दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के कामकाज की समीक्षा के तहत संसदीय स्थायी समिति ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा को 10 जुलाई को उसके समक्ष पेश होने के लिए कहा है। इसी मुद्दे पर बीते 28 और 29 मई को हुईं पिछली दो बैठकों में समिति के सदस्यों को आईबीसी में कुछ गड़बड़ी का पता चला था। इन बैठकों में भूषण पावर ऐंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील की समाधान योजना को रद्द करने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले पर भी चर्चा हुई थी।
आईबीसी के मुद्दे पर समिति की तीसरी बैठक 10 जुलाई को होगी। लोक सभा सचिवालय के अनुसार, संसदीय स्थायी वित्त समिति इस बैठक में दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के कामकाज की समीक्षा और उभरते मुद्दों के बारे में आरबीआई गवर्नर की राय जानेगी। उसी दिन इस बैठक से पहले भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक के प्रतिनिधि भी इसी विषय पर समिति के समक्ष अपनी बात रखेंगे।
बीते 29 मई को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों ने भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति के समक्ष इस विषय पर सारी जानकारी रखी थी। भारतीय दिवाला और दिवालियापन बोर्ड, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नैशनल बैंक और केनरा बैंक के प्रतिनिधि भी समिति के समक्ष पेश हुए थे। सूत्रों ने कहा कि साल 2016 में अधिनियमित आईबीसी में संशोधन करने के सरकार के इरादे को देखते हुए इसकी समीक्षा के संबंध में समिति की सिफारिशें काफी महत्त्वपूर्ण होंगी।
समिति में भाजपा सांसद महताब के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस की ओर से पी चिदंबरम, मनीष तिवारी तथा गौरव गोगोई, तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद पीपी चौधरी एवं शिवसेना के मिलिंद देवड़ा शामिल हैं।