प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में अभूतपूर्व गति और पैमाने पर काम कर रही है और दुनिया में जारी संघर्षों व उथल-पुथल के बीच भारत उम्मीद की एक किरण बना है।
एनडीटीवी विश्व शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने भारत को एक उभरती शक्ति बताते हुए यह भी कहा कि भारत के पास एस्पिरेशनल इंडिया (एआई यानी आकांक्षी भारत) और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के ‘दोहरे एआई’ का लाभ है और जब दोनों की ताकत मिलती है तब विकास की गति भी तेज होना स्वाभाविक है।
मोदी ने कहा कि भारत संकट के समय का साथी है और कोविड महामारी के दौरान भेजे गए जीवनरक्षक टीके इसका उदाहरण हैं। उन्होंने कहा, ‘आज जब चर्चा का केंद्र चिंता ही है, तब भारत में चर्चा का विषय है ‘भारत की शताब्दी।’ दुनिया में मची उथल-पुथल के बीच भारत उम्मीद की एक किरण बना है। जब दुनिया चिंता में डूबी है, तब भारत आशा का संचार कर रहा है।’
मोदी ने कहा कि चुनौतियां भारत के सामने भी हैं लेकिन इसमें सकारात्मकता की एक भावना है और जिसे सभी भारतवासी महसूस भी करते हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत इतिहास में वैश्विक विकास की ताकत रहा है, लेकिन भारत ने गुलामी भी देखी और औद्योगिक क्रांतियों का लाभ नहीं उठा पाया। अब, यह उद्योग 4.0 का समय है और हम तैयार हैं क्योंकि अब हम गुलाम नहीं हैं। देश उद्योग 4.0 के लिए आवश्यक कौशल विकास कर रहा है और बुनियादी ढांचे के निर्माण पर काम कर रहा है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एक विकासशील देश होने के साथ-साथ एक उभरती हुई शक्ति भी है। उन्होंने कहा, ‘हम गरीबी की चुनौतियां भी समझते हैं और प्रगति का रास्ता बनाना भी जानते हैं। हमारी सरकार तेजी से नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है, नए सुधार कर रही है।’
उन्होंने कहा, ‘आज भारत हर सेक्टर में, हर क्षेत्र में जिस तेजी से काम कर रहा है, वह अभूतपूर्व है। भारत की गति, भारत का पैमाना अप्रत्याशित है।’ उन्होंने कहा कि विकसित भारत की अवधारणा जन चेतना का हिस्सा बन गई है और जन शक्ति राष्ट्र शक्ति को शक्ति प्रदान कर रही है।
प्रधानमंत्री ने अपने तीसरे कार्यकाल के शुरुआती 125 दिनों में किए गए विभिन्न कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि अब भारत दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहा है और यह 2047 तक विकसित भारत बनाने के संकल्प में भी दिखता है।
उन्होंने कहा, ‘भारत की सोच और दृष्टिकोण में आए बदलाव पर आप भी ध्यान देते होंगे। अब हम बीते समय की तुलना नहीं करना चाहते और अपनी उपलब्धियों पर निर्भर नहीं होना चाहते। हम एक नए दृष्टिकोण के साथ अपने लक्ष्य के बारे में चिंतित हैं।’