उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने में अब विदेशी निवेश की राह और आसान कर दी है। प्रदेश सरकार ने अपने एफडीआई नीति में संशोधन कर दिया है। जहां विदेशी निवेश की न्यूनतम सीमा 100 करोड़ रूपये में इक्विटी की सीमा को घटा दिया है। इसके बाद अब इक्विटी के अलावा अन्य स्त्रोत से पैसों की व्यवस्था करने वाली कंपनियां भी एफडीआई नीति के तहत सहूलियत पाने की हकदार होंगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुयी उत्तर प्रदेश मंत्रीपरिषद की बैठक में एफडीआई और फॉर्च्यून 500 कंपनियों के निवेश के लिए प्रोत्साहन नीति 2023 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। इसके अलावा मंत्रिपरिषद ने उत्तरप्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति 2020 के तहत 300 करोड़ के निवेश के प्रोत्साहन प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है।
मंत्रिपरिषद के फैसलों की जानकारी देते हुए वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि बीते साल नवंबर में फॉरेन डायरेक्टर इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) की नीति आई थी, इसमें कुछ संशोधन किया गया है। नीति में अर्हता के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा 100 करोड़ रुपए रखी गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जो एफडीआई की परिभाषा दी गई है, उसके अनुसार अभी तक मात्र इक्विटी में किए गए निवेश को ही इसमें सम्मिलित किया जाता है।
नीति में जो संशोधन किया गया है उसमें प्रदेश सरकार ने फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट का रूप दिया है। उन्होंने कहा कि अभी तक एफडीआई के तहत कंपनी के पास अपनी इक्विटी होती थी लेकिन ज्यादातर कंपनी अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए बाहर से ऋण के साथ ही दूसरे माध्यमों से भी पैसा मैनेज करती हैं। प्रदेश सरकार ने उसकी भी अनुमति दे दी है।
खन्ना ने कहा कि यदि किसी कंपनी के पास इक्विटी केवल 10 फीसदी और 90 फीसदी निवेश राशि की व्यवस्था दूसरे स्रोतों से की गयी होगी तो उसको भी एफडीआई नीति के तहत मिलने वाले सभी लाभ मिलेंगे। उन्होंने बताया कि अब इस नीति को फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट, फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट एंड फॉर्च्यून ग्लोबल 500 एंड फॉर्च्यून इंडिया 500 इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी 2023 कहा जाएगा।
फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट के रूप में इक्विटी में निवेश करने वाली विदेशी कंपनी के लिए प्रिफरेंश शेयर, डिवेंचर्स, एक्सटर्नल कॉमर्शियल बॉरोइंग, स्टैंड बाई लैटर ऑफ क्रेडिट, लैटर्स ऑफ गारंटी व अन्य डेब्ट सिक्योरिटी को भी शामिल कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, अन्य व सभी तरीके जो आरबीआई के द्वारा फ्रेमवर्क ऑन एक्सटर्नल कॉमर्शियल बॉरोइंग, ट्रेड क्रेडिट, स्ट्रक्चर्ड ऑब्लीगेशंस के अंतर्गत किए गए हैं वो 100 करोड़ के विदेशी निवेश की गणना के लिए अर्ह होंगे।
विदेशी निवेशक कंपनी द्वारा की गई फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट राशि जिसमें इक्विटी में न्यूनतम 10 फीसदी तथा शेष ऋण व अन्य इंस्ट्रूमेंट के माध्यम से मिलाकर 100 करोड़ रुपए का निवेश शामिल है, को इस नीति के अंतर्गत पात्र माना जाएगा तथा पूंजी निवेश की गणना में सम्मिलित किया जाएगा।
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के हेरिटेज इमारतों को संरक्षित करने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप द्वारा विकसित किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत सबसे पहले लखनऊ में पांच इमारतों को संरक्षित किया जाएगा। एक अन्य फैसले में मंत्रिपरिषद ने उत्तरप्रदेश शीरा नीति 2024-25 के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके मुताबिक 1 नवम्बर 2024 से 31 अक्टूबर 2025 के शीरा वर्ष के लिए 19 फीसदी शीरा आरक्षित करने को अनुमति दे दी गयी है।
लखनऊ में अंग्रेज़ी एवं विदेशी भाषा केंद्रीय विश्वविद्यालय के लखनऊ परिसर स्थापना हेतु तहसील सरोजिनी नगर में चकरौली परगना बिजनौर में 2.3239 हेक्टेयर भूमि को चिन्हित कर उपलब्ध करवाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखायी गयी है।
वहीं मंत्रिपरिषद ने बागपत जिले में अंतराष्ट्रीय योग एवं आरोग्य केंद्र स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत बागपत तहसील के ग्राम हरियाखेवा में 1.069 हेक्टेयर भूमि पर्यटन विभाग को निशुल्क हस्तांतरित की जाएगी।