महाराष्ट्र सरकार ने ग्राहकों को ऑनलाइन बालू (रेत) उपलब्ध कराने के लिए संशोधित बालू नीति को मंजूरी दी है। न लाभ, न हानि (नो प्रॉफिट, नो लॉस) सिद्धांत पर बालू बिक्री की दर निश्चित की गई है। प्रदेश में अनधिकृत उत्खनन और अवैध ढुलाई पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सरकार ने संशोधित नीति को स्वीकृति दी गई है। मुंबई महानगर के लिए 1200 रुपए प्रति ब्रास (267 रुपए प्रति मेट्रिक टन) और मुंबई महानगर क्षेत्र को छोड़कर राज्य के बाकी हिस्सों प्रति ब्रास 600 रुपए (133 रुपए प्रति टन) स्वामित्व धन (रॉयल्टी) की राशि निश्चित की गई है।
ग्राहकों को बालू आसानी और सस्ते दर में उपलब्ध करने के लिए मंजूर की गई संशोधित बालू नीति में कहा गया कि बालू की बिक्री दर न तो लाभ और न ही हानि के आधार पर तय की जाएगी। नदी, नालों, या खाड़ी से रेत के खनन, खनन के बाद बालू को डिपो तक परिवहन, डिपो के निर्माण और प्रबंधन के लिए टेंडर प्रक्रिया लागू की जाएगी। नदी-नाले से बालू उत्खनन, डिपो तक रेत परिवहन, डिपो का निर्माण एवं प्रबंधन के लिए संबंधित जिले में डिपोवार प्रकाशित निविदा में प्राप्त निविदा दर अंतिम होगी।
स्वामित्व की राशि मुंबई महानगर क्षेत्र के लिए 1200 रुपये प्रति ब्रास (267 रुपये प्रति मीट्रिक टन) और मुंबई को छोड़कर अन्य क्षेत्रों के लिए 600 रुपये प्रति पीतल (133 रुपये प्रति टन) होगी। इसमें सरकार द्वारा समय-समय पर किये गये संशोधनों को लागू किया जाएगा।
जिला खनिज फाउंडेशन निधि, यातायात लाइसेंस सेवा शुल्क एवं शुल्क नियमानुसार लिया जाएगा। सरकारी योजना के तहत पात्र घरेलू लाभार्थियों को 5 ब्रास (22.50 मीट्रिक टन) तक मुफ्त रेत प्रदान की जाएगी। बालू डिपो से बालू परिवहन का खर्च ग्राहक को वहन करना होगा ।
मंत्रिमंडल के फैसले के मुताबिक बालू के उत्खनन, उसको डिपो तक पहुंचाने और उसके प्रबंधन के लिए एक टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके बाद रेती को सरकारी डिपो में ले जाया जाएगा। जहां से रेती को ऑनलाइन प्रणाली के जरिए बेचा जाएगा। नई संशोधित नीति में स्वामित्व धन की राशि भी तय की गई है। इससे पहले प्रदेश के राजस्व विभाग के अप्रैल 2023 की बालू नीति के तहत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में एक साल के लिए सभी नागरिकों को प्रति ब्रास 600 रुपए (133 रुपए प्रति मेट्रिक टन) बालू बिक्री का दर तय किया था। उस समय स्वामित्व राशि को माफ कर दिया गया था।
तहसीलदार की अध्यक्षता में एक तकनीकी समिति नदी-खाड़ी बेसिन में निगरानी करेगी। जिले के प्रत्येक तहसील के लिए उपविभागीय अधिकारी की अध्यक्षता में एक तालुका स्तरीय बालू नियंत्रण समिति का गठन किया जाएगा।
समिति बालू समूह का निर्धारण करेगी और उस समूह के लिए ऑनलाइन ई-टेंडरिंग प्रक्रिया की घोषणा करने के लिए जिला स्तरीय समिति को अनुशंसा करेगी। जिला स्तरीय निगरानी समिति की अध्यक्षता कलेक्टर करेंगे और समिति में मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पुलिस अधीक्षक या पुलिस आयुक्त, अतिरिक्त कलेक्टर, अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग और जल संसाधन विभाग के साथ-साथ क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, भूविज्ञान और खनन शामिल होंगे। विभाग, भूजल सर्वेक्षण और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी होंगे । यह समिति बालू डिपो में बालू स्टॉक उपलब्ध कराने के लिए बालू समूह का निर्धारण करेगी। यह भी सुनिश्चित करेगा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों का पालन किया जाए।
फिलहाल सरकार को बालू से करीब 600 करोड़ रुपए का राजस्व मिल रहा था। सरकार का मानना है कि इस नीति से सरकार के राजस्व में कोई कमी नहीं आएगी। बल्कि कालाबाजारी में रोक लगेगी और लोगों को सस्ते दर पर बालू मिल सकेगी। फिलहाल बाजार में 8 हजार से 10 हजार रुपए प्रति ब्रास की दर पर बालू मिलती है। लेकिन इससे सरकार के राजस्व को कोई फायदा नहीं होता है बल्कि इसका फायदा बालू माफिया उठाते हैं।