निर्वाचन आयोग ने बिहार की तर्ज पर अगले महीने से देश भर में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू करने के लिए सभी राज्यों में अपनी चुनाव मशीनरी को सक्रिय कर दिया है। कई विपक्षी दलों और अन्य लोगों ने इस व्यापक प्रक्रिया को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था और कहा था कि इससे पात्र नागरिकों को उनके मताधिकार से वंचित होना पड़ेगा। कुछ राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) ने अपने-अपने राज्यों में पूर्व में किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद प्रकाशित मतदाता सूची को जारी करना शुरू कर दिया है।
दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर 2008 की मतदाता सूची उपलब्ध कराई गई है, जब राष्ट्रीय राजधानी में अंतिम बार व्यापक पुनरीक्षण हुआ था।
उत्तराखंड में आखिरी विशेष गहन पुनरीक्षण 2006 में हुआ था और उस वर्ष की मतदाता सूची अब राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध है। राज्यों में पिछला विशेष गहन पुनरीक्षण, आधार तिथि के रूप में काम करेगा, क्योंकि निर्वाचन आयोग बिहार की 2003 की मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण कर रहा है। अधिकांश राज्यों ने 2002 और 2004 के बीच मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण किया था। एक अधिकारी ने बताया कि निर्वाचन अधिकारी 28 जुलाई के बाद राष्ट्रव्यापी पुनरीक्षण पर अंतिम फैसला लेंगे, जब बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण से संबंधित मामला शीर्ष अदालत में फिर से सुनवाई के लिए आएगा।
निर्वाचन आयोग ने घोषणा की है कि वह पूरे देश में मतदाता सूचियों की गहन समीक्षा करेगा, ताकि विदेशी अवैध प्रवासियों के जन्म स्थान की जांच कर उन्हें हटाया जा सके। बिहार में इस साल विधान सभा चुनाव होने हैं, जबकि पांच अन्य राज्यों- असम, केरल, पुदुच्चेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधान सभा चुनाव 2026 में होंगे। यह कदम बांग्लादेश और म्यांमा सहित विभिन्न राज्यों में अवैध विदेशी प्रवासियों पर कार्रवाई के मद्देनजर महत्त्वपूर्ण है।
निर्वाचन आयोग के क्षेत्रीय अधिकारियों ने बिहार में मतदाता सूची के जारी के गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत घर-घर जाकर जांच की और इस दौरान बड़ी संख्या में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमा के लोग मिले हैं। अधिकारियों ने रविवार को बताया कि उचित जांच के बाद 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली अंतिम मतदाता सूची में अवैध प्रवासियों के नाम शामिल नहीं किए जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि घर-घर जाकर की गई जांच के दौरान बूथ स्तर के अधिकारियों को बड़ी संख्या में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमा के लोग मिले हैं। निर्वाचन आयोग अंततः पूरे भारत में मतदाता सूचियों का एक विशेष गहन पुनरीक्षण करेगा ताकि विदेशी अवैध प्रवासियों के जन्मस्थान की जांच करके उन्हें बाहर निकाला जा सके। बिहार में इसी साल चुनाव होने वाले हैं, जबकि अन्य पांच राज्यों असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में 2026 में विधान सभा चुनाव होने हैं।
राज्य सभा सदस्य कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया है कि निर्वाचन आयोग हमेशा से मोदी सरकार के हाथों की कठपुतली रहा है। उन्होंने दावा किया कि बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण एक असंवैधानिक कदम है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बहुसंख्यकवादी सरकारें सत्ता में बनी रहें। पूर्व कानून मंत्री ने एक साक्षात्कार में यह भी आरोप लगाया कि प्रत्येक निर्वाचन आयुक्त इस सरकार के साथ मिलीभगत करने में एक-दूसरे से आगे रहता है। बिहार में मतदाता सूची के जारी विशेष गहन पुनरीक्षण पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि आयोग के पास नागरिकता के मुद्दों पर फैसला करने का अधिकार नहीं है।