प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी से संबंधित संपत्तियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। जांच एजेंसी ने दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में मौजूद संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू की है। ये संपत्तियां असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की हैं, जिसे यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) ने खरीदा था। ED का कहना है कि YIL में सोनिया और राहुल गांधी की बड़ी हिस्सेदारी है।
11 अप्रैल को ED ने इन तीनों शहरों के प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार को नोटिस भेजा और संपत्तियों पर कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा। जांच में पता चला है कि AJL की संपत्तियों का मूल्य करीब 988 करोड़ रुपये है, जिन्हें गलत तरीके से हासिल किया गया। इसके अलावा, इन संपत्तियों से अवैध तरीके से पैसे कमाए गए, जिसे मनी लॉन्ड्रिंग का मामला माना जा रहा है।
नेशनल हेराल्ड अखबार पहले AJL द्वारा प्रकाशित होता था। इस कंपनी की स्थापना स्वतंत्रता से पहले हुई थी और इसके पास दिल्ली, मुंबई और लखनऊ जैसे शहरों में कई कीमती संपत्तियां थीं। ED का आरोप है कि YIL ने AJL को सिर्फ 50 लाख रुपये में खरीद लिया, जबकि इसकी संपत्तियों की कीमत 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इस सौदे में वित्तीय अनियमितता और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं।
यह मामला पहली बार 2014 में तब सुर्खियों में आया, जब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली की एक अदालत में शिकायत दर्ज की। स्वामी ने आरोप लगाया कि सोनिया और राहुल गांधी ने AJL की संपत्तियों को गलत तरीके से YIL के नाम कर लिया। इसके बाद ED ने 2021 में इसकी जांच शुरू की। जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए, जैसे कि YIL को फर्जी दान के जरिए 18 करोड़ रुपये मिले, 38 करोड़ रुपये एडवांस किराए के रूप में लिए गए और 29 करोड़ रुपये विज्ञापनों के जरिए जुटाए गए।
ED ने नवंबर 2023 में AJL की 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों और 90.2 करोड़ रुपये के शेयरों को अस्थायी रूप से जब्त किया था। 10 अप्रैल 2025 को एक विशेष प्राधिकरण ने इस जब्ती को सही ठहराया, जिसके बाद ED ने संपत्तियों को पूरी तरह अपने कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू की।
मुंबई के हेराल्ड हाउस में तीन मंजिलों पर कब्जा करने वाली कंपनी जिंदल साउथ वेस्ट प्रोजेक्ट्स को भी ED ने नोटिस भेजा है। कंपनी को निर्देश दिया गया है कि वह अब किराए की राशि सीधे ED को जमा करे। ED का कहना है कि इन संपत्तियों का इस्तेमाल गलत तरीके से पैसे कमाने के लिए किया जा रहा था, जिसे अब रोका जाएगा।
जांच के दौरान ED ने कई जगहों पर छापेमारी की और अहम दस्तावेज जब्त किए। इन दस्तावेजों से पता चला कि इस मामले में और भी वित्तीय गड़बड़ियां हुई हैं। दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस जांच को आगे बढ़ाने की अनुमति दी है।
ED का कहना है कि उसका मकसद इन संपत्तियों से होने वाली अवैध कमाई को पूरी तरह रोकना है। जांच एजेंसी का दावा है कि यह पूरा मामला एक जटिल राजनीतिक और वित्तीय सांठगांठ का हिस्सा है। दूसरी तरफ, कांग्रेस नेताओं ने इन आरोपों को खारिज किया है और इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है।
यह मामला अभी और गहरा सकता है, क्योंकि ED ने संकेत दिए हैं कि जांच में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।