भारत के साथ कनाडा के खराब होते द्विपक्षीय संबंधों को एक और झटका लगा, जब गुरुवार को कनाडा के नागरिकों के लिए वीजा की प्रक्रिया रोक दी गई। विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडा में भारतीय राजनयिकों के लिए खतरा बढ़ गया है, जिस कारण दूतावास के काम में बहुत खलल पड़ा है।
इसी कारण कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा जारी करने की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी गई है। सरकार ने कनाडा से भारत में काम कर रहे अपने राजनयिकों की संख्या कम करने के लिए भी कहा है ताकि कनाडा में काम करने वाले भारतीय राजनयिकों के बराबर ही राजनयिक यहां भी काम करें।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि सभी श्रेणियों के लिए वीजा की प्रक्रिया बंद हो गई है, लेकिन जिन कनाडाई नागरिकों के पास पहले से ही वैध वीजा है या भारत का विदेशी नागरिक कार्ड मौजूद हैं, वे भारत आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि नए नियम कनाडा के उन नागरिकों पर भी लागू होंगे, जो किसी अन्य देश से भारतीय वीजा के लिए आवेदन करना चाहते हैं।
दुनिया भर में सरकारी एवं राजनयिक मिशनों के लिए आउटसोर्सिंग करने वाली भारतीय कंपनी बीएलएस इंटरनैशनल ओटावा में भारतीय उच्चायोग की तरफ से वीजा आवेदनों पर काम करती है। कंपनी ने बाजार नियामक सेबी को सूचित किया है कि उसने अगली सूचना जारी होने तक कनाडा में अपनी सेवा रोक दी है।
कंपनी ने बाजार नियामक को भेजे पत्र में कहा है, ‘इसका हमारी वित्तीय स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि हमारी कुल वार्षिक आय में कनाडाई वीजा कारोबार का योगदान दो फीसदी से भी कम है।’ साल 2022 में भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या के लिहाज से कनाडा पांचवां सबसे बड़ा स्रोत था। वैश्विक महामारी से पहले 2019 में यहां 3,51,859 कनाडाई पर्यटक आए थे।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि कनाडा में मौजूद 2,26,450 भारतीय छात्रों को वापस आने में कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि इस वीजा नीति से भारतीय नागरिकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
राजनयिकों की समान संख्या
भारत में कनाडाई उच्चायुक्त कैमरन मैके ने भारत में कर्मचारियों की संख्या को कुछ समय के लिए दुरुस्त बनाने की घोषणा की। उसके बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने दोनों देशों के दूतावासों में राजनयिकों की बराबर संख्या रखने और पदों में भी समानता बनाए रखने के लिए कहा है।
बागची ने कहा, ‘हमें लगता है कि उनकी संख्या काफी अधिक है। उनसे मिली जानकारी पर काम चल रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि उनकी संख्या कम हो जाएगी।’
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कदम इसलिए भी उठाया गया है क्योंकि कनाडाई राजनयिकों ने भारत के आंतरिक मामलों में दखल दिया है। सोशल मीडिया पर कनाडाई राजनयिकों को मिल रही धमकियों की बात पर स्पष्ट किया कि भारत अपनी जिम्मेदारी काफी गंभीरता से निभाता है।
अपराधियों को पनाह
भारत ने इस मामले में अब तक के अपने सबसे सख्त बयान में कहा है कि कनाडा आतंकवादियों, चरमपंथियों और संगठित अपराध के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह है। बागची ने कहा, ‘हम लंबे समय से आतंकवादियों और आर्थिक भगोड़ों (कनाडा में शरण लिए हुए) के बारे में जानकारी साझा करते रहे हैं। मगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अगर वहां की सरकार उन पर कार्रवाई करे तो अच्छा होगा।’ उन्होंने बताया कि अब तक 20 वांछित व्यक्तियों के बारे में जानकारी मांगी गई है।
वांछित भारतीय गैंग्स्टर सुखदूल सिंह गिल उर्फ सुक्खा डुनेके की कनाडा के विनिपेग में गुरुवार को हत्या कर दी गई। गिल का नाम 20 आपराधिक मामलों में शामिल था और फर्जी कागजों के सहारे वह भारत से भागकर कनाडा पहुंच गया था। वांछित गैंग्स्टर लॉरेंस बिश्नोई ने गुरुवार को एक फेसबुक पोस्ट में उसकी हत्या की जिम्मेदारी ली है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार को 43 वांछित व्यक्तियों की एक सूची जारी की थी। इनमें से कई के तार कनाडा से जुड़े हैं। एनआईए ने उनकी बेनामी संपत्तियों के बारे में जानकारी देने के लिए जनता से अपील की है ताकि केंद्र सरकार संपत्तियों को अपने कब्जे में ले सके।