केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय 26 बाघों की मौत की जांच कर रहे हैं, जो इस साल महज एक महीने के भीतर मारे गए थे।
जांच के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘मंत्रालय मामले को गंभीरता से ले रहा है और बाघ की मौत से निपटने के लिए आवश्यक मानक संचालन प्रक्रिया का पालन कर रहा है।’
देश में 1 जनवरी से 11 फरवरी के बीच कुल 26 बाघों की मौत हुई, जो पिछले तीन वर्षों में साल की शुरुआत में बाघों की मौत का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
प्रोजेक्ट टाइगर के अपर महानिदेशक एसपी यादव ने कहा कि सिद्ध नहीं होने तक हर बाघ की मौत को अवैध शिकार माना जाता है। उन्होंने कहा, ‘भारत के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के उपयुक्त प्रावधानों के तहत इस संबंध में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार सभी बाघों की मौत का पता लगाया जा रहा है। क्षेत्रीय निदेशक मौत के कारणों का पता लगाने के लिए मामले की जांच कर रहे हैं।’
बाघों के संरक्षण के लिए शीर्ष निकाय राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले वर्ष की इसी अवधि में 18 बाघों की मौत हुई थी, जबकि 2021 में इसी अवधि में 21 बाघों की मौत हुई थी।
इस वर्ष सबसे अधिक मौतें मध्य प्रदेश (9) में हुईं। इसके बाद महाराष्ट्र (7), राजस्थान (3), कर्नाटक (2), उत्तराखंड (2) और असम, बिहार और केरल में एक-एक मौत हुई।