Maha Kumbh 2025: बसंत पंचमी पर आखिरी अमृत स्नान के बाद भी जहां प्रयागराज महाकुंभ में आने वालों का तांता लगा हुआ है, वहीं संतों के अखाड़ों में धर्म ध्वजा की डोर ढीली कर अब काशी कूच की तैयारी होने लगी है। उधर अखाड़ों के स्वागत के लिए वाराणसी में तैयारियां होने लगी हैं।
महाकुंभ नगर में डेरा जमाए 13 अखाड़ों और एक अन्य किन्नर अखाड़े में से शैव परंपरा को मानने वालों ने अब मेला क्षेत्र खाली करने की तैयारी शुरू कर दी है। शुक्रवार को अखाड़ों में धर्म ध्वज के चारो बंध ढीले कर कुंभ क्षेत्र छोड़ने की औपचारिक तैयारी शुरू हो गई है। शुक्रवार को ही अखाड़ों में संतों, महंतो व सन्यासियों ने एक साथ कढ़ी-पकौड़े का भोज कर कुंभ के समापन का औपचारिक संकेत दे दिया है।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि सातों सन्यासी अखाड़ों में वापसी की तैयारी होने लगी है। अब काशी के लिए प्रस्थान किया जाएगा जहां महाशिवरात्रि के मौके पर गंगा स्नान के बाद अखाड़ों के संत अपने अपने आश्रमों व ठिकानों पर लौट जाएंगे। महंत पुरी ने कहा कि इस मौके पर काशी में ही संत समुदाय आपस में होली खोलेगा, और 12 वर्षों के बाद फिर मिलने के लिए विदा लेंगे। उन्होंने कहा कि सभी शैव अखाड़े काशी में ही होली मनाते हैं।
सबसे अधिक नागा सन्यासियों वाले पंच दशनाम जूना अखाड़ा के संत वाराणसी में गंगा के किनारे हनुमान घाट स्थित अपने मुख्यालय में डेरा जमाएंगे जबकि आह्वान अखाड़े का ठिकाना दशाश्वमेध घाट पर होगा। सभी अखाड़ों के देवता कुंभ क्षेत्र से लाकर यहां स्थापित किए जाएंगे।
प्रयागराज के बाद अब अगले 20 दिनों तक वाराणसी में गंगा तट पर, अखाड़ों के मुख्यालयों व उनसे संबंधित आश्रमों में मेला सजेगा। कुंभ के ही तर्ज पर अखाड़ों का काशी में भी गाजे-बाजे से साथ पेशवाई का जुलूस निकलेगा। आहावान अखाड़े की पेशवाई वाराणसी में कबीरचौरा स्थित आश्रम से निकलेगी तो जूना अखाड़े की पेशवाई कमच्छा स्थित जपेश्वर महादेव आश्रम से निकलेगी। पेशवाई से पहले घी-दही के साथ खास खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा। इन दोनों के अलावा बाकी अखाड़ों की पेशवाई नहीं निकलेगी।
हालांकि अखाड़ों की वापसी के बाद भी महाकुंभ में आने वालों और संगम पर स्नान करने वालों की तादाद में खास कमी नहीं आई है। अधिकारियों का कहना है कि मौनी अमावस्या के अमृत स्नान पर हुई भगदड़ के बाद यातायात पर लगाए गए प्रतिबंध अब हटा लिए गए हैं। आवागमन आसान होने के चलते अब भी बाहरी राज्यों से भारी संख्या में रोज लोग प्रयागराज पहुंच रहे हैं। 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा के स्नान के मौके पर एक बार फिर से करोड़ों लोगों के जुटने का अनुमान है।