facebookmetapixel
ऑनलाइन गेमिंग बैन का असर! Dream11 और MPL जैसी कंपनियां यूनिकॉर्न लिस्ट से बाहर, वैल्यूएशन गिरीअमेरिकी टैरिफ से भारतीय होम टेक्सटाइल उद्योग पर संकट, 5-10% आय घटने का अंदेशा: क्रिसिल रेटिंग्सE20 पेट्रोल सेफ, लेकिन इसके इस्तेमाल से घट सकता है माइलेज और एक्सेलेरेशन: महिंद्रा ऑटो CEOFlexi Cap Funds का जलवा, 5 साल में ₹1 लाख के बनाए ₹3 लाख से ज्यादा; हर साल मिला 29% तक रिटर्नTerm Insurance Premiums: अभी नए युवाओं के लिए कौन सा टर्म इंश्योरेेंस प्लान सबसे बेहतर है?Reliance Jio के यूजर्स दें ध्यान! इन प्लान्स के साथ मिलेंगे Netflix, Amazon और JioHotstar फ्री, जानें डिटेल्सअगस्त में Equity MF में निवेश 22% घटकर ₹33,430 करोड़ पर आया, SIP इनफ्लो भी घटाटाटा शेयर को मिलेगा Gen-Z का बूस्ट! ब्रोकरेज की सलाह- खरीदें, 36% अपसाइड का ​टारगेटJ&K के किसानों को बड़ी राहत! अब रेलवे कश्मीर से सीधे दिल्ली पार्सल वैन से पहुंचाएगा सेब, ‍13 सितंबर से सेवा शुरूITR Filing 2025: क्या इनकम टैक्स रिटर्न में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड से हुई आय के बारे में बताना जरूरी है?

यदि भारत-पाक युध्द हुआ, तो दोनों देश किन-किन परमाणु प्रतिष्ठान पर अटैक नहीं करेंगे…पढ़े क्या है सारा मामला

प्रत्येक पक्ष को प्रत्येक कैलेंडर वर्ष की 1 जनवरी तक परमाणु प्रतिष्ठानों- सुविधाओं के सटीक स्थानों (अक्षांश और देशांतर) के बारे में दूसरे को सूचित करना होगा।

Last Updated- January 01, 2025 | 8:07 PM IST
India Pakistan

भारत और पाकिस्तान ने नए साल के पहले दिन नई दिल्ली और इस्लामाबाद में राजनयिक माध्यमों से एक साथ भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं पर हमले के निषेध पर समझौते के अंतर्गत आने वाले परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की सूची का आदान-प्रदान किया। 31 दिसंबर 1988 को हस्ताक्षरित और 27 जनवरी 1991 को लागू हुए इस समझौते में अन्य बातों के साथ-साथ यह प्रावधान है कि भारत और पाकिस्तान प्रत्येक कैलेंडर वर्ष की पहली जनवरी को समझौते के अंतर्गत आने वाले परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के बारे में एक-दूसरे को सूचित करेंगे। दोनों देशों के बीच ऐसी सूचियों का यह लगातार 34वां आदान-प्रदान है, पहला आदान-प्रदान 1 जनवरी 1992 को हुआ था।

यूनिवर्सिटी दिनों के दोस्त रहे राजीव गांधी- बेनजीर भुट्टों ने किए थे हस्ताक्षर

परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के विरुद्ध हमले के निषेध पर समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय संधि है जिसका उद्देश्य परमाणु हथियारों को कम करना और एक दूसरे की परमाणु सुविधाओं पर हमलों को रोकना है, इस पर 31 दिसंबर, 1988 को इस्लामाबाद, पाकिस्तान में हस्ताक्षर किए गए थे, और ये समझौता 27 जनवरी, 1991 से भारत-पाकिस्तान, दोनों देशों पर लागू हुआ है।

