वित्तीय स्थायित्व बोर्ड (एफएसबी) की तर्ज पर जी-20 अपने वैश्विक इन्फ्रास्ट्रक्चर केंद्र (जीआईएच) को एक बहुपक्षीय निकाय में बदलने पर विचार कर रहा है। यदि योजना सफल रहती है तो एफएसबी के बाद यह दूसरा मामला होगा, जब जी-20 की पहल से एक पूर्ण संगठन बनेगा। इस मामले से जुड़े जी-20 के एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘यह एक ऐसा फैसला है, जिसमें जी-20 के सदस्य देशों के बीच आम राय की जरूरत होगी। लेकिन योजना है कि जीआईएच को एफएसबी की तरह एक निकाय में तब्दील किया जाए।’ इन्फ्रा पर केंद्रित नया निकाय गैर संधि आधारित संगठन होगा।
ज्यादातर बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के विपरीत एफएसबी के पास कानूनी स्वरूप और कोई औपचारिक शक्ति नहीं होगी और इसे अनौपचारिक व गैर बाध्यकारी समझौते के आधार पर बनाया जाएगा, जिसे इसके सदस्य देश स्वीकार करेंगे। बहरहाल एफएसबी अभी भी जी-20 के सदस्यों को महत्त्वपूर्ण वित्तीय दिशानिर्देश देता है। उदाहरण के लिए ऐसा कहा गया है कि क्रिप्टोकरेंसी पर वैश्विक मसौदा नियम आएंगे, जिसे सदस्य देश अपना सकते हैं।
उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा कि बहुपक्षीय निकाय के रूप में जीआईएच को बदलने से इसके काम करने की संभावनाओं का विस्तार होगा। यह विश्व बैंक और आईएमएफ जैसी संस्थाओं के साथ काम करने की योजना बना रहा है, जिससे सतत बुनियादी ढांचे और पर्यावरण के अनुकूल वित्तपोषण की मात्रा बढ़ाई जा सके। साथ ही ग्रीन इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स की मानकीकृत परिभाषा भी आ सकती है। इसके अलावा यह परियोजनाओं के वित्तपोषण के मानकों को सरल करने पर भी काम कर सकता है। व्यक्ति ने कहा, ‘बेसल मानकों से मदद की बजाय बुनियादी ढांचे का वित्तपोषण प्रभावित हो सकता है, ऐसे में इस दिशा में काम किए जाने की उम्मीद है।’
बहरहाल अधिकारी ने कहा कि केंद्र को बहुपक्षीय निकाय में बदलने को लेकर सदस्य देशों में अभी और चर्चा किए जाने की जरूरत है और इस पर किसी त्वरित फैसले की उम्मीद नहीं है। इस समय जीआईएच का काम नॉलेज शेयरिंग हब के रूप में काम करने, डेटा तैयार करने और नीतियों और बुनियादी ढांचे की डिलिवरी पर दृष्टिकोण प्रदान करने तक सीमित है।