पिछले कुछ वर्षों में विश्व की बड़ी कंपनियों ने भारत के खुदरा व्यापार पर कब्जा करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। जब देश में मॉल कल्चर (मॉर्डन ट्रेड स्टोर्स ) शुरू हुआ तो उस समय मान लिया गया था कि देश के किराना स्टोर्स इनके सामने टिक नहीं पाएंगे और जल्द बंद हो जाएंगे, लेकिन बीते 20 सालों में किराना स्टोर्स अपनी जमीन पर खड़े हैं और खुदरा कारोबार में इनकी हिस्सेदारी आज भी करीब 88 फीसदी से ज्यादा है।
कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में विश्व की बड़ी कंपनियों ने भारत के खुदरा व्यापार पर अपने डोरे डालते हुए इसे हथियाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है और इसके लिए सरकार से खुद के निजी फायदे के लिए नीतियां तैयार करवाई है लेकिन भारत का परंपरागत खुदरा व्यापारी किसी भी प्रकार की मचक ना देते हुए अपने पेशेवर तरीकों से मुकाबला कर रहा है।
इंडियन रिटेल मार्केट साल 2020 में 800 बिलियन डॉलर का था, जब देश के दो बड़े कारोबारियों ने इस सेक्टर में कदम रखा। जी हां, हम यहां पर रिलायंस और अदाणी की ही बात कर रहे हैं। भारत के रिटेल मार्केट ने सिर्फ इन दोनों को ही अपनी ओर आकर्षित नहीं किया, बल्कि दुनिया के सबसे बड़े रिटेल स्टोर वॉलमार्ट, टाटा, बिड़ला, आरपीजी ग्रुप, नैंज ग्रुप जैसे कई नाम इस फेहरिस्त में शामिल हैं।
इन तमाम कंपनियों ने बीते 20 सालों में देश के रिटेल मार्केट में सेंध लगाने की पूरी कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मौजूदा समय में आज भी देश का रिटेल मार्केट या यूं कहें किराना स्टोर्स मजबूती के साथ खड़ा हुआ है।
मॉर्डन ट्रेड स्टोर्स ने महानगरों से लेकर टियर-2 शहरों तक विस्तार देखा है और भारत के रिटेल मार्केट में सिर्फ 10 फीसदी की हिस्सेदारी ही पा सके है।
CAIT के महाराष्ट्र प्रदेश के वरिष्ठ अध्यक्ष महेश बखाई ने कहा यदि सरकार भारत के खुदरा व्यापार को एक समान स्तर पर कानून एवं लाभ देती है तो इन विदेशी एवं देसी औद्योगिक घरानों को किराना व्यापार से अपना बोरिया बिस्तर वापस लेने में देर नहीं लगेगी।
CAIT की तरफ से कहा गया कि साल 2022 में भारत में सबसे ज्यादा अरबपतियों की फौज थी। दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इको सिस्टम भारत के पास है, लेकिन यह बात भी सच है कि देश की 69 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है और देश की इकोनॉमी का बड़ा हिस्सा कृषि से है।
लगभग 54 फीसदी आबादी अभी भी कृषि से होने वाली आय पर निर्भर है। भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 2022 के अंत तक 1,850 डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
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कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर टाटा, बिड़ला, अंबानी, अदाणी, वॉलमार्ट जैसे बड़े ग्रुप रिटेल मार्केट में अपनी मौजूदगी मजबूती के साथ क्यों पेश नहीं कर सके। इनके अलावा बड़ी ऑनलाइन कंपनियां जिसमें अमेजॉन, फ्लिपकार्ट से लेकर कई अंतर्राष्ट्रीय एवं अंतर्देशीय कंपनियों ने प्रयत्न किए लेकिन भारत का परंपरागत खुदरा किराना व्यापार बिल्कुल हिले बिना मुकाबला कर रहा है, यह वाकई में एक प्रशंसनीय बात है।
कारोबारियों का कहना है कि परचून , किराना वाले थोड़ा परेशान जरूर हुए लेकिन मौके की नजाकत को समझते हुए इन दुकानदारों ने भी तकनीक का इस्तेमाल शुरू कर दिया। आपसी संबध और घर तक भरोसे के साथ पहुंच एवं कुछ दिनों की उधारी वाली परंपरा इनकी सबसे बड़ी ताकत साबित हुई।