उत्तर प्रदेश में कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की मदद के लिए होंडा इंडिया फाउंडेशन ने हाथ बढ़ाया है। प्रदेश के एफपीओ को सशक्त बनाने के लिए होंडा इंडिया फाउंडेशन ने योगी सरकार के साथ सहकारिता करार (एमओसी) किया है। मंगलवार को एमओसी पर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, होंडा इंडिया फाउंडेशन के ट्रस्टी विनय ढींगरा और कातसुयुकी ओज़ावा की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
प्रोजेक्ट अन्नदाता के तहत किए गए इस समझौते का उद्देश्य राज्य में एफपीओ को सहयोग देना और सशक्त बनाना है। यह प्रोजेक्ट एफपीओ के समग्र विकास पर केंद्रित है, जिसमें किसानों को आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना, उन्हें बाजार से बेहतर जोड़ना और कृषि क्षेत्र में टिकाऊ वृद्धि को बढ़ावा देना शामिल है।
इस मौके पर होंडा इंडिया फाउंडेशन के ट्रस्टी विनय ढींगरा ने कहा, “होंडा इंडिया फाउंडेशन में हम ग्रामीण समुदायों को सशक्त करने और कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए समर्पित हैं। यह बातें भारत सरकार की सोच के अनुसार तो हैं ही, 2025 के यूनियन बजट में भी दिखती हैं। प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना, दलहन में आत्मनिर्भरता का मिशन और किसानों के लिए उचित दाम सुनिश्चित करना जैसी पहलें हमारे उद्देश्यों के ही मुताबिक हैं। प्रोजेक्ट अन्नदाता के माध्यम से एफपीओ को सशक्त करने के लिए हमारे प्रयास इन्हीं प्राथमिकताओं के अनुसार हैं। हम संसाधनों तक किसानों की पहुंच को बढ़ा रहे हैं और कृषि के लिए एक सुदृढ़ पारितंत्र बना रहे हैं, जिससे उन्हें बड़े पैमाने पर फायदा होगा। इस गठजोड़ से हमारे लिए जमीनी स्तर पर सार्थक रूप से असर डालना संभव हो जाएगा। हम कृषि के लिए एक अधिक मजबूत और समृद्ध पारितंत्र के विकास में योगदान देना जारी रखेंगे।”
इस पहल के तहत होंडा इंडिया फाउंडेशन (एचआईएफ) अपने क्रियान्वयन भागीदार के माध्यम से उत्तर प्रदेश में 10 एफपीओ को सशक्त बनाएगा। यह एफपीओ दो क्लस्टर्स में होंगे, जिनमें प्रत्येक में 5 एफपीओ शामिल होंगे। इस योजना के तहत व्यवस्थित मूल्यांकन, क्षमता निर्माण, व्यावसायिक योजना और परिचालन सुधार पर ध्यान दिया जाएगा।
इसका उद्देश्य एफपीओ को तकनीकी सहयोग प्रदान करना है, जिससे उनका संचालन सुचारु रूप से हो और वे आधुनिक कृषि तकनीकों को अपना सकें। यह पहल किसानों, युवाओं, पर्यावरणविदों, शिक्षण संस्थानों, नीति-निर्माताओं, गैर-लाभकारी संगठनों और अन्य साझेदारों को भी जोड़ेगी, जो सतत कृषि और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस परियोजना का प्रारंभिक चरण 1 लाख से अधिक लोगों तक पहुंचेगा और दीर्घकाल में यह कृषि से जुड़े 10 लाख से अधिक लोगों को लाभ पहुंचा सकता है।