Yoga Day 2025 Special: पूरी दुनिया आज (21 जून) अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही है। सदियों से योग भारत की आत्मा रहा है। ऋषि-मुनियों की साधना से निकली यह विद्या कभी हिमालय की गुफाओं से होती हुई गांवों तक पहुंची थी। लेकिन अब वही योग 21वीं सदी में एक विशाल वैश्विक उद्योग बन चुका है। Grand View Research की रिपोर्ट कहती है कि भारत का योग मार्केट 2023 में 5,672.7 अरब अमेरिकी डॉलर का था और 2030 तक यह बढ़कर 12,667 अरब डॉलर हो जाएगा। यह ग्रोथ सालाना 12.2% की दर से हो रही है – जो किसी भी इंडस्ट्री के लिए बेहद प्रभावशाली आंकड़ा है।
आश्चर्य की बात यह है कि यह विकास न सिर्फ घरेलू बाजार में है बल्कि भारत दुनिया भर में योग को एक एक्सपोर्टेबल प्रोडक्ट के रूप में पेश कर रहा है। इससे न सिर्फ भारत की छवि “विश्वगुरु” के रूप में मजबूत हुई है, बल्कि रोजगार, विदेशी मुद्रा और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में भी नई जान फूंकी है।
यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि भारत न सिर्फ अपनी पारंपरिक योग विद्या को पुनः स्थापित कर रहा है, बल्कि उसे वैश्विक व्यापार में बदलकर रोजगार, निर्यात और पर्यटन जैसे कई क्षेत्रों को गति भी दे रहा है। यह ट्रेंड दिखाता है कि योग अब ‘स्पिरिचुअल से सर्विस सेक्टर’ तक की यात्रा तय कर चुका है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में सबसे ज्यादा कमाई ‘ऑफलाइन योग कोर्स’ से हुई, जहां लोग योग स्टूडियो, कैंप और वर्कशॉप्स में भाग लेते हैं। हालांकि, आने वाले वर्षों में ‘ऑनलाइन योग कोर्स’ सबसे तेजी से बढ़ने वाला सेगमेंट साबित होगा।
यह जानकारी Grand View Research के विश्लेषण से सामने आई, जो कहता है कि कोविड-19 महामारी के बाद लोगों की जीवनशैली में आए बदलाव ने योग को डिजिटल रूप दे दिया है। अब घर बैठे मोबाइल या लैपटॉप पर योग सीखना अधिक सुविधाजनक और पसंदीदा विकल्प बन गया है। यही कारण है कि ऑनलाइन योग की मांग लगातार बढ़ रही है और यह सेगमेंट तेजी से विस्तृत हो रहा है।
यही रिपोर्ट यह भी बताती है कि भारत अब एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में सबसे तेजी से बढ़ता योग मार्केट बन चुका है। हालांकि, अभी तक चीन इस क्षेत्र में कुल योग आय में आगे है, लेकिन विकास दर के मामले में भारत आगे निकल चुका है। Grand View Research की गणना के अनुसार, 2030 तक भारत का योग बाजार वैश्विक योग इंडस्ट्री का 5.3% हिस्सा बन जाएगा।
भारत सरकार के प्रयासों ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। 2014 में जब संयुक्त राष्ट्र ने भारत के प्रस्ताव पर 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ घोषित किया, तो उस दिन से योग की वैश्विक स्वीकार्यता में तेजी आई। इसके पीछे सिर्फ कूटनीति नहीं, बल्कि भारत की पारंपरिक ज्ञान प्रणाली को आधुनिक स्वरूप में प्रस्तुत करने की दूरदर्शिता भी थी।
योग की इकॉनमिक हेल्थ पर असिस्टेंट प्रोफेसर वरुण कुमार अपने रिसर्च पेपर ‘Yoga: A Tonic for Economy’s Health’ में कहते हैं, योग भारत की सबसे प्रभावशाली सांस्कृतिक पूंजी बन चुका है। भारत सदियों से “विश्वगुरु” के रूप में जाना जाता रहा है और योग इसका सबसे मजबूत उदाहरण है। उनके अनुसार, योग अब सिर्फ एक व्यायाम नहीं बल्कि पूरी जीवनशैली बन चुका है।
उन्होंने बताया कि कोविड-19 के समय जब पूरी दुनिया में मानसिक तनाव और असुरक्षा का माहौल था, तब लाखों लोगों ने योग को अपनाया और यह अनुभव किया कि योग मानसिक स्वास्थ्य और इम्यूनिटी को बेहतर बनाने का कारगर उपाय है। इसी दौर में योग की वैश्विक प्रासंगिकता भी स्पष्ट हुई, जिससे यह उद्योग बन गया।
योग अब सिर्फ आसनों तक सीमित नहीं है। यह एक विस्तृत बाजार बन चुका है जिसमें योग मेट, स्ट्रैप, ब्लॉक, बैग, बॉल्स, योग कपड़े, स्पा उत्पाद और डिजिटल सब्सक्रिप्शन जैसे सैकड़ों उत्पाद शामिल हैं। रिसर्च पेपर में यह भी कहा गया है कि भारत में लगभग दो दर्जन शहर जैसे ऋषिकेश, मैसूर, पुणे, गोवा, धर्मशाला आदि योग पर्यटन के प्रमुख केंद्र बन चुके हैं। जम्मू-कश्मीर के मंतलाई गांव में भारत का सबसे बड़ा इंटरनेशनल योग सेंटर बन रहा है, जिसके लिए केंद्र सरकार ने ₹9,782 करोड़ का बजट मंजूर किया है। यह केंद्र सिर्फ साधना का स्थान नहीं, बल्कि एक हाईटेक टूरिस्ट हब होगा जिसमें हेलिपैड, स्विमिंग पूल, जिम, मेडिटेशन ज़ोन और ईको-हट्स जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी।
रिसर्च पेपर के मुताबिक, अलग-अलग अध्ययनों में यह जानकारी सामने आई है कि 43% योग साधक 30 से 50 साल के हैं, जबकि 38% की उम्र 50 से ऊपर है। इससे साफ है कि योग अब बुजुर्गों की चीज नहीं, बल्कि कार्यशील और वयस्क आबादी का भी हिस्सा बन चुका है। 2021 में योग करने वालों में 79.6% महिलाएं थीं, जो 2023 में घटकर 72% हो गईं, लेकिन यह अब भी बताता है कि महिलाएं योग की सबसे बड़ी यूजर ग्रुप हैं।
योग की यह लोकप्रियता सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि अमेरिका, कनाडा, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में भी तेजी से बढ़ी है। Zippia की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में अमेरिका में 48,500 योग स्टूडियो काम कर रहे थे, और यह इंडस्ट्री 9.09 अरब डॉलर सालाना कमा रही थी।
कुल मिलाकर, सदियों पुरानी परंपरा आज नए स्वरूप में भारत की नई पहचान बन चुकी है। योग न सिर्फ भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक है, बल्कि यह देश की आर्थिक आत्मनिर्भरता का नया स्तंभ भी बन रहा है। जहां एक ओर यह लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर कर रहा है, वहीं दूसरी ओर यह एक विस्तृत उद्योग बनकर रोजगार, निर्यात और पर्यटन जैसे क्षेत्रों को भी नई ऊर्जा दे रहा है। 2030 तक 12,667 अरब डॉलर का यह बाजार यह साबित करता है कि भारत अब सिर्फ योग सिखाने वाला देश नहीं, बल्कि योग को वर्ल्ड-क्लास इंडस्ट्री में बदलने वाला नेतृत्वकर्ता बन चुका है।