महाराष्ट्र सरकार के लाखों कर्मचारियों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही, हालांकि एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उनसे काम पर लौटने की अपील की थी। सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल किए जाने की मांग कर रहे हैं।
हड़ताल के कारण सरकारी अस्पतालों और कार्यालयों में कामकाज प्रभावित हुआ है। हड़ताली कर्मचारियों पर सरकार सख्ती बरतने के भी संकेत देना शुरू कर दी है।
राज्य सरकार के कर्मचारियों, अर्द्ध-सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों के करीब 35 संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाली समिति के संयोजक विश्वास काटकर ने दावा किया कि उनके सदस्य महाराष्ट्र के सभी 36 जिलों में हड़ताल और प्रदर्शनों में हिस्सा ले रहे हैं।
शिंदे की अपील को खारिज करते हुए उन्होने कहा कि कर्मचारियों की मांगों को पूरा किया जाए। काटकर ने कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों ने 2018 में भी इसी तरह का आंदोलन किया था, जिसके बाद एक समिति का गठन किया गया था लेकिन इसकी रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कर्मचारियों ने 2022 में भी हड़ताल की थी लेकिन उनकी मांग पूरी करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं हुई। महाराष्ट्र नर्सिंग एसोसिएशन की सुमित्रा टोटे ने कहा कि 30 जिलों में उनकी शाखाएं हड़ताल में शामिल हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने विधानसभा में हड़ताल को समाप्त करने के लिए सरकार से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पिछले दो दिन की हड़ताल के दौरन स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।
H3N2 फ्लू के मामले बढ़ रहे हैं और हड़ताल का असर आम लोगों पर पड़ रहा है। एक अस्पताल में 150 से ज्यादा सर्जरी लंबित हैं। हाल में हुई बेमौसम बारिश के कारण फसलों को हुए नुकसान का पंचनामा करने की प्रक्रिया हड़ताल के कारण बंद हो गई है।
प्रशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आवश्यक सेवाएं प्रभावित हुई हैं। गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार के लाखों कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को लेकर मंगलवार से हड़ताल पर हैं।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कल हड़ताल वापस लेने की अपील करते हुए विधानसभा में कहा कि राष्ट्रीय सेवानिवृत्त वेतन योजना और पुरानी सेवानिवृत्त वेतन योजना का तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जा रहा है। समिति तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी।
इस समिति में भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी सुबोध कुमार, के.पी. बक्षी, सुधीर कुमार श्रीवास्तव शामिल होंगे। साथ ही लेखा एवं कोषागार विभाग के निदेशक इस समिति के सचिव के रूप में काम देखेंगे। यह समिति उपाय योजना के संबंध में सिफारिश-रिपोर्ट तीन महीने में सरकार को प्रस्तुत करेगी।
शिंदे ने कहा कि सरकार कर्मचारियों की मांगों पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है और सकारात्मक निर्णय लेना सरकार की भूमिका है। इसे ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने अपील की है कि हड़ताल वापस ली जाए ताकि इस हड़ताल से नागरिकों की सेवाएं प्रभावित न हों और स्वास्थ्य विभाग के मरीजों को असुविधा न हो।
हड़ताल को रोकने के लिए सरकार ने कर्मचारियों को मेस्मा कानून लगाने की भी चेतावनी दी है। मेस्मा की अवधि फरवरी 2023 में खत्म हो गई थी। इसके मद्देनजर मंगलवार को सरकार ने विधानसभा और विधान परिषद में महाराष्ट्र अत्यावश्यक सेवा सुरक्षा अधिनियम (मेस्मा) कानून पारित करवा लिया है।
अब सरकार हड़ताली कर्मचारियों पर मेस्मा के तहत कार्रवाई कर सकती है। राज्य सरकार के कर्मचारियों द्वारा हड़ताल पर जाने की धमकी के बाद सरकार ने कल इस कानून को फिर से बहाल करने का फैसला किया था। सरकार ने दोनों सदनों में इस संबंध में बिल पेश कर, इस कानून को अगले पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया है।