नीति आयोग ने सोमवार को कहा कि अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले ज्यादातर उत्पादों के मामले में भारत को अपने प्रमुख प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बढ़त हासिल है। आयोग ने कहा कि अमेरिका द्वारा अपने प्रमुख व्यापार साझेदारों पर शुल्क बढ़ाए जाने से भारत को बाजार में अधिक हिस्सेदारी मिलने की संभावना है।
अपनी तिमाही व्यापार रिपोर्ट में नीति आयोग ने कहा है कि सरकार को भारत अमेरिका एफटीए पर तेजी से काम करने की जरूरत है, जिसमें गैर शुल्क बाधाओं, डेटा की आवाजाही पर डिजिटल व्यापार के नियम और सेवाओं के निर्यात के लिए ई-हस्ताक्षर जैसे मसलों के समाधान के लिए समयबद्ध लक्ष्य तय किए जाने चाहिए। नीति आयोग का आकलन इस धारणा पर आधारित है कि भारत पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा तथा चीन, मेक्सिको और कनाडा जैसे प्रतिस्पर्धी देशों सहित कई अन्य देशों पर 20-50 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा। केंद्र के नीतिगत थिंक टैंक के मुताबिक एचएस4 स्तर के शीर्ष 100 उत्पादों में से 80 उत्पादों पर भारत के प्रतिस्पर्धियों को भारत की तुलना में अधिक शुल्क का सामना करना पड़ेगा। इन उत्पादों की अमेरिका को भारत के निर्यात और कुल अमेरिकी आयात में महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी है।
इन उत्पादों की भारत के अमेरिका को कुल निर्यात में 22 प्रतिशत हिस्सेदारी हैं, जिसका निर्यात मूल्य 17.66 अरब डॉलर है। आयोग ने कहा खासकर 63 (अन्य निर्मित वस्त्र उत्पाद), 85 (विद्युत मशीनरी और उपकरण) और 84 (परमाणु रिएक्टर, मशीनरी और पुर्जे) जैसे क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धी निर्यातकों को ज्यादा शुल्क का सामना करना पड़ेगा और ऐसी स्थिति में भारत को निर्यात बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका मिलेगा। 2024 में भारत का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय वस्तु व्यापार 123.8 अरब डॉलर था, जिसमें भारत 37.7 अरब डॉलर व्यापार अधिशेष की स्थिति में है।