भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण ( IFSCA ) जल्द ही IIFC Gift City को लंदन और सिंगापुर जैसे अन्य वित्तीय केंद्रों के मुकाबले में अधिक प्रतिस्पर्धी तथा भारत में निवेश के प्लेटफॉर्म के रूप में अपेक्षाकृत आकर्षक बनाने के उद्देश्य से दिशानिर्देश ला सकता है।
ये दिशानिर्देश एक महीने में लाए जाने की उम्मीद है, जो विदेशी बैंकों की IFSC बैंकिंग इकाइयों द्वारा अधिग्रहण के लिए रकम जुटाने की अनुमति देने और विदेशी डेरिवेटिव योजनाओं को वैध अनुबंधों के रूप में मान्यता देने के लिए होंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल के आम बजट में IFSC से संबंधित कुछ घोषणाएं की थीं।
उन्होंने दोहरे नियमों से बचने और गिफ्ट सिटी में शाखाएं स्थापित करने के इच्छुक बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के लिए विभन्न मंजूरी की आवश्यकता को समाप्त करने के लिए IFSCA अधिनियम में संशोधन की भी घोषणा की थी।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि गिफ्ट सिटी में कार्यालय स्थापित कर रहे विदेशी बैंकों के लिए बाहर की पूंजी तक पहुंच बनाने की योजना है।
भारतीय बाजार में अधिग्रहण के लिए रकम जुटाने की व्यवस्था काफी शुरुआती अवस्था में है और कई वित्तीय संस्थान इसमें शामिल होना चाहते हैं।
अधिकारी ने कहा कि घरेलू वित्तीय प्रणाली की तुलना में अधिग्रहण के लिए रकम जुटाने और विदेशी डेरिवेटिव योजनाओं को कारोबार करने की अनुमति देने के दिशानिर्देश उदार होंगे, क्योंकि IIFC Gift City एक ‘नियामकीय सैंडबॉक्स’ है।
अधिकारी ने कहा कि अगर विदेशी बैंक जोखिम लेने के लिए तैयार हों और पूंजी के मामले में इस क्षेत्र में निश्चित मात्रा में जोखिम रहता है, तो अधिग्रहण के लिए रकम व्यवस्था में अधिक उदार माहौल बनाने की अनुमति देने के लिए आरबीआई को मनाने की चुनौती थी। अधिकारी ने कहा कि विदेशी डेरिवेटिव योजना के मामले में यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां IIFC Gift City अन्य वित्तीय केंद्रों के हाथों बाजार गंवा रही है।
वित्त मंत्री ने गिफ्ट सिटी के लिए नियमों और मंजूरी को सुव्यवस्थित करने के तरीकों की घोषणा की है।
उन्होंने कहा कि IFSCA को SEZ अधिनियम के तहत शक्तियां प्रदान की जाएंगी और मध्यस्थता, सहायक सेवाओं और SEZ अधिनियम के तहत दोहरे विनियमन से बचने के लिए वैधानिक प्रावधानों के लिए आईएफएससीए अधिनियम में ही संशोधन किया जाएगा। यह एक कानूनी जरूरत है और ये बदलाव वित्त विधेयक 2023 के तहत किए जाएंगे।