स्काईरूट एरोस्पेस की शुरुआत हैदराबाद के रायदुर्ग में बने इनक्यूबेटर टी-हब यानी टेक्नोलॉजी हब से हुई थी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के दो पूर्व वैज्ञानिकों पवन कुमार चांदना और नागा भरत डाका ने मिलकर इसी इनक्यूबेटर से एक निजी एयरोस्पेस कंपनी शुरू करने की योजना बनाई। उन्होंने इसका नाम स्काईरूट एरोस्पेस रखा।
करीब पांच साल पहले जुलाई 2018 में स्काईरूट जैसी निजी कंपनियों के लिए अंतरिक्ष के दरवाजे खुलने लगे थे। उसके बाद 23 अगस्त, 2023 को चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर उतरा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (स्पेसटेक) से जुड़ी कंपनियों की किस्मत आसमान छूने लगी। स्काईरूट एरोस्पेस अब भारत में सबसे अधिक निवेश जुटाने वाली स्पेसटेक स्टार्टअप बन चुकी है। उसने अब तक 9.5 करोड़ डॉलर यानी करीब 789 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
हालिया निवेश चंद्रमा पर चंद्रयान-3 उतरने के करीब दो महीने बाद मिला, जिसमें उसने 2.75 करोड़ डॉलर यानी करीब 225 करोड़ रुपये जुटाए। अक्टूबर में उसने अपना दूसरा रॉकेट विक्रम-1 भी दिखाया, जिसका प्रक्षेपण अगले साल के आरंभ में होने की उम्मीद है। स्काईरूट के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी चांदना ने कहा, ‘चंद्रयान-3 की लैंडिंग सुर्खियों में रही। उसके बाद लोगों ने हमारे लिए निवेश और सहयोग में काफी दिलचस्पी दिखाई।’
भारत अब अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन के बाद चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश बन गया है। मगर वह इकलौता देश है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा है। चंद्रमा पर फतह इस साल देश की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि रही। मगर चंद्रयान-3 के सफलतापूर्वक उतरने के हफ्ते भर बाद 2 सितंबर को भारत ने श्रीहरिकोटा के इसरो अंतरिक्ष केंद्र से सूर्य के लिए आदित्य एल1 भी भेज दिया। भारत दूसरा देश है, जिसने सूर्य के लिए अपना मिशन भेजा है।
इंडियन स्पेस एसोसिएशन के अनुसार नवंबर के अंत तक भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप ने 12.4 करोड़ डॉलर जुटाए हैं। 2022 में यह आंकड़ा 12 करोड़ डॉलर था। इस साल ऐसे 54 नए स्टार्टअप आए, जिससे उनकी कुल संख्या बढ़कर 204 हो गई। साल 2020 में अंतरिक्ष स्टार्टअप की संख्या महज 82 थी।
एसोसिएशन के महानिदेशक एके भट्ट ने कहा, ‘चंद्रयान की सफलता और उसके बाद आदित्य मिशन ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की क्षमता को नए सिरे से स्थापित किया। इसका निजी क्षेत्र पर भी गहरा प्रभाव पड़ा।’
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और इसरो के बीच जून में हुआ आर्टेमिस समझौता अंतरिक्ष अन्वेषण में 27वें देश के साथ भारत के सहयोग को दर्शाता है। इससे भारत की निजी अंतरिक्ष कंपनियों को वैश्विक स्तर पर पैठ बढ़ाने में मदद मिलेगी और अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी।
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) से वनवेब इंडिया को वाणिज्यिक उपग्रह ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू करने के लिए दी गई मंजूरी ने वैश्विक कनेक्टिविटी में भारत का कद बढ़ा दिया है। सरकार के प्रोत्साहन से उत्साहित होकर कई प्रमुख कंपनियां अंतरिक्ष क्षेत्र में दस्तक देने लगी हैं। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स ने स्थानीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तैयार करने के लिए उत्तरी कैरोलिना की कंपनी सैटेलॉजिक इंक के साथ समझौता किया है। एचएएल एवं एलऐंडटी का कंसोर्टियम ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) रॉकेट के साथ इस क्षेत्र में उतरने को तैयार है।
जल्द ही हम 2023 को अलविदा कहने वाले हैं। मगर विशेषज्ञों के बकौल इसे भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र का स्वर्णिम वर्ष कहकर याद किया जाएगा।