दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने गुरुवार को केरल के तट और पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्रों में दस्तक दे दी है। इसी के साथ चार माह यानी जून से सितंबर तक चलने वाले मॉनसून सीजन की शुरुआत हो गई है। केरल में मॉनसून अमूमन 1 जून को आता है तथा अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर और असम में यह 5 जून को बरसना शुरू कर देता है। इस बार मौसम विभाग ने मॉनसून के लिए अपने पूर्वानुमान में 31 मई की तारीख बताई थी, लेकिन इसने एक दिन पहले ही भिगो दिया है।
मौसम विभाग ने बताया कि केरल में 30 मई को मॉनसून आ गया है और पूर्वोत्तर के अधिकांश हिस्सों की ओर बढ़ रहा है। पिछले सप्ताह देश के पूर्वी हिस्से में चक्रवात रेमल के प्रभाव के कारण वर्षा शुरू हो गई थी।
देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मॉनसून ने इस बार समय से पहले दस्तक देकर खरीफ की फसल बेहतर होने का संकेत दे दिया है। हालांकि अभी यह नहीं कहा जा सकता कि आने वाले दिनों में यह कितना और किस गति से आगे बढ़ेगा।
वर्ष 1971 से 2024 के दौरान केवल 18 मई, 1990, 22 मई, 1999, 23 मई, 1974 और 2009 में ही समय से पहले केरल तट पर पहुंचा है। इस बीच, मौसम वैज्ञानिकों ने कहा है कि केरल में झमाझम बारिश के साथ मॉनसून बहुत तेजी से पड़ोसी राज्य तमिलनाडु और कर्नाटक की ओर बढ़ेगा।
उसके बाद यह थोड़ा कमजोर पड़ सकता है और इस कारण इसके देश के उत्तर-पश्चिम हिस्से में पहुंचने में कुछ समय लग सकता है। इससे इस समय भीषण लू और गर्मी से जूझ रहे देश के इस हिस्से को अभी राहत मिलने में देर लगेगी।
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले दिनों पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटों से टकराने वाले रेमल चक्रवात ने मॉनसून को समय से पहले बंगाल की खाड़ी की ओर खींच लिया।
संभवत: यही कारण है कि पूर्वोत्तर में समय से पहले मॉनूसन आ गया, क्योंकि बीते 15 मई को मौसम विभाग ने पूर्वानुमान जारी कर कहा था कि मॉनसून 31 मई को केरल तट से टकराएगा। केरल में पिछले कुछ दिन से भारी वर्षा हो रही है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस तटीय राज्य में मई में सामान्य से अधिक वर्षा हो चुकी है।