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अमेरिका की 90 दिन की राहत: भारत के पास व्यापार डील को अंतिम रूप देने का सुनहरा मौका

90 दिन की राहत में भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को तेजी से अंतिम रूप देना चाहता है; यूरोपीय संघ और ब्रिटेन से भी जल्द डील संभव।

Last Updated- April 10, 2025 | 10:52 PM IST
U.S. President Donald Trump

अमेरिका ने अधिकांश देशों पर लगाए गए जवाबी शुल्कों को तीन महीने तक टाल दिया है। ऐसे में भारत इसे अमेरिका के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते को नए सिरे से आगे बढ़ाने तथा पहले चरण को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने के अवसर के रूप में देख रहा है।

फरवरी में हुई बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के लिए लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार करार के पहले चरण को साल के अंत तक अंतिम रूप देने के इरादे की घोषणा की थी।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘भारत पर अमेरिका द्वारा लगाए गए 26 फीसदी जवाबी शुल्क पर 90 दिन की रोक लगाई गई है। इससे हमें पिछले महीने शुरू हुई व्यापार सौदे की चर्चा में तेजी लाने का मौका मिला है। हमें अभी नहीं पता कि जवाबी शुल्क पर रोक 90 दिन से बढ़ेगी या नहीं।’

अधिकारी ने कहा कि सौदे के कम से कम पहले चरण को अंतिम रूप देने से भारतीय निर्यातकों को कुछ राहत मिल सकती है, भले ही अमेरिका तीन महीने के बाद 26 फीसदी शुल्क जारी रखने का फैसला करता है। भारतीय वार्ताकार 26 फीसदी का अतिरिक्त शुल्क हटाने के लिए अमेरिकी प्रशासन के साथ बातचीत कर रहे हैं मगर द्विपक्षीय व्यापार समझौता वार्ता के बावजूद भारत को जवाबी शुल्क से छूट नहीं दी गई।

ट्रंप ने 9 अप्रैल से लागू जवाबी शुल्कों पर 90 दिन के लिए रोक लगा दी मगर चीन को इसमें राहत नहीं दी गई है। पिछले हफ्ते अमेरिका ने कई देशों से आयात पर 10 फीसदी से लेकर 50 फीसदी तक का जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की थी। भारत पर 26 फीसदी जवाबी शुल्क लगाया गया था। फिलहाल अमेरिकी आयात पर तरजीही देशों (एमएफएन) के लिए शुल्क के अलावा 10 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लागू है।

अधिकतर देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की अमेरिका की योजना के परिणामस्वरूप प्रमुख व्यापार भागीदार भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए संपर्क कर रहे हैं। भारत अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, न्यूजीलैंड, पेरू, चिली और ओमान के साथ भी व्यापार करार के लिए बातचीत कर रहा है। बहरीन, कतर या खाड़ी सहयोग परिषद के साथ भी व्यापार समझौते पर बातचीत हो सकती है।

उक्त अधिकारी ने कहा कि भारत इस समय का उपयोग ब्रिटेन, यूरोपीय संघ जैसे अन्य प्रमुख व्यापार में भागीदार देशों के साथ लंबे समय से लंबित व्यापार सौदों को पूरा करने के लिए करने की योजना बना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने साल के अंत तक एफटीए पर हस्ताक्षर करने की महत्त्वाकांक्षी समयसीमा तय की थी। अभी इस सौदे को किस्तों में अंतिम रूप देने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि इस बारे में औपचारिक घोषणा अभी नहीं की गई है।

अधिकारी ने कहा कि भारत का मानना है कि इन व्यापार समझौतों से लंबी अवधि में लाभ मिलेगा तथा इन क्षेत्रों में भारत के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। अधिकारी ने कहा, ‘तेजी से बदलते भू-राजनीतिक माहौल और अमेरिका के साथ यूरोपीय संघ के तनाव को देखते हुए व्यापार समूह कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) और वनों की कटाई के नियमन जैसी गैर-शुल्क बाधाओं पर भारत की चिंता को दूर करने का इच्छुक है।’ जवाबी शुल्क पर विराम की घोषणा से पहले वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा था कि 26 फीसदी जवाबी शुल्क को हटाने के लिए भारत अमेरिकी प्रशासन के साथ काम कर रहा है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत को अमेरिका के साथ व्यापक एफटीए पर बातचीत करने पर पुनर्विचार करना चाहिए। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि न्यूनतम मूल्य समर्थन प्रणाली को कमजोर करना, आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य आयात की अनुमति देने, कृषि शुल्क कम करने जैसी अमेरिका की कई मांगें जोखिम पैदा करती हैं।

 

First Published - April 10, 2025 | 10:52 PM IST

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