खबर है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कर चोरी का पता लगाने के लिए विदेश भेजे गए 6 लाख रुपये से ज्यादा के मामलों की जांच शुरू की है। कर अधिकारी व्यक्तियों और व्यवसायों द्वारा आय का सही खुलासा सुनिश्चित करने के लिए अधिक मूल्य वाले ऐसे लेनदेन की जांच कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय कर वकील वरुण चबलानी ने कहा, ‘देश से बाहर भेजी गई रकम की जांच अनुपालन सुनिश्चित करने और कर चोरी पर रोक लगाने के लिए सरकार की प्राथमिकता को दर्शाती है। खबरों से संकेत मिलता है कि उन मामलों के मद्देनजर यह पहल की गई है जहां विदेशी मुद्रा के प्रेषण के लिए की गई व्यक्तिगत घोषणाओं और स्रोत पर जुटाए गए कर (टीसीएस) में मेल नहीं दिखता।’
उदारीकृत धन प्रेषण योजना (एलआरएस) के तहत स्रोत पर कर (टीसीएस) 20 फीसदी देय होता है। साथ ही व्यक्ति को अपनी आय के स्रोत का भी खुलासा करना होता है। एकॉर्ड ज्यूरिस के पार्टनर अलय रजवी ने कहा, ‘अगर आप 6 लाख रुपये से अधिक रकम विदेश भेजते हैं तो आय स्रोत को सही ठहराने और उचित कर भुगतान की पुष्टि के लिए आपको नोटिस भेजा जा सकता है।’
साइरिल अमरचंद मंगलदास के पार्टनर कुणाल सवाणी ने कहा, ‘क्षेत्रीय कार्यालयों को फॉर्म 15सीसी को सत्यापित करने का निर्देश दिया गया है। यह एक त्रैमासिक खुलासा है जिसमें विदेश भेजी गई रकम का विवरण होता है। इसे साल 2016 से ही जमा कराया जा रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 के बाद इसका लक्ष्य आंकड़ों के आधार पर अधिक जोखिम वाले मामलों की एक सूची तैयार करना है। इसमें अघोषित आय वाले लोगों को शुरुआती नोटिस जारी करने की समय-सीमा 31 दिसंबर निर्धारित की गई है।’
अगर आप विदेश में रहने वाले अपने किसी नाते-रिश्तेदार को धन प्रेषित करते हैं तो उसका विस्तृत रिकॉर्ड रखें। इसमें रकम भेजने का उद्देश्य, भेजी गई रकम और लाभार्थी का विवरण शामिल होना चाहिए। जैन ने कहा, ‘खुलासा की गई अपनी आय और खर्च को प्रमाणित करने के लिए रसीद, चालान, बैंक विवरण एवं अन्य आवश्यक दस्तावेजों को सुरक्षित रखें।’