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पराली जलाने पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट: पंजाब-हरियाणा से मांगी स्टेटस रिपोर्ट, बढ़ते प्रदूषण पर जताई चिंता

प्रदूषण की लगातार गंभीर होती ​स्थिति को देखते हुए न्याय मित्र अपराजिता सिंह ने अदालत से मामले में तत्काल कदम उठाने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया

Last Updated- November 12, 2025 | 10:04 PM IST
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उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पंजाब और हरियाणा से पराली जलाने को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने दोनों राज्यों की सरकारों को पराली जलाने से रोकने के लिए लागू उपायों की रूपरेखा वाली रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। याचियों में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन के पीठ को बताया कि शहर के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता का स्तर (एक्यूआई) 450 को पार कर गया है और उच्चतम न्यायालय परिसर के भीतर सहित अन्य जगहों पर खूब निर्माण गतिविधि चल रही हैं।

उन्होंने तर्क दिया कि भले वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स ऐक्शन प्लान (ग्रैप) के स्टेज III पर अमल शुरू कर दिया है, लेकिन ​स्थिति और बिगड़ने पर स्टेज IV को तत्काल लागू करना होगा। सुनवाई के दौरान एक अ​धिवक्ता ने वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों से डेटा की विश्वसनीयता के बारे में सामने आ रही चिंताओं पर ध्यान आकर्षित किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कुछ अपलोड किए गए आंकड़े झूठे हैं।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि एक स्टेटस रिपोर्ट पहले ही दायर की जा चुकी है और अधिकारी स्थिति स्पष्ट करने के लिए मौजूद हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि मामले को अगले दिन लिया जाए, लेकिन पीठ ने सोमवार के लिए सूचीबद्ध करने का फैसला किया।

प्रदूषण की लगातार गंभीर होती ​स्थिति को देखते हुए न्याय मित्र अपराजिता सिंह ने अदालत से मामले में तत्काल कदम उठाने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया। उन्होंने नासा के एक वैज्ञानिक द्वारा उठाई गई नई चिंताओं पर भी प्रकाश डाला, जिन्होंने कथित तौर पर पाया कि किसान सैटेलाइट का पता लगाने से बचने के लिए पराली जलाने का समय निर्धारित कर रहे थे।

सिंह ने मीडिया रिपोर्टों का भी उल्लेख किया, जिसमें संकेत दिया गया था कि स्थानीय प्रशासनों ने किसानों को विशिष्ट समय पर अवशेष जलाने की सलाह दी थी, जिससे पराली जलाने के डेटा की सटीकता के बारे में संदेह पैदा होता है।

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘अगर यह विश्लेषण सही है, तो आधिकारिक गिनती से यह पता नहीं लगाया जा सकता कि किस स्तर पर पराली जलाई जा रही है।’ उन्होंने कहा कि एक्यूआई के 400 को पार करने पर सीएक्यूएम के हस्तक्षेप से मामले संभालने वाले 2018 के आदेश पर फिर से विचार किया जाना चाहिए। लेकिन, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी।

First Published - November 12, 2025 | 9:57 PM IST

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