महाराष्ट्र

Maharashtra: मालेगांव विस्फोट के सभी आरोपी बरी, राज्य में राजनीति गरमाई

भाजपा और उसके सहयोगी दल 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के फैसले की सराहना करते हुए कहते हैं कि आतंकवाद न कभी भगवा था और न कभी होगा।

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सुशील मिश्र   
Last Updated- July 31, 2025 | 8:14 PM IST

महाराष्ट्र के मालेगांव विस्फोट को लेकर राज्य में राजनीति गरमाती हुई दिख रही है। मुंबई एनआईए कोर्ट द्वारा भाजपा की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह और कर्नल पुरोहित समेत सभी सातों आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि उनके खिलाफ कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं हैं। जिस पर कांग्रेस पार्टी ने सवाल उठाए हैं। वहीं भाजपा और उसके सहयोगी दल 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के फैसले की सराहना करते हुए कहते हैं कि आतंकवाद न कभी भगवा था और न कभी होगा।

आतंकवाद न कभी भगवा था और न कभी होगा

फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि आतंकवाद भगवा न कभी था, न है और न कभी होगा। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि सत्य कभी नहीं हराया जा सकता। 17 साल की लंबी लड़ाई के बाद, एक विशेष अदालत ने मालेगांव बम विस्फोट के मामले में सात कथित अभियुक्तों को बरी कर दिया है। यह सच है कि न्याय में देरी हुई, लेकिन यह एक बार फिर साबित हो गया है कि सत्य को कभी हराया नहीं जा सकता।

शिवसेना ने उन देशभक्तों का स्पष्ट रूप से समर्थन किया है, जिन्हें मालेगांव विस्फोट मामले में झूठा फंसाया गया था। हिंदू कभी भी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में संलिप्त नहीं हो सकते, क्योंकि देशभक्ति उन लोगों के लिए एक पवित्र कर्तव्य है जो हिंदू धर्म का पालन करते हैं। शिंदे ने पूछा, कांग्रेस के षडयंत्रकारी नेताओं ने हिंदू आतंकवाद जैसा बेतुका शब्द गढ़ा था। इस तरह के झूठ के लिए अब उनके पास क्या जवाब है? राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि मालेगांव बम विस्फोट मामले में एनआईए अदालत का फैसला केवल एक न्यायिक निर्णय नहीं है बल्कि बदनाम करने के लिए लंबे समय से की जा रही राजनीतिक साजिश का पर्दाफाश है।

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आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता- सपकाल

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। कांग्रेस ने हमेशा आतंकवाद की निंदा की है और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। मालेगांव विस्फोट मामले की जांच तत्कालीन एटीएस प्रमुख स्वर्गीय हेमंत करकरे ने की थी, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उन्होंने कहा कि अगर वह और राज्य के गृह मंत्री रहे दिवंगत आर.आर. पाटिल आज जीवित होते, तो अदालत का फैसला क्या होता। लोग यही सोच रहे हैं। सपकाल ने पूछा, आरोपी कौन हैं? मुंबई ट्रेन विस्फोट और मालेगांव विस्फोट आतंकी कृत्य हैं। 7/11 विस्फोट मामले के आरोपियों को बरी किए जाने के तुरंत बाद सरकार ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। क्या सरकार अब भी इसी तरह कार्रवाई करेगी?

मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि मालेगांव विस्फोट में निर्दोष लोग मारे गए और सरकार उन्हें न्याय नहीं दिला सकी, फिर भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को कोई पछतावा नहीं है। उनके ट्वीट से उनकी राजनीतिक मानसिकता का पता चलता है। यही वजह है कि जांच एजेंसियों के रवैये पर सवाल उठ रहे हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने फैसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

सभी आरोप निराधार थे- सुनील आंबेकर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि इससे सच सामने आ गया है। कुछ लोगों ने अपने निजी और राजनीतिक कारणों से इस मुद्दे को उठाया था और पूरे हिंदू समुदाय और हिंदू धर्म को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश की थी। आंबेकर ने कहा कि मुकदमा लंबा चला, जिसके बाद अदालत ने कई सबूतों के आधार पर अपना फैसला सुनाया। फैसले ने साबित कर दिया है कि सभी आरोप निराधार थे।

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आरोपियों में पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे। अदालत ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और वह केवल धारणा के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहरा सकती। मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास 29 सितंबर, 2008 को एक मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट हो गया था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और 101 अन्य घायल हुए थे। अदालत ने सरकार को विस्फोट में मारे गए छह लोगों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये और घायल हुए सभी 101 लोगों को 50-50 हजार रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।

First Published : July 31, 2025 | 8:11 PM IST