साबरमती नदी के किनारे गुजरात इंटरनैशनल फाइनैंस-टेक सिटी यानी गिफ्ट सिटी की खूब चर्चा हो रही है। ऐसे में उसे जानने की जिज्ञासा पैदा होती है। क्या वह कोई वित्त एवं प्रौद्योगिकी केंद्र है या कोई केंद्रीय कारोबारी जिला अथवा कोई नई स्मार्ट सिटी? मगर हालिया जमीनी दौरे से पता चलता है वह इन सबसे कहीं अधिक है।
गांधीनगर जिले में गिफ्ट सिटी से गुजरते समय सामने चौड़ी खुली सड़कें, सुंदर झाड़ियां, भरपूर हरियाली और आलीशान गगनचुंबी इमारतें वाकई शानदार अनुभव देते हैं। वास्तव में यह तीन शहरों- गिफ्ट सिटी के दो किनारों पर गांधीनगर और अहमदाबाद-की अवधारणा है जहां नए और पुराने का संगम है।
जब इस संवाददाता ने लगभग 886 एकड़ में फैले एकीकृत परिसर का दौरा किया तो यहां की इमारतें गुजरात की राजधानी गांधीनगर के पारंपरिक बंगलों और कम ऊंचाई वाले मकानों के बिल्कुल विपरीत दिखीं। यहां निर्माण भले ही अभी भी प्रगति पर हैं, लेकिन आसपास गगनचुंबी इमारतें और लॉजिस्टिक्स आपको सिंगापुर या हॉन्ग कॉन्ग के बारे में सोचने पर मजबूर कर सकता है।
गिफ्ट सिटी की प्रौद्योगिकी अद्भुत है। उदाहरण के लिए, कचरे को अलग करने वाली स्वचालित मशीन वहां से गुजरते समय आपका ध्यान आकृष्ट करती है। उसका डिजाइन एनवैक ने तैयार किया है जो स्वीडन की कंपनी है। एनवैक अगली पीढ़ी के पुनर्चक्रण पर ध्यान केंद्रित करती है। कुछ ही दूरी पर साथ आए अधिकारियों ने एक भूमिगत यूटिलिटी सिस्टम की ओर इशारा किया जहां जरूरत पड़ने पर मरम्मत करने वाले भी जा सकते हैं। उसके बाद संयुक्त अरब अमीरात के ईटीए समूह द्वारा डिजाइन किया गया एक डिस्ट्रिक कूलिंग सिस्टम। वहां से भूमिगत पाइप के जरिये पूरे गिफ्ट सिटी में ठंडे पानी की आपूर्ति होती है।
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इस स्मार्ट सिटी का अधिकांश हिस्से में रिहायशी टावरों सहित सहित कई निर्माणाधीन ऊंची इमारतें मौजूद हैं। इसमें भारतीय स्टेट बैंक के लोगो के आकार में डिजाइन किया गया कार्यालय, आईएफएससी (इंटरनैशनल फाइनैंस सर्विसेज सेंटर) का मुख्य कार्यालय आदि शामिल हैं। गुजरात सरकार ने गिफ्ट सिटी का विस्तार मौजूदा 1,000 एकड़ से 3,300 एकड़ में करने की मंजूरी दी है। ऐसे में तमाम हाइटेक बुनियादी ढांचे खड़े होने की संभावना है। मगर उसमें थोड़ा वक्त लगेगा।
इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर के 2015 में चालू होने के बाद आज गिफ्ट सिटी में 450 से अधिक कारोबारी संस्थान मौजूद हैं। इनमें 25 बैंक, 73 फंड प्रबंधन फर्म, 50 से अधिक पेशेवर सेवा प्रदाता, 21 विमान पट्टेदार आदि शामिल हैं। मगर कुछ चिंताएं भी हैं।
शानदार बुनियादी ढांचे और चमकदार इमारतों के बावजूद गिफ्ट सिटी लोगों से बिल्कुल भी गुलजार नहीं है। यहां मॉल, थिएटर, रेस्तरां जैसे सामाजिक बुनियादी ढांचे की कमी के कारण कई कंपनियों को अपने कर्मचारियों की भर्ती करने अथवा यहां कार्यालय खोलने में काफी परेशानी हो रही है।
कानून फर्म निशीथ देसाई एसोसिएट्स की प्रमुख (गिफ्ट सिटी ऑफिसेज) राधिका पारेख ने कहा, ‘प्रतिभाओं को सीधे तौर पर नियुक्त करना पड़ता है अथवा उन्हें गुजरात भेजना पड़ता है। गिफ्ट सिटी में स्थापित फिनटेक अथवा फंड मैनेजर कंपनियों के लिए प्रतिभाएं काफी हद तक मुंबई, दिल्ली और बेंगलूरु जैसे महानगरों में मौजूद हैं।’
गिफ्ट सिटी में 11 फीसदी क्षेत्र सामाजिक गतिविधियों के लिए है जबकि 22 फीसदी क्षेत्र रिहायशी और 67 फीसदी क्षेत्र वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए है। असल में इसके पीछे वॉक टु वर्क की अवधारणा है। इसलिए कई रिहायशी टावर फिलहाल निर्माणाधीन हैं। स्कूलों और विदेशी विश्वविद्यालयों के बीच एक मॉल बनाने की भी योजना है।
आईएफएससीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इसे अभी तैयार ही किया जा रहा था लेकिन बिल्डरों ने चिंता जताई है कि जब ये फ्लैट खास तौर पर आईएफएससी में काम करने वालों के लिए होंगे तो उसके खरीदार कहां से आएंगे।’ उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए पहले 5,000 फ्लैटों की बिक्री बाहरी लोगों को करने की अनुमति दी गई है। इनमें काफी हद तक खुद डेवलपर हैं और महंगे फ्लैट के अन्य खरीदारों में बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार जैसे बाहरी लोग भी शामिल हैं।
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गिफ्ट सिटी के राजस्व मॉडल के तहत डेवलपरों को 99 वर्ष के लिए पट्टा देना भी शामिल है। इसके अलावा शहर के रखरखाव के लिए 10 रुपये प्रति वर्ग फुट का शुल्क भी लगाया गया है।
आईएफएससी में अधिकतर कारोबारियों का आगमन 2020 के बाद हुआ। अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि अगले साल तक यहां कब्जे मिल जाएंगे। गिफ्ट सिटी के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमारे अधिकतर कारोबारी थोक कारोबार करते हैं। इसलिए यहां अभी आपको खुदरा गतिविधियां अधिक नहीं दिखेंगी। करीब 90 फीसदी फ्लैट बिक चुके हैं और अगले साल तक अपार्टमेंट तैयार हो जाएंगे। उसके बाद आपको यहां काफी रिहाइश दिखेगी।’
यहां मौजूद कुछ कंपनियों ने बताया कि न केवल अपार्टमेंट बल्कि ऑफिस स्पेस की भी फिलहाल किल्लत है। पारेख ने कहा कि डेवलपर को-वर्कशेयर स्पेस विकसित करते हुए इस समस्या को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।
आईएफएससी का एक मुख्य उद्देश्य यह भी है कि भारत के विदेशी निवेश को गिफ्ट सिटी में लाया जाना चाहिए। अधिकारी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय वित्त हासिल करने के लिए भारतीय संस्थानों के लिए गिफ्ट सिटी स्वाभाविक विकल्प होना चाहिए। मगर अभी वह हासिल नहीं हो पाया है। अधिकारियों ने कहा कि इसमें धारणा संबंधी कुछ समस्याएं हैं। एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने अधिकांश नियामकीय मुद्दों को सुलझा लिया है। वित्तीय क्षेत्र में परियोजना पूरी होने की एक अवधि होती है। इसलिए कराधान, विनियमन आदि को स्थिर करना होगा। हम सही रास्ते पर अग्रसर हैं।’
केपीएमजी इंडिया के पार्टनर (बीएफएसआई-कर) सुनील बादल ने कहा, ‘दूर-दराज तक कनेक्टिविटी, मांग को पूरा करने के लिए अधिक ऑफिस स्पेस की उपलब्धता आदि बुनियादी ढांचे की शुरुआती समस्याओं को भी जल्द दूर जा रहा है।’ आईएफएससी जल्द ही विदेशी निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनेगा। साथ ही यह भारतीय कंपनियों और निवेशकों को वैश्विक मंच प्रदान करेगा।
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भले ही गिफ्ट सिटी के लिए नीतियां बनाई गई हैं, मगर हितधारकों को जाहिर तौर पर कुछ अधिक की दरकार है। उदाहरण के लिए, कई कारोबारी तरजीही देश या एमएफएन का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा एकीकृत विनियामक और सिंगल विंडो क्लियरेंस की भी मांग की जा रही है।
इस बीच, आईएफएससीए ने 1 अप्रैल, 2023 से अपने सभी बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि उनके कुल पोर्टफोलियो में 5 फीसदी सस्टेनेबल फाइनैंसिंग शामिल हो।
आईएफएससीए में स्थित विमान पट्टेदारों को राहत देने के लिए कंपनी मामलों के मंत्रालय ने उन्हें ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता के मॉरैटोरियम क्लॉज से छूट देने पर भी विचार कर रहा है। इसका मतलब साफ है कि कंपनी दिवालिया होने के बाद भी उसकी परिसंपत्ति पट्टे पर दी जा सकेगी।
अपनी पेशकश को आकर्षक बनाने के लिए गिफ्ट सिटी ने गुजरात सरकार से आईएफएससी परिसर में शराब बेचने की अनुमति देने का भी अनुरोध किया है।