देश में रविवार को कोविड-19 के 322 नए मरीज मिलने से संक्रमित मामलों की संख्या बढ़कर 3,742 हो गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। शनिवार को देश भर में 423 नए संक्रमित मामले थे।
रविवार की सुबह के आंकड़ों से पता चलता है कि केरल में बीते 24 घंटे में एक व्यक्ति की मौत हो गई। कर्नाटक में मरीजों के बढ़ने का सिलसिला बरकरार है। पिछले 24 घंटे में वहां 96 संक्रमित मामले सामने आने के बाद प्रदेश में इसके 271 मरीज हो गए हैं। पड़ोसी राज्य केरल में 128 नए मामले मिलने के बाद कुल संक्रमित मामलों की संख्या 3,000 के पार हो गई है। महाराष्ट्र में फिलहाल 103 सक्रिय मरीज हैं जबकि तमिलनाडु में 123 मरीज अभी भी संक्रमण की चपेट में हैं।
मामलों में वृद्धि बरकरार रहने पर राज्यों ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। तमिलनाडु के सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक टीएस सेल्वाविनयगम ने राज्य में कार्यरत सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। इसमें इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) और सांस संबंधी गंभीर बीमारी वाले मरीजों की निगरानी करना, इन मरीजों की आरटी-पीसीआर जांच कराना और मामलों में बढ़ोतरी पर सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में व्यवस्था सुनिश्चित कराने के लिए कहा गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत ने 11 दिसंबर को पत्र लिखकर 13 से 17 दिसंबर के बीच देश भर के सभी अस्पतालों (सरकार और निजी दोनों) में मॉक ड्रिल कराने का निर्देश दिया था। पंत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा था कि आपात स्थिति से निपटने के लिए वे तैयारी करें। इसके बाद पिछले बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने देश में कोविड-19 के बढ़ते मामलों और इसके नए वेरिएंट जेएम.1 के मिलने पर की गई समीक्षा बैठक के दौरान सभी अस्पतालों को हर तीन महीने पर मॉक ड्रिल करने के लिए कहा था। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 की वर्तमान स्थिति और तैयारी का जायजा लेने के लिए विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री और अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय वर्चुअल बैठक भी की थी।
अब हर तीन महीने पर होने वाले मॉक ड्रिल के लिए राज्य सरकार तैयारी कर रही है।
सेल्वाविनयगम ने सभी निजी और सरकारी अस्पतालों से मॉकड्रिल की सभी जरूरी तैयारी करने का निर्देश दिया है। उन्होंने सभी अस्पतालों से सभी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा है। साथ ही सभी वेंटिलेटर, प्रेशर स्विंग एडसॉर्प्शन (पीएसए), ऑक्सीजन संयंत्र, लिक्विड ऑक्सीजन टैंक, मेडिकल गैस पाइपलाइन और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर आदि की जांच करने को भी कहा है। खास बात है कि केंद्र के निर्देश से पहले ही कर्नाटक सरकार ने अस्पतालों में मॉकड्रिल कराने का निर्णय लिया था।
आपात स्थितियों से निपटने की तैयारी पर फोर्टिस हेल्थकेयर के समूह प्रमुख (चिकित्सा रणनीति एवं परिचालन) विष्णु पाणिग्रही ने कहा कि भले ही दक्षिणी राज्यों में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं मगर हमें भी सतर्क रहना होगा।
महाराष्ट्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि अब आरटी-पीसीआर जांच पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। पिछले 24 घंटे में राज्य में कुल 1,791 जांच (शनिवार तक के आंकड़े) किए गए। इनमें से 658 आरटी-पीसीआर जांच और 1,133 रैपिड ऐंटीजन जांच की गई। 22 दिसंबर तक महाराष्ट्र के पांच लोग अस्पताल में भर्ती थे, जिनमें से 2 आईसीयू में थे। शुक्रवार तक 63 मरीजों का घर में ही इलाज चल रहा है।
कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों से जहां एक ओर बड़े अस्पताल तैयार हैं वहीं दूसरी ओर छोटे अस्पताल चिंतित हैं। बड़े अस्पताल अब आसानी से सामान्य आईसीयू और वार्ड को कोरोना वार्ड बना सकते हैं जबकि छोटे अस्पतालों के लिए यह कठिन काम है।
मुंबई के 100 बेड वाले एक नर्सिंग होम के संचालक का कहना है कि पूरा सवाल व्यवहार्यता का है। नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर उन्होंने कहा, ‘वार्ड को कोविड-19 वार्डों में तब्दील करना अथवा कुछ बेड बनाना बड़े अस्पतालों के लिए समस्या की बात नहीं है। मगर, हमारे लिए यह व्यवहार्य नहीं है क्योंकि अब अधिकतर मरीजों को भर्ती होने की जरूरत नहीं है। इसका अर्थ हुआ कि हम सिर्फ कर्मचारियों के लिए पीपीई किट और अन्य वस्तुएं रख लें। हां, लहर के दौरान यह ठीक है जब बड़ी संख्या मरीज आते हैं मगर अभी के लिए यह हमारे लिए आर्थिक बोझ होगा।’
300 और उससे अधिक की बेड की क्षमता वाले बड़े अस्पतालों में अपने मरीजों की देखभाल के लिए एक अलग ऑक्सीजन संयंत्र होता है। इस तरह के मॉक ड्रिल और तैयारी अभियान चलाने से छोटे अस्पतालों को नुकसान होता है।
नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर राजधानी के एक छोटे अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जहां बड़े अस्पतालों ने ऑक्सीजन के लिए पीएसए संयंत्र बना लिए हैं वहीं 100 से 150 बेड वाले छोटे अस्पतालों में अगर मामले बढ़ते हैं तो ऑक्सीजन सिलिंडर के जरिये इसकी आपूर्ति की जा सकती है।
दिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि तैयारी अभियान में कोविड-उपयुक्त व्यवहार, प्रोटोकॉल और व्यापक स्टाफ प्रशिक्षण भी शामिल है।
टीके के स्टॉक के बारे में फोर्टिस के पाणिग्रही ने कहा कि मौजूदा स्टॉक कम पड़ेगा क्योंकि पुराने स्टॉक की तिथि खत्म हो चुकी है। उन्होंने कहा, ‘अगर फिर से कोरोनावायरस मामले बढ़ते हैं तो काफी हद तक संभावना है कि सरकार फिर टीका लगवाने को कह सकती है क्योंकि हममें से अधिकतर लोगों ने कुछ साल पहले टीका लगवाया कराया है।’ उन्होंने कहा, ‘जेएन.1 वेरिएंट के संबंध में मंत्रालय भी मान रहा है टीका इस वेरिएंट पर प्रभावी है। मगर फिर भी घबराने की कोई बात नहीं है। सतर्क रहें और जहां जरूरत हो वहां मास्क पहनें।’
वहीं भारत में सार्स-कॉव2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इनसाकॉग) के प्रमुख एनके अरोड़ा ने कहा है कि टीके की अतिरिक्त खुराक की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि 60 साल से ऊपर के उन लोगों के लिए बचाव की जरूरत है जो पहले से बीमार हैं और कैंसर जैसी बीमारी वाले मरीज जो वैसी कोई दवा ले रहे हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता कम कर देती है। यदि इन लोगों ने अभी तक टीके की तीसरी खुराक नहीं ली है तो उन्हें सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।