वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को घोषणा की कि लिस्टेड और गैर-लिस्टेड भारतीय कंपनियां इंटरनैशनल फाइनैंस सर्विस सेंटर (IFSC) में डॉयरेक्ट एक्सचेंजों पर लिस्टिंग करा सकेंगी। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि कंपनियों को वैश्विक पूंजी (ग्लोबल कैपिटल) तक पहुंच और बेहतर मूल्यांकन (better valuation) की सुविधा मिल सके ।
मुंबई में कॉरपोरेट डेट मार्केट डेवलपमेंट फंड (CDMDF) और एएमसी रेपो क्लियरिंग लिमिटेड (ARCL) के लॉन्च पर संबोधित करते हुए, सीतारमण ने फाइनैंशियल मार्केट के डेवलपमेंट और घरेलू बचत को फाइनैंशियल एसेट में बदलने की सराहना की।
यह घोषणा विदेशी न्यायक्षेत्रों (foreign jurisdictions) में भारतीय कंपनियों की सीधी लिस्टिंग की अनुमति देने के सरकार के पहले के फैसले के बाद हुई है।
विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ कंपटीशन कर रहा भारत
वित्त मंत्री ने कहा, ‘हम निवेश आकर्षित करने के लिए न केवल अन्य उभरते बाजारों (emerging markets) के साथ, बल्कि एडवांस्ड अर्थव्यवस्थाओं के साथ भी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। हमें फाइनैंशियल मार्केट तक पहुंच आसान बनाकर और निवेशक शिकायत मैकेनिज्म (investor grievance mechanisms) को मजबूत करके फाइनैंशियल एसेट के लिए घरेलू बचत को बढ़ाने की जरूरत है।’
इससे पहले जुलाई में, नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने सिंगापुर एक्सचेंज (SGX) से गुजरात इंटरनैशनल फाइनैंस टेक-सिटी (GIFT City) में निफ्टी कॉन्ट्रैक्ट्स को NIFTY IFSC में सफलतापूर्वक स्थानांतरित कर दिया था।
25 जुलाई को, गिफ्ट निफ्टी डेरिवेटिव्स ने एक दिन के कारोबार में 12.39 अरब डॉलर का सर्वोच्च स्तर दर्ज किया।
सीतारमण ने कहा, ‘ऐसी समीक्षाओं को व्यापक होने और रेगुलेटरी लाइफ साइकल का स्थायी हिस्सा बनने की आवश्यकता है। व्यापार करने में आसानी और उत्तरदायी होने के हित में विभिन्न नियमों के तहत आवेदनों पर निर्णय लेने की समय सीमा निर्धारित की जानी चाहिए।’
बाजार के नियम जोखिम के अनुपात में होने चाहिए
सीतारमण ने कहा कि बाजार के नियम जोखिम के अनुपात में होने चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित और मौजूदा रेगुलेशन और गैर-नियामक विकल्पों (non-regulatory alternatives) के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का गंभीर रूप से आकलन करने के लिए एक नियामक प्रभाव मूल्यांकन (regulatory impact assessment ) होने चाहिए।
सीतारमण ने कहा, ‘यह साक्ष्य पर आधारित पॉलिसी मेकिंग का एक महत्वपूर्ण एलीमेंट है और मुझे लगता है कि इससे निर्णय लेने की प्रक्रिया में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ सकती है।’
मजबूत हो रही debt market
डेट बैकस्टॉप फैसिलिटी और ARCL की लॉन्चिंग पर, आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव, अजय सेठ ने कहा, हालांकि इन प्लेटफार्मों पर वॉल्यूम लाने में समय लग सकता है, लेकिन इन प्रयासों से ऋण बाजार (debt market) का मजबूत विकास होगा।
क्या है CDMDF और ARCL ?
CDMDF, ऋण बाजार के लिए 30,000 करोड़ रुपये की बैकस्टॉप सुविधा है, जिसे पूंजी बाजार नियामक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Sebi) ने मार्च में मंजूरी दे दी थी, जबकि ARCL को पहली बार दो साल पहले सैद्धांतिक मंजूरी दी गई थी।
CDMDF के लिए फंड ऋण योजनाओं से धन एकत्रित करके बनाया जाएगा। ऋण योजनाएं – पैसिव, ओवरनाइट और गिल्ट फंडों को छोड़कर – CDMDF के निर्माण के लिए प्रबंधन के तहत अपनी संपत्ति (AUMs) के 25 आधार अंक (bps) का योगदान देंगी।
इस पहल का उद्देश्य बाजार स्ट्रेस की अवधि के दौरान ऋण योजनाओं (debt schemes ) को लिक्विडिटी प्रदान करना है।
इस बीच, ARCL सभी रेगुलेटेड एटिटीज- जैसे AMCs, बीमा कंपनियों, बाजार निर्माताओं (market makers) और शॉर्ट टर्म ट्रेडर को लिस्टेड कॉर्पोरेट बॉन्ड और डिबेंचर (गैर-परिवर्तनीय ऋण प्रतिभूतियां), कमर्शियल पेपर्स और जमा – प्रमाणपत्र (certificates of deposit) में अपने जोखिमों का प्रबंधन करने में मदद करेगा।