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G20 शेरपा अमिताभ कांत ने की अमेरिकी राजदूत के बयान की निंदा, कहा-अमेरिका में संरक्षणवाद चरम पर

नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी कांत ने अमेरिका पर जलवायु परिवर्तन के मोर्चे पर भी यही रवैया अपनाने का आरोप लगाया।

Last Updated- February 02, 2024 | 7:43 PM IST
Amitabh Kant
Representative Image

भारत में कराधान और नियामक ढांचे में सुधार संबंधी अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी के बयान की निंदा करते हुए भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिकियों के व्यवहार में सबसे अधिक संरक्षणवाद है। उन्होंने साथ ही विकासशील देशों को अपने हिसाब से आगे बढ़ने की स्वतंत्रता की वकालत की।

यहां जारी जयपुर साहित्योत्सव (जेएलएफ) में एक सत्र को संबोधित करते हुए कांत ने कहा कि ‘अमेरिकी राजदूत भारत को जो सुझाव दे रहे हैं, उसका अनुसरण करने के बजाय’ सरकार ‘मेक इन इंडिया’ पहल और सर्वश्रेष्ठ व्यवहार के माध्यम से भारत को विश्व चैम्पियन बनाएगी।

गार्सेटी ने इंडो-अमेरिकन चैम्बर आफ कॉमर्स (आईएसीसी) को संबोधित करते हुए मंगलवार को कहा था कि इस प्रकार की बयानबाजी कि ‘सब कुछ भारत में बनाया जा सकता है’ देश के विकास की गति को धीमा कर सकती है।

साथ ही उन्होंने आर्थिक क्षेत्र में लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भारत में ‘‘निर्यात नियंत्रण और आयात नीतियों’’ में बदलाव की वकालत की थी।

कांत ने कहा, ‘‘अमेरिका संरक्षणवाद के साथ आगे बढ़ा है … अपने चिप्स अधिनियम और अपनी मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम के माध्यम से अमेरिका कहता है, ‘‘हम केवल उन्हीं कंपनियों को सब्सिडी देंगे, जो अमेरिका में हाइड्रोजन का उत्पादन करेंगी। इसका (अमेरिका का) संरक्षणवाद अव्वल श्रेणी का है।’’

श्रोताओं की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कांत ने कहा, ‘‘अमेरिकी संरक्षणवाद करते हैं और वे विकासशील देशों के लिए अहस्तक्षेप की वकालत करते हैं…इसलिए उन बातों में आने की जरूरत नहीं है जो अमेरिकी राजदूत कह रहे हैं, अमेरिकी राजदूत अमेरिकी भाषा बोल रहे हैं, हमें भारतीय भाषा बोलनी चाहिए।’’

नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी कांत ने अमेरिका पर जलवायु परिवर्तन के मोर्चे पर भी यही रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका विश्व में 90 फीसदी ‘कार्बन स्पेस’ इस्तेमाल करता है जबकि भारत में यह (आंकड़ा) महज 1.5 फीसदी है।

उन्होंने तर्क दिया कि भारत को कार्बन स्पेस के ‘17.5 प्रतिशत’ का हकदार होना चाहिए। कांत ने कहा, ‘‘वे (अमेरिका) न तो आपको (भारत) वित्त मुहैया करा रहे हैं, न ही तकनीक और उस पर आपको ज्ञान देने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिकी राजदूत की बातों पर ध्यान न दें। हमें वही करना चाहिए, जो भारत के हित में है, हमें वही करना चाहिए जो भारतीय नागरिकों के हित में है।’’

अपनी नई किताब ‘दी एलीफेंट मूव्स : इंडियाज न्यू प्लेस इन दी वर्ल्ड’ के विमोचन के अवसर पर कांत ने कहा कि बहुत से लोगों को यह अहसास नहीं है कि पिछले आठ नौ सालों में हमने ढांचागत विकास की दृष्टि से किस प्रकार पूरी तरह ‘एक नये भारत’ का निर्माण किया है। देश की उपलब्धियों की अपनी सूची में उन्होंने चार करोड़ घरों का निर्माण, 88,000 किलोमीटर सड़कें और राजमार्ग आदि का उल्लेख किया।

कांत ने कहा, ‘‘हमने 11 करोड़ शौचालय बनाए, जो जर्मनी के प्रत्येक नागरिक के लिए शौचालय बनाने जैसा है, हमने भारत के 25.30 करोड़ नागरिकों को पाइप से पानी का कनेक्शन प्रदान किया है, जो ब्राजील के प्रत्येक नागरिक को पाइप से पानी का कनेक्शन प्रदान करने जैसा है।’’

‘विश्व का सबसे बड़ा साहित्य उत्सव’ कहे जाने वाले पांच-दिवसीय जेएलएफ में इस बार विश्व के कुछ सर्वश्रेष्ठ विचारक, लेखक और वक्ता भाग ले रहे हैं।

First Published - February 2, 2024 | 7:43 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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