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ममता ने बलात्कार रोधी निष्प्रभावी कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री का इस्तीफा मांगा

ममता ने आरोप लगाया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) पारित किए जाने से पहले पश्चिम बंगाल से विचार-विमर्श नहीं किया गया।

Last Updated- September 04, 2024 | 6:55 AM IST
Mamta demands resignation of Prime Minister, Home Minister over ineffective anti-rape laws ममता ने बलात्कार रोधी निष्प्रभावी कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री का इस्तीफा मांगा

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा द्वारा शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों का इस्तीफा मांगा, जो ‘महिलाओं की रक्षा के लिए प्रभावी कानून लागू नहीं कर पाए हैं।’ ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) 2024’ पेश किए जाने के बाद ममता ने विधानसभा में कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य त्वरित जांच, त्वरित न्याय प्रदान करना और दोषी की सजा बढ़ाना है।

सदन में उस समय हंगामा खड़ा हो गया जब भाजपा विधायकों ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक चिकित्सक के साथ कथित तौर पर दुष्कर्म और उसकी हत्या की घटना को लेकर मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए नारे लगाए। इतना ही नहीं, इस दौरान बनर्जी ने विधेयक पारित करने की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी के इस्तीफे की भी मांग की।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम चाहते थे कि केंद्र मौजूदा कानूनों में संशोधन करे और अपराधियों को कड़ी सजा और पीड़ितों को त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए कठोर धाराएं शामिल करे। केंद्र इसके लिए कोई सकारात्मक रुख नहीं दिखाया। इसलिए हमने पहले कदम उठाया।

एक बार अगर यह लागू हो जाता है तो यह विधेयक देश के बाकी हिस्सों के लिए एक मॉडल के रूप में काम कर सकता है।’ बनर्जी ने इस संबंध में हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी को लिखे गए दो पत्रों को भी पेश किया, जिनमें से एक केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी द्वारा उनके पहले पत्र पर दिए गए जवाब का प्रतिक्रिया थी।

उन्होंने कहा, “मैं प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे की मांग करती हूं जो देशभर में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले प्रभावी कानूनों को लागू करने में विफल रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘बलात्कार मानवता के खिलाफ अभिशाप है और ऐसे अपराधों को रोकने के लिए सामाजिक सुधारों की जरूरत है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के बाद ‘‘हम यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस में विशेष अपराजिता कार्य बल गठित करेंगे कि बलात्कार के मामलों में जांच समयबद्ध तरीके से पूरी हो।’’

ममता ने इस विधेयक को ‘‘ऐतिहासिक तथा अन्य राज्यों के लिए आदर्श’’ बताते हुए कहा कि इस प्रस्तावित विधेयक के जरिए उनकी सरकार ने पीड़िता तथा उनके परिजन को त्वरित एवं प्रभावी न्याय उपलब्ध कराने के लिहाज से केंद्रीय कानून में मौजूद कमियों को दूर करने का प्रयास किया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगते हुए नारे लगाने पर ममता ने कहा, ‘‘क्या होगा अगर मैं उन्हीं कारणों से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के खिलाफ नारे लगाऊं जिनके लिए आप मेरे खिलाफ नारे लगा रहे हैं।’’ उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर असामान्य रूप से अधिक है जबकि पश्चिम बंगाल में प्रताड़ित महिलाओं को अदालत में न्याय मिल रहा है।

शुभेंदु अधिकारी के एक सवाल का जवाब देते हुए बनर्जी ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में 88 फास्ट ट्रैक अदालत हैं, इन अदालतों की संख्या के लिहाज से राज्य पूरे देश में तीसरे नंबर पर है। इसके अलावा महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए 50 से अधिक विशेष अदालतें हैं। इन अदालतों ने अब तक दर्ज 3,92,620 मामलों में से 3,11,479 का निपटारा किया है। महिलाओं से संबंधित करीब 7,000 मामले अभी भी अदालतों के समक्ष विचाराधीन हैं।’’

ममता ने आरोप लगाया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) पारित किए जाने से पहले पश्चिम बंगाल से विचार-विमर्श नहीं किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘हम केंद्र में नयी सरकार बनने के बाद इस पर चर्चा चाहते थे।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष राज्यपाल से कहे कि वह बिना किसी देरी के इस विधेयक पर हस्ताक्षर करें। उन्होंने कहा कि इसका प्रभावी क्रियान्वयन राज्य सरकारी की जिम्मेदारी होगी। ममता ने आरजी कर अस्पताल की प्रशिक्षु चिकित्सक के कथित बलात्कार और हत्या पर दुख जताते हुए कहा, ‘‘हम सीबीआई से न्याय चाहते हैं और दोषी के लिए फांसी चाहते हैं।’’

बंगाल में 2013 के चर्चित कामदुनी सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड का जिक्र करते हुए बनर्जी ने दावा किया कि राज्य सरकार ने दोषियों को फांसी की सजा दिलाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं हुई क्योंकि उच्च न्यायालय का कुछ और मानना था। विपक्षी सदस्यों ने इस विधेयक को ‘‘आंखों में धूल झोंकने वाला’’ बताया, हालांकि इसेक बावजूद विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। अधिकारी द्वारा पेश किए गए अधिकांश संशोधनों को सदन ने खारिज कर दिया।

First Published - September 4, 2024 | 6:55 AM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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