदान नहीं करेगा और राजनीतिक मसले इसे सुस्त बना देंगे, हालांकि ब्रिक्स के मंचों पर द्विपक्षीय मसलों की चर्चा की अनुमति नहीं होती। नए सदस्य को शामिल करने पर फैसला आम राय से होना है, ऐसे में हमें विश्वास है कि पाकिस्तान की चाल विफल हो जाएगी।’
ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालते हुए 1 जनवरी को रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स में शामिल साझेदार देशों के साथ रूस नए तरीके से कामकाज पर विचार करेगा। उन्होंने कहा, ‘बेशक हम इस पर विचार करेंगे कि करीब 30 देश किसी न किसी तरीके से ब्रिक्स के बहुआयामी एजेंडे में शामिल होने के लिए किस हद तक तैयार हैं। इसके लिए हम ब्रिक्स भागीदार देशों की एक नई श्रेणी के तौर तरीकों पर काम करना शुरू करेंगे।’
1 जनवरी को मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ब्रिक्स समूह में शामिल हो गए, जिससे यह 10 देशों का समूह बन गया है, जबकि अर्जेंटीना इस समूह में शामिल होने की योजना से पीछे हट गया है।
भारत और पाकिस्तान दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) और शांघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) के सदस्य हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेदों के कारण इस समय दक्षेस निष्क्रिय है, जबकि एससीओ की हाल की बैठक के दौरान दक्षिण एशिया के ये पड़ोसी देश आपस में भिड़ गए थे।
दक्षेस का 19वां सम्मेलन 2016 में पाकिस्तान में होना था। भारत, अफगानिस्तान, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका ने इसके बहिष्कार का फैसला किया, जिससे इसे टालना पड़ा। इसके बाद बैठकें नहीं हो सकीं क्योंकि बैठक के स्थल को लेकर आम राय नहीं बन पाई।
पिछले साल भारत की अध्यक्षता में हुई एससीओ की बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के बीच आतंकवाद और जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने को लेकर बहस हो गई थी।
जरदारी ने कहा कि भारत को द्विपक्षीय बातचीत के लिए माहौल बनाना चाहिए, जबकि जयशंकर ने उन्हें ‘आतंकवाद उद्योग का प्रवक्ता’ करार दिया था। एससीओ के विदेश मंत्रियों की गोवा में पिछले साल मई में हुई बैठक में जयशंकर ने कहा, ‘आतंकवाद के पीड़ित इसके अपराधियों के साथ मिलकर आतंकवाद पर चर्चा नहीं कर सकते हैं।’
अनुच्छेद 370 हटाकर अगस्त 2019 में भारत ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया। इसके बाद दोनों पड़ोसी देशों के रिश्तों में और तल्खी आ गई। इसके बाद इमरान खान सरकार ने भारत के साथ हर तरह का व्यापार निलंबित करने का फैसला किया।
भारत ने फरवरी 2019 में पाकिस्तान का सबसे पसंदीदा देश (एमएफएन) का दर्जा खत्म कर दिया था और पुलुवामा हमले के बाद से पाकिस्तान से होने वाले सभी आयात पर 200 प्रतिशत शुल्क लगा दिया।
हालांकि भारत ने पाकिस्तान से होने वाले आयात या निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया। दोनों देशों के बीच कारोबार वित्त वर्ष 2019 में करीब 2.6 अरब डॉलर का था, जो वित्त वर्ष 2023 में घटकर 64.7 करोड़ डॉलर रह गया। पाकिस्तान से भारत में बहुत मामूली आयात होता है।