भारत-पाकिस्तान के बीच इस ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर उस वक्त दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने किए थे। Interesting fact ये है कि भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और तब की पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो, दोनों ही इंग्लैण्ड के दिनों में साथ पढ़ा करते थे, और एक-दूसरे को अच्छे तरह से जानते थे। इस समझौते में मध्यस्थ की भूमिका दोनों देशों के विज्ञान मंत्रालयों ने निभाई थी, वही इस समझौते में वार्ताकार की भूमिका में भारत-पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय रहे थे।

क्या है भारत-पाकिस्तान के बीच का ये समझौता

भारत-पाकिस्तान गैर-हमला समझौता एक अनूठा द्विपक्षीय समझौता है जो एक तरह से जिनेवा कन्वेंशन के पहले और दूसरे प्रोटोकॉल के अनुच्छेद 56 और 15 के दायरे का विस्तार करता है। इन अनुच्छेदों में कहा गया है, “खतरनाक ताकतों वाले निर्माण या प्रतिष्ठानों, जैसे कि बांध, तटबंध और परमाणु विद्युत उत्पादन स्टेशन, पर हमला नहीं किया जाएगा, भले ही ये वस्तुएं सैन्य उद्देश्य हों, अगर ऐसे हमले से खतरनाक ताकतें निकल सकती हैं और परिणामस्वरूप नागरिक आबादी को भारी नुकसान हो सकता है।”

इस समझौते के तहत भारत-पाकिस्तान प्रत्येक वर्ष 1 जनवरी को दूसरे देश को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के बारे में सूचित करना होगा। ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचना होगा जो दूसरे देश के परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं को नुकसान पहुंचा सकती है या नष्ट कर सकती है। समझौते में प्रत्येक देश में किसी भी परमाणु प्रतिष्ठान या सुविधा को नष्ट करने या नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी कार्रवाई को करने, प्रोत्साहित करने या उसमें भाग लेने से परहेज करने का प्रावधान है। यह एक परमाणु प्रतिष्ठान या सुविधा का वर्णन करता है और प्रत्येक पक्ष को प्रत्येक कैलेंडर वर्ष की 1 जनवरी तक और जब भी कोई परिवर्तन होता है, प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के सटीक स्थानों (अक्षांश और देशांतर) के बारे में दूसरे को सूचित करने की आवश्यकता होती है। समझौते में परमाणु-संबंधी गतिविधियों के विस्तृत खुलासे का प्रावधान नहीं है।

समझौते में उन परमाणु प्रतिष्ठानों या सुविधाओं को परिभाषित किया गया है, जिनके विरुद्ध हमला निषिद्ध है, जैसे कि “परमाणु ऊर्जा और अनुसंधान रिएक्टर, ईंधन निर्माण, यूरेनियम संवर्धन, आइसोटोप पृथक्करण और पुनर्संसाधन सुविधाएं, साथ ही किसी भी रूप में ताजा या विकिरणित परमाणु ईंधन और सामग्री वाले अन्य प्रतिष्ठान और रेडियोधर्मी सामग्री की महत्वपूर्ण मात्रा को संग्रहीत करने वाले प्रतिष्ठान।”

इस समझौते को क्षेत्र में परमाणु जोखिम को कम करने के लिए रूपरेखा का एक महत्वपूर्ण घटक माना जाता है। हालांकि यह दोनों देशों के बीच संघर्ष और विश्वास के अंतर्निहित मुद्दों को हल नहीं करता है, लेकिन इसे दक्षिण एशिया में स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जाता है।

भारत ने लगातार नागरिक और आर्थिक लक्ष्यों पर गैर-हमला शामिल करने के लिए समझौते का विस्तार करने का प्रस्ताव दिया है, लेकिन पाकिस्तान ने लगातार इन प्रस्तावों को खारिज कर दिया है। जनवरी 1992 से शुरू होकर, भारत और पाकिस्तान ने अपनी-अपनी नागरिक परमाणु-संबंधित सुविधाओं की सूचियों का आदान-प्रदान किया है। हालाँकि, प्रत्येक पक्ष ने दूसरे की सूची की पूर्णता पर सवाल उठाया है।

First Published - January 1, 2025 | 8:07 PM IST

संबंधित पोस्ट