पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपने मशहूर उपनाम ‘Captain Cool’ को ट्रेडमार्क कराने के लिए बीते महीने आवेदन दायर किया है। धोनी मैदान पर अपने शांत स्वभाव के लिए जाने जाते हैं और यह उपनाम उन्हें उनके प्रशंसकों से मिला है। अब वे उन मशहूर भारतीय हस्तियों की सूची में शामिल हो गए हैं, जो अपने नाम, पहचान और ब्रांड वैल्यू को कानूनी सुरक्षा दिलाने के लिए इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (IPR) का सहारा ले रहे हैं।
2023 में अमिताभ बच्चन को अपने नाम, आवाज़, तस्वीर और पहचान से जुड़ी चीजों के व्यावसायिक इस्तेमाल पर कानूनी सुरक्षा मिली थी। इसके बाद अनिल कपूर ने दिल्ली हाईकोर्ट से ‘झकास’ जैसे डायलॉग और अपनी छवि पर किसी भी तरह के बिना अनुमति इस्तेमाल पर रोक लगवाने का आदेश हासिल किया। 2024 में जैकी श्रॉफ को भी ‘भिडू’ शब्द और अपनी पहचान को लेकर इसी तरह की कानूनी मंजूरी मिली थी।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि धोनी का मामला इनसे थोड़ा अलग है क्योंकि ‘Captain Cool’ नाम उन्होंने खुद नहीं बनाया है, बल्कि यह उपनाम उनके फैंस ने दिया है। जबकि अमिताभ, अनिल और जैकी जैसे सितारों ने अपने असली नाम या खुद गढ़े शब्दों पर ट्रेडमार्क का दावा किया था।
KAnalysis के फाउंडिंग पार्टनर नीलांशु शेखर का कहना है कि पर्सनैलिटी राइट्स और ट्रेडमार्क राइट्स में फर्क होता है। उनके मुताबिक, ‘Captain Cool’ जैसे शब्द को सीधे धोनी की पहचान से जोड़ना मुश्किल है, जबकि ‘MSD’ उनके नाम से जुड़ा हुआ है और ज़्यादा पहचान योग्य है।
धोनी ने यह आवेदन ट्रेडमार्क क्लास 41 के तहत किया है, जो शिक्षा, खेल, मनोरंजन और सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़ा है। यह आवेदन 16 जून 2025 को ट्रेडमार्क जर्नल में प्रकाशित हुआ है और अब यह सार्वजनिक आपत्तियों के लिए खुला है।
अब तक दो आपत्तियां दर्ज हो चुकी हैं। पहली आपत्ति KAnalysis की ओर से आई है जिसमें कहा गया कि आवेदन में कई प्रक्रियात्मक खामियां हैं और ‘Captain Cool’ शब्द आम भाषा का हिस्सा है, जिसे ट्रेडमार्क नहीं माना जा सकता। दूसरी आपत्ति वकील अशुतोष चौधरी ने दी है। उन्होंने भी यही तर्क दिया कि यह शब्द सामान्य है और किसी एक व्यक्ति को इस पर अधिकार नहीं मिलना चाहिए।
BITS लॉ स्कूल के प्रोफेसर विश्वास एच. देवैया का मानना है कि इस तरह की उपाधियां जैसे ‘Captain Cool’ या ‘Rebel Star’ फैंस द्वारा दी जाती हैं और इन्हें निजी संपत्ति नहीं बनाया जाना चाहिए। उनका कहना है कि अगर धोनी को इस शब्द पर अधिकार मिल जाता है, तो यह फ्री स्पीच और सार्वजनिक संस्कृति पर असर डाल सकता है।
देवैया ने यह भी कहा कि धोनी को यह साबित करना होगा कि ‘Captain Cool’ शब्द उनकी ब्रांड पहचान का हिस्सा है और लोग इसे विशेष रूप से उनसे जोड़ते हैं, लेकिन अब तक इसका कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।
वहीं, अल्फा पार्टनर्स के अक्षत पांडे का कहना है कि अगर यह ट्रेडमार्क मिल गया, तो अन्य सेलिब्रिटी भी अपने उपनामों पर दावा करने लगेंगे जिससे नए तरह के कानूनी और सामाजिक विवाद खड़े हो सकते हैं।
भारत में अभी पब्लिसिटी राइट्स को लेकर कोई स्पष्ट कानून नहीं है। अमेरिका में ऐसे मामलों पर साफ़ नियम हैं। उदाहरण के तौर पर, 2012 में Beyoncé और Jay-Z ने अपनी बेटी के नाम ‘Blue Ivy Carter’ को ट्रेडमार्क कराने की कोशिश की थी, जो 2024 में जाकर मंजूर हुआ। लेकिन भारत में इस तरह की स्थिति स्पष्ट नहीं है।
विस लेजिस लॉ प्रैक्टिस के राहुल हिंगमिरे का कहना है कि भारत में उपनाम, आवाज़ या तस्वीर जैसे पहलुओं को कब और कैसे ट्रेडमार्क माना जाए, इस पर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं। ऐसे उपनाम एक अनिश्चित और असुरक्षित कानूनी दायरे में आते हैं।
‘Captain Cool’ जैसे शब्द केवल भाषा का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि उनके व्यावसायिक मायने भी हो सकते हैं। लेकिन अगर इन शब्दों पर ट्रेडमार्क अधिकार दिए जाने लगे, तो इससे फ्री स्पीच और पत्रकारिता से लेकर छोटे व्यवसायों की अभिव्यक्ति तक प्रभावित हो सकती है।
खैतान एंड कंपनी के वकील शैलेन्द्र भंडारे का कहना है कि कोई भी ट्रेडमार्क तभी स्वीकार होना चाहिए जब वह विशिष्ट और अलग पहचान वाला हो। आम शब्दों पर ट्रेडमार्क देने से कई बार कानून में भ्रम की स्थिति बन जाती है।
धोनी का यह प्रयास एक बड़ी बहस की शुरुआत कर सकता है—क्या फैंस द्वारा दिए गए नामों पर कोई सेलिब्रिटी ट्रेडमार्क का हक रखता है? यह मामला यह तय करेगा कि पर्सनल ब्रांडिंग, फैन कल्चर और सार्वजनिक उपयोग के बीच भारत में संतुलन कैसे स्थापित किया जाए।