मुंबई में विधायकों के राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर के विधायक शामिल हुए। इस सम्मेलन में लोकतंत्र में नीति निर्माण, विधायिका को मजबूती, सदन में विधायकों की भूमिका और कार्य व्यवहार जैसे 40 विषयों पर मंथन किया जाना है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में घटती बैठकों की संख्या और बढ़ती मे अनुशासनहीनता को लेकर चिंता व्यक्त की हैं। सम्मेलन में देशभर के विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारी और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सहित 1470 विधायक शामिल हुए।
मुंबई में शुक्रवार को राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन के औपचारिक उद्घाटन के बाद विधायी कार्यों पर मंथन शुरू हुआ। इस दौरान ओम बिरला ने लोकतांत्रिक मूल्यों पर अपने विचार प्रकट किए।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमारे बीच विचारधाराओं के आधार पर मतभेद हो सकते हैं। कानून बनाते समय तर्क-वितर्क हो सकते हैं लेकिन चर्चा न होने देने लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। जनता हमें चुनकर भेजती है तो हमारा अनुकरण भी करती है और हम पर नजर भी रखती है। वह जनप्रतिनिधियों को जैसा करते देखती है वह भी वैसा ही करेगी। इसलिए यहां से जब जाएं तो समाज के अंतिम व्यक्ति का जीवन बदलने का संकल्प लेकर जाएं तो निश्चित रूप से बदलाव हो सकता है।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि एक निजी संस्था एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नेंस की तरफ से इतना बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया जबकि यह काम संसद को करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम राजनीति शास्त्र की पढ़ाई करते हैं प्रैक्टिकल ट्रेनिंग नहीं करते। यह होना चाहिए। वहीं, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष शिवराज पाटिल ने नोट से वोट की पद्धति को लोकतंत्र के लिए घातक बताया। साथ ही, धर्म की गलतियों को सुधारने का भी आह्वान किया। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि देश में नेता शब्द बहुत खराब हो गया है। हमारी जिम्मेदारी है कि इसे ठीक करें।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन में भाग लेने आए माननीयों को राष्ट्रनिर्माण के एजेंडे से भटकने के खिलाफ आगाह किया। उन्होंने कहा कि आजकल मीडिया एजेंडा तय करता है। हम मीडिया के सामने आने के लिए इतने उतावले हो जाते हैं कि हम अपना एजेंडा ही भूल जाते हैं। इसलिए कानून बनाने और राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने के एजेंडे से विचलित नहीं होना चाहिए।
सदियों पहले लोकतंत्र ने भारत में जड़ें जमा ली थी और आज भी फल-फूल रहा है। 140 करोड़ लोगों का देश अपने प्रतिनिधियों को चुनने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों में भाग लेता है। फडणवीस ने कहा कि लोकतंत्र हमारे खून में है, यह हमारे मूल्यों में झलकता है। हम मतभेदों को दूर रखकर देश की उन्नति के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।
पहली बार देश में विधायकों का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया है। सम्मेलन में विधानसभा के विधायक और विधान परिषद के सदस्य शामिल हुए हैं । सम्मेलन में देशभर के विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारी और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सहित 1470 विधायक शामिल हुए।
इस सम्मेलन में 1470 विधायकों ने उपस्थित दर्ज कराई जिसमे 30 विधानसभा अध्यक्ष सहित 80 मंत्री शामिल हैं। हालांकि आयोजकों का दावा देशभर के विभिन्न राज्यों से 4 हजार से ज्यादा विधायक के आने का था। लोकतंत्र में नीति निर्माण, विधायिका को मजबूती, सदन में विधायकों की भूमिका और कार्य व्यवहार जैसे 40 विषयों पर मंथन किया जाना है।
शहर के बांद्रा-कुर्ला कांप्लेक्स (बीकेसी) स्थित जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में चले रहे तीन दिवसीय राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन 15 से 17 जून तक चलेगा। पुणे की एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट की ओर से आयोजित सम्मेलन का उद्देश्य लोकतांत्रिक पद्धति से एक समर्थ भारत का निर्माण करना है।
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के उपकुलपति डॉ. मिलिंद पांडेय ने बताया कि इस सम्मेलन में विधायकों को तनाव से निपटने के तरीके, क्षेत्र के विकास के लिए कल्याणकारी योजनाओं, अंतिम व्यक्ति के उत्थान, आर्थिक विकास के लिए तकनीक के इस्तेमाल और विधायी कार्यों से संबंधित विषयों के अलावा बेहतर समाज के लिए अधिकारियों और नेताओं के बीच तालमेल जैसे मुद्दों पर मंथन किया जाएगा।