2002 में गोधरा साबरमती ट्रेन में आग लगाने के आरोप में 17-18 साल से उम्रकैद की सजा काट रहे 8 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। हालांकि, इसी आरोप में सजा काट रहे अन्य 4 दोषियों को कोर्ट ने जमानत देने से मना कर दिया। और गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।
गुजरात हाईकोर्ट ने इन 4 दोषियों की सजा में तब्दीली करते हुए फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। इसके पहले गुजरात की एक निचली अदालत ने इन चारों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने 2002 के गोधरा ट्रेन आगकांड के 8 दोषियों को जमानत देते हुए कहा कि ये आरोपी 17 साल जेल में काट चुके हैं।
हालांकि, भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जमानत का विरोध किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी। वहीं, दोषियों का पक्ष रखने वाले वकील ने कहा कि इन दोषियों ने 17 साल की जेल की सजा पूरी कर ली है।
बता दें कि 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी। यह घटना गोधरा रेलवे स्टेशन पर घटित हुई थी। जिसके बाद गुजरात में भी सांप्रदायिक दंगा फैल गया था।
गोधरा आगकांड मामले में एक स्थानीय अदालत ने 2011 में फैसला सुनाते हुए 31 लोगों को दोषी करार दिया था; वहीं, 63 लोगों को बरी कर दिया गया था। इन 31 दोषियों में से 11 लोगों को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी, और बचे 20 लोग को आजीवन कारावास की सजा दी गई।
गुजरात हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2017 में सजा में परिवर्तन कर दिया और 11 उन दोषियों की सजा को, जिन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी, उम्रकैद में बदल दिया और आजीवन कारावास वाले दोषियों की सजा को निचली अदालत के अनुसार ही, वैसे ही बरकरार रखा।