महंगाई की आंच में सब्जियां इस कदर उबलने लगी हैं कि लोगों के खाने का स्वाद बिगड़ने के साथ उनका बजट भी बिगड़ गया है। बड़े शहरों में रहने वालों की थाली में आसमान छूती सब्जियां मुश्किल से ही आ रही हैं। आपूर्ति कम होने से बाजार में सब्जियां कम ही आ रही हैं, जिससे बड़े शहरों के बाशिंदों का मासिक बजट हिल गया है।
सब्जी व्यापारियों की मानें तो अगले कुछ हफ्तों तक सब्जियों के ऊंचे भाव से राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है और कुछ दिन तक हालात ऐसे ही रह सकते हैं। देश में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के कारण लगातार भारी बारिश हो रही है, जिससे देश के प्रमुख फसल उत्पादक क्षेत्रों में खेत-खलिहानों में पानी भर गया है।
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सबसे ज्यादा तकलीफ टमाटर के ऊंचे भावों से हैं। पिछले एक महीने में इसकी बढ़ती कीमतों ने पूरे देश में हाहाकार मचा दिया है। हालात की नजाकत समझकर सरकार भी हरकत में आ गई है, जिससे भाव कुछ नरम पड़े हैं। दिल्ली की आजादपुर मंडी में 81 रुपये प्रति किलोग्राम चल रहे टमाटर के भाव पिछले कुछ दिनों में घटकर 65 रुपये प्रति किलो रह गए हैं। मगर एक महीने पहले के मुकाबले इनके भाव अब भी 207 प्रतिशत अधिक हैं।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने उपलब्ध आंकड़ों एवं लोगों के खपत के तरीके का विश्लेषण किया है। इससे पता चला है कि कुछ चुनिंदा सब्जियों पर शहरी लोगों को पिछले एक महीने (22 जून से 23 जुलाई) में 84 प्रतिशत ज्यादा रकम खर्च करनी पड़ी है। सब्जियों के दाम बढ़ने से पूरी खाद्य महंगाई के आंकड़ों पर असर पड़ सकता है।
पिछले कुछ महीनों में गेहूं और चावल के साथ मसालों और दलहन के भाव में भी भारी तेजी आई है। उनके बढ़े दाम भी औसत भारतीयों की जेब में तगड़ी सेंध लगा सकते हैं। चावल की बात करें तो पिछले सप्ताह जारी एक आधिकारिक बयान में स्वीकार किया गया कि साल भर पहले के मुकाबले इसके दाम में 11.5 प्रतिशत इजाफा हुआ है। चावल भारतीयों का प्रमुख खाद्यान्न है, इसलिए इसके दाम में इजाफा लोगों की जेब पर सीधा असर डालता है।
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काला सागर होकर यूरोप, अफ्रीका और दुनिया के अन्य हिस्सों को गेहूं की आपूर्ति से जुड़ा समझौता रूस के पीछे हटने से खटाई में पड़ गया है। इससे गेहूं का आयात करने वाले देशों में खाद्य सुरक्षा के लिए भी खतरा उत्पन्न हो गया है।
भारत में गेहूं का पर्याप्त भंडार मौजूद है मगर दुनिया भर में इसकी कीमतें बढ़ीं तो देश में महंगाई थामने के लिए सस्ता गेहूं आयात करना सरकार के लिए मुश्किल हो सकता है। खाद्य तेल में तो महंगाई का असर दिखना शुरू भी हो गया है। पिछले एक महीने में सूरजमुखी के कच्चे तेल का आयात मूल्य 10 प्रतिशत तक बढ़ गया है।