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New Education Policy 2020: शिक्षा बजट बढ़ाने का वादा, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है?

सरकार ने शिक्षा पर खर्च को जीडीपी के 6% तक ले जाने का लक्ष्य रखा, लेकिन मौजूदा आंकड़े दिखा रहे हैं हकीकत कुछ और।

Last Updated- March 05, 2025 | 10:33 PM IST
Blue curriculum

नई शिक्षा नीति, 2020 में तीन भाषा वाले फॉर्मूले पर राजनेताओं में बहस छिड़ गई है। मगर इस बहस में नई शिक्षा नीति के एक प्रमुख उद्देश्य को ही दरकिनार कर दिया गया है। यह केंद्र और राज्यों द्वारा शिक्षा पर खर्च को बढ़ाकर देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के छह फीसदी तक करने से संबंधित है। इसके लिए सरकारों द्वारा जीडीपी के अनुपात में शिक्षा पर जो मौजूदा खर्च है उसे दोगुना करना होगा।

केंद्र सरकार फिलहाल शिक्षा पर जीडीपी का 0.3 से 0.4 फीसदी ही खर्च कर रही है, लेकिन राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों का हिस्सा नई शिक्षा नीति से एक साल पहले यानी 2019-20 से जीडीपी के 2.5 से 2.6 फीसदी तक पहुंचाने में ही एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है।

इन आंकड़ों में भी मामूली घट-बढ़ है। उदाहरण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा पर होने वाले खर्च की हिस्सेदारी साल 2024-25 में घटकर 2.9 फीसदी हो गई, जो एक साल पहले 3 फीसदी थी। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि वित्त वर्ष 2025 में केंद्र का हिस्सा घटकर 0.3 फीसदी (संशोधित अनुमान) हो गया, जो वित्त वर्ष 2024 में 0.4 फीसदी था। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार की हिस्सेदारी 2.6 फीसदी (वित्त वर्ष 2025 के लिए बजट अनुमान) पर बरकरार रही।

अपने कुल खर्च का शिक्षा पर सबसे ज्यादा अनुपात में लगाने वाले पांच राज्यों में बिहार और राजस्थान हैं, जिन्हें पहले कभी बीमारू राज्य कहा जाता था। बीते दिनों आयोजित बिज़नेस स्टैंडर्ड के मंथन में विभिन्न वक्ताओं ने साल 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए सरकारों को प्राथमिक स्तर पर शिक्षा में सुधार करने का सुझाव दिया था।

इस बीच, सालाना शिक्षा स्थिति रिपोर्ट के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि अब स्कूली छात्रों के बीच बुनियादी साक्षरता और गणना (एफएलएन) में मामूली रूप से सुधार आया है। मगर साल 2024 में तीसरी कक्षा के 76 फीसदी विद्यार्थी, पांचवीं कक्षा के 55 फीसदी विद्यार्थी और आठवीं कक्षा के 32.5 फीसदी विद्यार्थी दूसरी कक्षा के स्तर की पढ़ाई नहीं कर पाए थे।

First Published - March 5, 2025 | 10:33 PM IST

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