फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कटौती कर खूब वाह वाही लूटी है पर उसका अगला कदम क्या होगा इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
अगर वित्तीय बाजार को संकअ से उबारना है तो यह जरूरी होगा कि फेडरल बैंकों और प्रतिभूति इकाइयों से मॉर्गेज बांड्स खरीदे। गत वर्ष सितंबर से फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में तीन फीसदी तक की कटौती कर चुका है और साथ ही डिस्काउंट रेट को भी कम किया गया है। फिर भी बाजार में अब भी वित्तीय संकट बना हुआ है। तीन महीने के ऋण के लिए सरकार और बैंक जो रकम अदा करते हैं उसके बीच का अंतर पिछले महीने दो गुना हो गया है और यह करीब 1.92 फीसदी पर बनी हुई है।
पैसिफिक इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट कॉरपोरेशन के प्रबंधक बिल ग्रोस ने बताया कि फेडरल के लिए हाउसिंग ऋण समर्थित बांड्स को खरीदना एक कारगर कदम हो सकता है। यह अलग बात है कि फेडरल अगर ऐसा कदम उठाता है तो बैंकों के बही खाते की बिगड़ी हुई शक्ल को सुधारने का मौका तो मिल जाएगा, पर इससे कर चुकाने वालों के सिर पर खतरा मंडरा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस कदम से ऋण की कमी और गहरा सकती है।
इसलिए कुछ जानकारों की राय यह भी है कि एक बार में अचानक से 60 खरब डॉलर के मॉर्गेज प्रतिभूतियों को खरीदना फायदे को सौदा नहीं होगा। लॉस एंजलिस स्थित टीसीडब्लू ग्रुप इंक में प्रबंध निदेशक बार सेगल ने कहा, ”आरटीसी की तरह का कोई ढांचा अगर तैयार किया जाए तो इससे करदाताओं को अधिक नुकसान उठाने की गुंजाइश नहीं बनती है।” उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह इन मॉर्गेज को खरीद ले और फिर वापस से उसे बाजार में जारी कर दे।
प्रिंसटन विश्वविद्यालय की प्रोफेसर एलेन ब्लाइंडर ने कहा कि यह कदम फायदेमंद तक हो सकता है पर फेडरल को करदाताओं को जोखिम में डालकर ऐसा करने सही नहीं जान पड़ता है। अभी कुछ दिनों पहले समाचारपत्रों में यह खबर भी आई थी कि फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ इंलैंड के साथ मिलकर पब्लिक फंडो के जरिए मॉर्गेज समर्थित प्रतिभूतियों की खरीदारी कर सकता है। पर बाद में दोनों ही बैंकों ने अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा था कि उनका ऐसा कोई इरादा नहीं है।