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दृष्टिबाधित व्यक्तियों को न्यायिक सेवाओं में अवसर से वंचित नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष न्यायालय ने स्वत: संज्ञान वाले एक मामले सहित छह याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

Last Updated- March 03, 2025 | 10:42 PM IST
Supreme Court Stray Dogs order

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक महत्त्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि दृष्टिबाधित व्यक्तियों को न्यायिक सेवाओं में रोजगार के अवसर से वंचित नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन के पीठ ने पिछले साल 3 दिसंबर को कुछ राज्यों में न्यायिक सेवाओं में दृष्टिबाधित व्यक्तियों को आरक्षण न दिए जाने को लेकर स्वत: संज्ञान वाले एक मामले सहित छह याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायमूर्ति महादेवन ने कहा कि न्यायिक सेवा में भर्ती के दौरान दिव्यांगजन के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए तथा सरकार को समावेशी ढांचा सुनिश्चित करने के लिए उनके लिए सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। न्यायाधीश ने कहा, ‘चाहे वह ‘कटऑफ’ के माध्यम से हो या प्रक्रियात्मक बाधाओं के कारण, किसी भी प्रकार के ऐसे अप्रत्यक्ष भेदभाव में हस्तक्षेप किया जाना चाहिए जिसके परिणामस्वरूप दिव्यांगजन को अवसर से वंचित रखा जाता हो ताकि मौलिक समानता बरकरार रखी जा सके।’

अदालत ने ‘द रणवीर शो’ के प्रसारण की अनुमति दी 

उच्चतम न्यायालय ने पॉडकास्टर रणवीर इलाहाबादिया को उनके ‘द रणवीर शो’ को प्रसारित करने की सोमवार को अनुमति दे दी, बशर्ते वह ‘नैतिकता और शालीनता’ बनाए रखें और यह वचन दें कि यह सभी आयु वर्ग के लिए उपयुक्त है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह के पीठ ने इलाहाबादिया की इस दलील पर गौर किया कि पॉडकास्ट उनकी आजीविका का एकमात्र स्रोत है और उनके द्वारा काम पर रखे गए लगभग 280 लोग इस शो पर निर्भर हैं। पीठ ने इलाहाबादिया को गिरफ्तारी से दिए गए अंतरिम संरक्षण को अगले आदेश तक बढ़ा दिया तथा उन्हें गुवाहाटी में जांच में शामिल होने को कहा। केंद्र और महाराष्ट्र, असम एवं ओडिशा जैसे राज्यों की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि विवादास्पद यूट्यूब शो ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ पर की गई टिप्पणी न केवल अश्लील हैं, बल्कि अनुचित भी हैं। उन्होंने अदालत से कोई भी शो को प्रसारित नहीं करने की शर्त में बदलाव नहीं करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘उन्हें कुछ समय के लिए चुप रहने दें।’ पीठ ने इलाहाबादिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव चंद्रचूड़ से कहा कि मौलिक अधिकार थाली में (परोस कर) नहीं मिलते, बल्कि उनके साथ कुछ पाबंदियां जुड़ी होती हैं। 

सोशल मीडिया वाली याचिका पर सुनवाई को तैयार 

उच्चतम न्यायालय ने किसी सोशल मीडिया अकाउंट या उस पर उपलब्ध सामग्री को संबंधित ‘क्रिएटर’ या मूल स्रोत को सुनवाई का मौका दिए बिना ब्लॉक करने के मुद्दे से जुड़ी याचिका पर विचार करने पर सोमवार को सहमति जताई। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह के पीठ ने सूचना प्रौद्योगिकी (जनता द्वारा सूचना तक पहुंच को अवरुद्ध करने की प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय) नियम, 2009 के नियम 16 ​​को रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका पर केंद्र से जवाब तलब किया। पीठ ने याचिका को लेकर नोटिस जारी किया। 

First Published - March 3, 2025 | 10:32 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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