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सिर्फ ‘रेवड़ी कल्चर’ ही नहीं है हिमाचल की कंगाली की वजह, आंकड़ों ने उठाया हकीकत से पर्दा

पिछले साल पुरानी पेंशन प्रणाली पर लौटकर राज्य ने खुद को नुकसान पहुंचाया है, लेकिन इस मद में देनदारी तत्काल नहीं है और भविष्य की सरकारों पर भी इसका बोझ पड़ेगा।

Last Updated- September 13, 2024 | 7:51 PM IST
'Revdi culture' is not the only reason for poverty in Himachal, statistics reveal the reality सिर्फ ‘रेवड़ी कल्चर’ ही नहीं है हिमाचल की कंगाली की वजह, आंकड़ों ने उठाया हकीकत से पर्दा

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार बिजली पर उपकर (electricity cesses) लगाने और सब्सिडी को तार्किक रूप से व्यवस्थित करने की योजना बना रही है, क्योंकि उसे अपने खस्ताहाल वित्तीय स्थिति को सुधारने की आवश्यकता महसूस हो रही है। कोरोना महामारी के वर्ष (2020-21) को छोड़ दिया जाए तो तीन साल पहले तक, राज्य रेवेन्यू सरप्लस की स्थिति में था। आसान भाषा में कहें तो हिमाचल की कमाई उसके खर्चों से अधिक थी। हालांकि, हिमाचल की समस्या के लिए सिर्फ सब्सिडी को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं होगा, घटता केंद्रीय अनुदान (central grants) भी इसका एक प्रमुख कारण हैं।

राज्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए जरूरी खर्च हिमाचल सरकार की कमाई या राजस्व प्राप्तियों का लगभग 80 प्रतिशत है। कई विशेषज्ञ कहते हैं कि पिछले साल पुरानी पेंशन प्रणाली (old pension system) पर लौटकर राज्य ने खुद को नुकसान पहुंचाया है, लेकिन इस मद में देनदारी तत्काल नहीं है और भविष्य की सरकारों पर भी इसका बोझ पड़ेगा। संभवतः FY35 तक हिमाचल में बनने वाली सरकारों को इसका भार ढोना पड़ सकता है। लेकिन 2022-23 में प्रतिबद्ध व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, वह समय था जब राज्य में पहले भारतीय जनता पार्टी और फिर कांग्रेस का शासन था।

सब्सिडी में भी 2022-23 में वृद्धि देखी गई। राज्य ने FY25 में सब्सिडी को काफी हद तक कम करने का वादा किया है, लेकिन पहले चार महीनों के प्रदर्शन से यह संकेत नहीं मिलता कि वह अनुमानित लक्ष्य को हासिल कर पाएगा, जब तक कि वह कुछ हिस्सों की सब्सिडी में कटौती न करे। (देखें चार्ट-1)

जबकि राज्य का अपना कर राजस्व (OTR) बढ़ रहा है। वहीं, केंद्रीय अनुदान में भारी कमी आई है। FY24 से पहले, केंद्रीय अनुदान में कुछ वर्षों में OTR का आधा या कम से कम 40 प्रतिशत से अधिक शामिल था। अब, केंद्रीय अनुदान OTR के एक-तिहाई से भी कम होने का अनुमान है। (देखें चार्ट-2)

ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर अनुदान FY25 में 2021-22 (चुनाव पूर्व वर्ष) के 17,633 करोड़ रुपये के स्तर पर बने रहते हैं, तो राज्य का अनुमानित राजस्व घाटा समाप्त हो जाएगा। FY25 के लिए अनुदान- 13,287 करोड़ रुपये के रूप में अनुमानित है, जो केंद्र सरकार द्वारा वित्त आयोग (इस अवधि के लिए 15वां वित्त आयोग) की सिफारिशों पर दिया जाता है।

हिमाचल का राजकोषीय घाटा पिछले दो वित्तीय वर्षों में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) की 3.5 प्रतिशत की अनुमत सीमा से काफी अधिक रहा है। FY25 के लिए, इसे लगभग 5 प्रतिशत के करीब आंका गया था। परिणामस्वरूप, राज्य के ऋण को GSDP के 40 प्रतिशत से कम करना मुश्किल हो रहा है। (देखें चार्ट 3)

मंगलवार को राज्य विधानसभा ने बिजली की खपत पर प्रति यूनिट 10 पैसे का दूध उपकर और 2 पैसे से लेकर 6 रुपये प्रति यूनिट तक का पर्यावरण उपकर लगाने के लिए एक विधेयक पारित किया। सरकार ने पहले ही मंत्रियों, प्रमुख संसदीय सचिवों, बोर्ड और निगमों के अध्यक्षों और उपाध्यक्षों, और कैबिनेट रैंक वाले व्यक्तियों के वेतन और भत्तों को दो महीने के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया था।

First Published - September 13, 2024 | 7:51 PM IST

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