भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ रहे तनाव के बीच गृह मंत्रालय ने सोमवार को देश के कई राज्यों को निर्देश दिया है कि वे बुधवार, 7 मई को सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित करें। इन ड्रिल्स के दौरान हवाई हमले के सायरन बजाए जाएंगे और नागरिकों को आपात स्थिति में खुद को सुरक्षित रखने के उपाय सिखाए जाएंगे। मंत्रालय का कहना है कि यह अभ्यास दुश्मन हमले की स्थिति में नागरिक सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियों को परखने के लिए किया जा रहा है।
इस अभ्यास को देश के 244 तय ‘सिविल डिफेंस ज़िलों’ में लागू किया जाएगा। इसमें अचानक बिजली बंद करने (ब्लैकआउट), ज़रूरी ठिकानों को छुपाने (कैमोफ्लाज) और लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाने की योजनाओं को दोहराया जाएगा। यह पहली बार है जब 1971 के बांग्लादेश युद्ध के बाद इतनी बड़ी सिविल डिफेंस ड्रिल की जा रही है। यह मॉक ड्रिल 1968 के सिविल डिफेंस नियमों के तहत की जा रही है, जिसे मंत्रालय ने 2 मई को मंज़ूरी दी थी।
यह एक तरह की तैयारियों की प्रक्रिया है, जिसमें युद्ध, हवाई हमले, या आतंकी घटनाओं जैसी आपात स्थितियों में राज्य और ज़िले की व्यवस्थाएं कितनी सक्षम हैं, इसकी जांच की जाती है। इसका उद्देश्य यह समझना होता है कि अलग-अलग विभागों में तालमेल कितना अच्छा है और आम जनता इन हालातों से कैसे निपटती है। ड्रिल के दौरान रासायनिक हमलों, आतंकियों के समन्वित हमले, और निकासी जैसे हालातों की नक़ल की जाएगी।
7 मई को जब यह अभ्यास होगा, तब आम जनता को कुछ देर के लिए बिजली बंद होने, तेज़ सायरन की आवाज़, मोबाइल नेटवर्क में बाधा या ट्रैफिक डायवर्जन जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। कुछ सार्वजनिक जगहों को अस्थायी रूप से बंद भी किया जा सकता है। इसमें हिस्सा लेने वालों में सिविल डिफेंस वॉर्डन, होम गार्ड, एनसीसी और एनएसएस के सदस्य, नेहरू युवा केंद्र से जुड़े लोग और स्कूल-कॉलेज के छात्र भी शामिल होंगे।
सरकार का कहना है कि मौजूदा हालात में देश को “नए और जटिल खतरों” का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए ऐसे अभ्यास ज़रूरी हो गए हैं। इस ड्रिल के ज़रिए सरकार यह देखना चाहती है कि हवाई हमलों की चेतावनी देने वाले सिस्टम कितने प्रभावी हैं, कंट्रोल रूम और उनके बैकअप सिस्टम कितनी जल्दी एक्टिव होते हैं, और क्या ज़रूरी ठिकानों को जल्दी से सुरक्षित किया जा सकता है। साथ ही यह भी जांचा जाएगा कि राज्य और स्थानीय एजेंसियां आपस में कितनी बेहतर तालमेल से काम करती हैं।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद भारत सरकार ने कई सख्त कदम उठाए हैं। इनमें 1960 के सिंधु जल समझौते को निलंबित करना, अटारी बॉर्डर के ज़रिए सीमा पार व्यापार को रोकना और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीज़ा छूट स्कीम को रद्द करना शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक में साफ कहा कि सेना को अब पूरी ‘ऑपरेशनल फ्रीडम’ है — यानी जवाब कब, कहां और कैसे देना है, इसका फैसला सेना खुद करेगी।