महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) का मामला राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। सभी मराठा संगठन सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे हैं।
मराठा संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि सरकार फैसला ले नहीं तो परिणाम भुगताने के लिए तैयार रहे हैं। दशहरा तक आरक्षण पर फैसला नहीं हुआ तो मराठा आरक्षण मुंबई तक लंबा मार्च निकालने की तैयारी में है , साथ ही 25 अक्टूबर से अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल पर जाने की घोषणा की है।
राज्य में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर पिछले 24 घंटे में दो युवाओं ने आत्महत्या की है। मराठा संगठनों ने इन आत्महत्याओं के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि आरक्षण के मुद्दे पर शिंदे सरकार को अब बिना देर किए फैसला लेना होगा।
संगठनों की ओर से सरकार को चेतावनी दी गई है कि मराठा नेता मनोज जरांगे की ओर से सरकार को दी हुई डेडलाइन मंगलवार को खत्म हो रही है। ऐसे में बुधवार से जरांगे दोबारा भूख हड़ताल पर बैठ सकते हैं। मनोज जरांगे का कहना है कि इस बार सामूहिक अनशन होगा। ऐसे में पिछली बार की तरह लॉ एंड ऑर्डर का सवाल न खड़ा इस बात को सरकार बखूबी समझती है।
मराठा की हूंकार से सरकार के हाथ पांव फूलने लगे हैं सरकार इस मुद्दे पर लगातार अपनी बात रख रही हैं। उपमुख्यमंत्री देवेंन्द्र फडणवीस ने कहा कि आरक्षण बहुत गंभीर मुद्दा है। पूर्व में हमारी सरकार ने आरक्षण दिया था। इसे हाई कोर्ट में बरकरार रखा गया। जब तक हमारी सरकार थी, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर रोक नहीं लगाई। उसके बाद जो हुआ उसकी राजनीति में हम नहीं जाना चाहते।
कल मुख्यमंत्री ने बहुत स्पष्ट रूप से अपनी प्रतिबद्धता बता दी है कि वह मराठा समुदाय को आरक्षण देंगे। हम सभी मुख्यमंत्री का समर्थन करते हैं। राज्य सरकार आरक्षण के लिए प्रयास करेगी।
पिछड़ा वर्ग आयोग का पुनर्गठन करने की मांग
पिछड़ा वर्ग आयोग का पुनर्गठन करने की मांग पर फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री इस संबंध में उचित निर्णय लेंगे। जरूरत पड़ी तो पुनर्गठन भी किया जायेगा। अगर कोई रिक्तियां हैं, तो उसे भी पूर्ण किया जाएगा। ओबीसी गणना में सरकार की भूमिका पहले ही स्पष्ट हो चुकी है। सरकार ने कभी इसका खंडन नहीं किया। यह पद्धति का प्रश्न है। जैसा कि बिहार में हुआ है।
उन्होंने कहा कि जब संविधान, न्यायपालिका सम्मलित हो तो सोच-समझकर फैसला लेना पड़ता है। आज जल्दबाजी में फैसला लिया गया, अदालत में टिकेगा नहीं। तो फिर उस पर टीका-टिप्पणी होगी कि आपने समाज को मूर्ख बनाने का निर्णय लिया है। इसलिए मुख्यमंत्री ने कहा कि हम स्थायी निर्णय लेंगे।
युवाओं से आत्महत्या न करने की मुख्यमंत्री ने की अपील
कार्यकर्ता मनोज जारांगे की आमरण अनशन की चेतावनी पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उनकी सरकार मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने युवाओं से आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाने की अपील की।
उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे के नेतृत्व में एक पैनल मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी ओबीसी प्रमाण पत्र देने के कदम के तहत मराठवाड़ा में पुराने रिकॉर्ड का अध्ययन कर रहा है। मैं भी एक किसान का बेटा हूं और मराठा समुदाय को आरक्षण मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।
मुसलमानों ने भी शुरु की आरक्षण की मांग
मराठा, धनगार और ओबीसी के साथ महाराष्ट्र के मुस्लिम नेता भी आरक्षण की मांग को लेकर लामबंद होने लगे हैं। मुस्लिम नेता हर दिन मुस्लिम संगठनों के साथ बैठ कर रहे हैं जिससे सरकार की मुसीबत बढ़ने लगी है। आरक्षण की मांग कर रहे मुसलमान कहते हैं कि उन्हें ठीक ढंग से सरकारी नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों और अन्य सामाजिक स्तर पर प्रतिनिधित्व नहीं मिलता।
आरक्षण से मुस्लिम समाज को उनका उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा और इससे वह राजनीतिक रूप से भी सशक्त हो पाएंगे। कांग्रेसी नेता नसीम खान के मुताबिक 5 फीसदी आरक्षण कांग्रेस सरकार ने लागू की थी जिसे कथित रूप से बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी स्वीकार किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि धार्मिक आधार पर आरक्षण दिए जाने की बात कहकर भाजपा सरकार ने आरक्षण को रद्द कर दिया।