फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर शुक्रवार को शंभू बॉर्डर से पैदल ही दिल्ली कूच कर रहे किसानों का प्रदर्शन पुलिस की झड़प के बाद एक दिन के लिए स्थगित कर दिया गया है। वहीं कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर संसद में कहा है कि केंद्र सरकार सभी कृषि उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस बीच कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संसद में कहा कि कांग्रेस जब सत्ता में थी उन्होंने रिकॉर्ड पर कहा था कि वे एम एस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार नहीं कर सकते, खासकर उपज की लागत से 50 प्रतिशत अधिक देने की बात। साथ ही चौहान ने दावा किया कि मोदी सरकार पिछले तीन साल से धान, गेहूं, ज्वार, सोयाबीन को तीन साल पहले से ही उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत अधिक कीमत पर खरीद रही कर किसानों को लाभकारी मूल्य दे रही है। उन्होंने वस्तुओं की दरों में गिरावट होने पर निर्यात शुल्क और कीमतों को बदलने में हस्तक्षेप का भी हवाला दिया।
बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे कुछ किसान नेताओं ने कहा कि वह सरकार और प्रशासन के साथ बैठकर बातचीत करने के लिए तैयार हैं तथा अधिकारियों ने उनसे उनकी मांगों की सूची मांगी है, जो सभी नेताओं के साथ विमर्श के बाद तैयार की जाएगी।
इधर किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने दावा किया कि हरियाणा पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले छोड़े जाने के कारण पांच से छह प्रदर्शनकारी किसान घायल हो गए हैं।
उधर लोक सभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर किसानों पर हरियाणा पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई की निंदा की है। राहुल गांधी ने कहा है कि सरकार को किसानों की मांगों पर गौर करना चाहिए और सहानुभूतिपूर्वक उसके समाधान पर विचार करना चाहिए।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले जुटे किसानों की मांग है कि केंद्र फसलों के सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दे। सुरक्षाबलों द्वारा दिल्ली की ओर मार्च करने से रोकने के बाद से वे इस साल 13 फरवरी से ही पंजाब और हरियाणा से सटे शंभू और खनोरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। किसान एमएसपी के अलावा कर्ज माफी, किसानों एवं खेत मजदूरों के लिए पेंशन देने और बिजली दरों में बढ़ोतरी न करने की मांग कर रहे हैं। वे 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने की भी मांग कर रहे हैं।
शुक्रवार सुबह बॉर्डर से 101 किसानों के एक जत्थे ने दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू किया, लेकिन उन्हें कुछ मीटर बाद ही हरियाणा पुलिस ने अवरोध लगाकर रोक दिया। प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए और धरना स्थल पर वापस भेजने के लिए पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। किसान नेताओं ने दावा किया कि इससे कुछ प्रदर्शनकारी किसान घायल हो गए और उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया। हरियाणा पुलिस ने किसानों से आगे न बढ़ने को कहा और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू होने का हवाला दिया।
अंबाला जिला प्रशासन ने जिले में पांच या उससे अधिक व्यक्तियों के गैरकानूनी रूप से एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया है। विभिन्न किसान यूनियन के झंडे थामे कुछ किसानों ने घग्गर नदी पर बनाए गए पुल पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा लगाई गई लोहे की जाली को नीचे धकेल दिया।