facebookmetapixel
Rapido की नजर शेयर बाजार पर, 2026 के अंत तक IPO लाने की शुरू कर सकती है तैयारीरेलवे के यात्री दें ध्यान! अब सुबह 8 से 10 बजे के बीच बिना आधार वेरिफिकेशन नहीं होगी टिकट बुकिंग!Gold Outlook: क्या अभी और सस्ता होगा सोना? अमेरिका और चीन के आर्थिक आंकड़ों पर रहेंगी नजरेंSIP 15×15×15 Strategy: ₹15,000 मंथली निवेश से 15 साल में बनाएं ₹1 करोड़ का फंडSBI Scheme: बस ₹250 में शुरू करें निवेश, 30 साल में बन जाएंगे ‘लखपति’! जानें स्कीम की डीटेलDividend Stocks: 80% का डिविडेंड! Q2 में जबरदस्त कमाई के बाद सरकारी कंपनी का तोहफा, रिकॉर्ड डेट फिक्सUpcoming NFO: अगले हफ्ते होगी एनएफओ की बारिश, 7 नए फंड लॉन्च को तैयार; ₹500 से निवेश शुरूDividend Stocks: 200% का तगड़ा डिविडेंड! ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनी का बड़ा तोहफा, रिकॉर्ड डेट फिक्सUpcoming IPOs This Week: निवेशक पैसा रखें तैयार! इस हफ्ते IPO की लिस्ट लंबी, बनेगा बड़ा मौकाInCred Holdings IPO: इनक्रेड होल्डिंग्स ने आईपीओ के लिए आवेदन किया, ₹3,000-4,000 करोड़ जुटाने की योजना

बिहार में चुनाव आयोग की वोटर लिस्ट पुनरीक्षण पर बवाल, विपक्ष बोला- EC मोदी सरकार की कठपुतली

मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर चुनाव आयोग पर विपक्षी दलों ने विदेशी घुसपैठ के नाम पर पक्षपात का आरोप लगाया है।

Last Updated- July 13, 2025 | 10:05 PM IST
SIR
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

निर्वाचन आयोग ने बिहार की तर्ज पर अगले महीने से देश भर में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू करने के लिए सभी राज्यों में अपनी चुनाव मशीनरी को सक्रिय कर दिया है। कई विपक्षी दलों और अन्य लोगों ने इस व्यापक प्रक्रिया को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था और कहा था कि इससे पात्र नागरिकों को उनके मताधिकार से वंचित होना पड़ेगा। कुछ राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) ने अपने-अपने राज्यों में पूर्व में किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद प्रकाशित मतदाता सूची को जारी करना शुरू कर दिया है।

दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर 2008 की मतदाता सूची उपलब्ध कराई गई है, जब राष्ट्रीय राजधानी में अंतिम बार व्यापक पुनरीक्षण हुआ था।

उत्तराखंड में आखिरी विशेष गहन पुनरीक्षण 2006 में हुआ था और उस वर्ष की मतदाता सूची अब राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध है। राज्यों में पिछला विशेष गहन पुनरीक्षण, आधार तिथि के रूप में काम करेगा, क्योंकि निर्वाचन आयोग बिहार की 2003 की मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण कर रहा है। अधिकांश राज्यों ने 2002 और 2004 के बीच मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण किया था। एक अधिकारी ने बताया कि निर्वाचन अधिकारी 28 जुलाई के बाद राष्ट्रव्यापी पुनरीक्षण पर अंतिम फैसला लेंगे, जब बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण से संबंधित मामला शीर्ष अदालत में फिर से सुनवाई के लिए आएगा।

निर्वाचन आयोग ने घोषणा की है कि वह पूरे देश में मतदाता सूचियों की गहन समीक्षा करेगा, ताकि विदेशी अवैध प्रवासियों के जन्म स्थान की जांच कर उन्हें हटाया जा सके। बिहार में इस साल विधान सभा चुनाव होने हैं, जबकि पांच अन्य राज्यों- असम, केरल, पुदुच्चेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधान सभा चुनाव 2026 में होंगे। यह कदम बांग्लादेश और म्यांमा सहित विभिन्न राज्यों में अवैध विदेशी प्रवासियों पर कार्रवाई के मद्देनजर महत्त्वपूर्ण है। 

दावा : बड़ी संख्या में नेपाली और बांग्लादेशी मिले

निर्वाचन आयोग के क्षेत्रीय अधिकारियों ने बिहार में मतदाता सूची के जारी के गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत घर-घर जाकर जांच की और इस दौरान बड़ी संख्या में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमा के लोग मिले हैं। अधिकारियों ने रविवार को बताया कि उचित जांच के बाद 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली अंतिम मतदाता सूची में अवैध प्रवासियों के नाम शामिल नहीं किए जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि घर-घर जाकर की गई जांच के दौरान बूथ स्तर के अधिकारियों को बड़ी संख्या में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमा के लोग मिले हैं। निर्वाचन आयोग अंततः पूरे भारत में मतदाता सूचियों का एक विशेष गहन पुनरीक्षण करेगा ताकि विदेशी अवैध प्रवासियों के जन्मस्थान की जांच करके उन्हें बाहर निकाला जा सके। बिहार में इसी साल चुनाव होने वाले हैं, जबकि अन्य पांच राज्यों असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में 2026 में विधान सभा चुनाव होने हैं। 

‘आयोग बना कठपुतली’

राज्य सभा सदस्य कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया है कि निर्वाचन आयोग हमेशा से मोदी सरकार के हाथों की कठपुतली रहा है। उन्होंने दावा किया कि बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण एक असंवैधानिक कदम है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बहुसंख्यकवादी सरकारें सत्ता में बनी रहें। पूर्व कानून मंत्री ने एक साक्षात्कार में यह भी आरोप लगाया कि प्रत्येक निर्वाचन आयुक्त इस सरकार के साथ मिलीभगत करने में एक-दूसरे से आगे रहता है। बिहार में मतदाता सूची के जारी विशेष गहन पुनरीक्षण पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि आयोग के पास नागरिकता के मुद्दों पर फैसला करने का अधिकार नहीं है।

First Published - July 13, 2025 | 10:05 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

संबंधित पोस्ट