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AI से बदलेगा बिजनेस गेम! IT ही नहीं, FMCG से स्टील कंपनियां तक, सब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में लगा रहे बड़ा पैसा

डेलॉयट के एक ‘स्टेट ऑफ एआई’ सर्वे के अनुसार, लगभग 70 फीसदी कंपनियों का मानना है कि जेनरेटिव एआई (जेनएआई) एक से तीन साल में उनकी कंपनियों में बड़ा बदलाव ला सकता है।

Last Updated- March 31, 2025 | 10:27 PM IST
Artificial Intelligence
प्रतीकात्मक तस्वीर

डेलॉयट इंडिया के लिए यह वर्ष बेहद अहम है क्योंकि दुनिया की चार सबसे बड़ी पेशेवर सेवा कंपनियों (बिग फोर) में से एक मानी जाने वाली यह कंपनी अगले वित्त वर्ष 2026 तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में अपना निवेश लगभग 30 फीसदी बढ़ा रही है। अन्य बिग फोर क्लब कंपनियों में केपीएमजी, इवाई और पीडब्ल्यूसी शामिल हैं जो अपने एआई मंच को मजबूत कर रही हैं और एआई से जुड़ी जरूरतों के लिए विशेष टीमें बना रही हैं। यह उनके क्लाइंट और उनके खुद के लिए भी अहम है क्योंकि एआई के जरिये कारोबार में बदलाव की संभावनाएं बढ़ रही हैं।

डेलॉयट के एक ‘स्टेट ऑफ एआई’ सर्वे के अनुसार, लगभग 70 फीसदी कंपनियों का मानना है कि जेनरेटिव एआई (जेनएआई) एक से तीन साल में उनकी कंपनियों में बड़ा बदलाव ला सकता है।

डेलॉयट साउथ एशिया के मुख्य परिचालन अधिकारी, नितिन किनी का कहना है कि उनकी कंपनी अपनी तकनीकी बजट का एक-तिहाई से ज्यादा एआई पर खर्च करेगी, जिसमें कर्मचारियों को एआई का प्रशिक्षण देना, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर खरीदना, शोध एवं विकास (आरऐंडडी) और एआई से जुड़े तंत्र बनाने के लिए रणनीतिक साझेदारी करना शामिल है।

किनी का कहना है, ‘हमारे एआई निवेश का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा भारत के लिए है और इसके मजबूत तकनीकी तंत्र का फायदा उठाकर वैश्विक स्तर पर लागू करने लायक समाधान तैयार करने की कोशिश की जानी है।’ हालांकि उद्योग के आंकड़े एक अलग कहानी कहते हैं। उद्योग के सूत्रों के मुताबिक सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग 5 फीसदी से कम दर से बढ़ रहा है जबकि एआई क्षेत्र में 30 फीसदी से अधिक की वृद्धि देखी जा रही है।

नैसकॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के तकनीकी क्षेत्र के 63 फीसदी दिग्गज अपने कुल तकनीकी बजट का 10 फीसदी से अधिक एआई पर खर्च करने की योजना बना रहे हैं। बीसीजी के प्रबंध निदेशक और पार्टनर संभव जैन के अनुसार, भारतीय तकनीकी निवेशकों ने वर्ष 2022 और 2023 के बीच एआई में लगभग 73 करोड़ डॉलर का निवेश किया है, जिसमें डेटा एनालिटिक्स, डिजिटल सामग्री और जेनरेटिव एआई प्रमुख क्षेत्र हैं और इनमें जियो-ग्लैंस, परफियॉस-कारजा, इन्फोसिस-बेस लाइफ साइंसेज भी शामिल हैं।

आईटी से इतर भी निवेश

सिर्फ आईटी ही नहीं, अन्य क्षेत्र भी एआई पर जोर दे रहे हैं ताकि अपनी कारोबार की रणनीतियां और निवेश में व्यापक बदलाव कर सकें। एफएमसीजी से लेकर होटल कारोबार से जुड़ा आईटीसी समूह अपने विभिन्न कारोबार में एआई का उपयोग कर रहा है। उनका सुपर ऐप आईटीसी-मार्स किसानों को बेहतर निर्णय लेने में मदद कर रहा है। आईटीसी अपने सिक्स्थ सेंस मार्केटिंग कमांड सेंटर और कंज्यूमर डेटा हब के जरिये ग्राहकों के साथ रियल टाइम पर जुड़ने और उन्हें व्यक्तिगत तौर पर ब्रांड संदेश देने और विभिन्न योजनाओं के लिए एआई का उपयोग कर रही है। बेंगलूरु में मौजूद इस समूह का लाइफ साइंसेज ऐंड टेक्नोलॉजी सेंटर भी उनके उत्पादों के लिए अत्याधुनिक शोध समाधान दे रहा है।

कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा कि आईटीसी एआई सहित डिजिटल तकनीक में निवेश करना जारी रखेगी ताकि परिचालन की क्षमता बेहतर हो सके। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारा अत्याधुनिक स्मार्ट डिजिटल आर्किटेक्चर मिशन डिजिआर्क नए प्रतिस्पर्द्धी स्रोत बनाने और बेहतर क्षमता के लिए डिजिटल-फर्स्ट की संस्कृति पर जोर देना चाहता है।’ टाटा स्टील ने पिछले पांच से छह वर्षों में यील्ड बढ़ाने, ऊर्जा, गुणवत्ता, उत्पादकता और हितधारकों के अनुभव बेहतर बनाने के लिए 550 से अधिक एआई मॉडल बनाए हैं। कंपनी ने कहा कि इसने जेनेरेटिव एआई मंचों में भारी निवेश किया है क्योंकि यह उन्हें अधिक कुशल और प्रतिस्पर्धी बनाते हुए परंपरागत (गणितीय) क्षमता को एआई के साथ-साथ जेनेरेटिव एआई की रचनात्मक क्षमता के साथ जोड़कर कई समाधान निकाल सकता है।

भर्ती पर असर

पीडब्ल्यूसी के 28वें वार्षिक सीईओ सर्वे में पाया गया कि नौकरियों पर एआई का प्रभाव, सामूहिक छंटनी के सामान्य डर से कहीं अधिक जटिल है। पिछले साल एआई से जुड़ी बेहतर कार्यकुशलता के कारण 10 प्रतिशत भारतीय सीईओ ने कर्मचारियों की संख्या में कमी की जबकि लगभग 20 प्रतिशत सीईओ ने अपनी कंपनियों के कार्यबल का विस्तार किया और कई एआई और प्रौद्योगिकी पर आधारित नई भूमिकाएं जोड़ीं। पीडब्ल्यूसी इंडिया टीएमटी के पार्टनर और लीडर, मनप्रीत सिंह आहूजा ने कहा, ‘ऑटोमेशन के बावजूद कारोबार, मानव पूंजी को दरकिनार नहीं कर रहे हैं। इसके बजाय, वे कर्मचारियों को बेहतर वैल्यू वाली भूमिकाओं में स्थानांतरित करने में मदद करने के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश कर रहे हैं।’

उद्योग के विशेषज्ञ इस बात के संकेत दे रहे हैं कि डेटा साइंस, मशीन लर्निंग और एआई सिस्टम डेवलपमेंट में कुशल पेशेवरों की मांग बढ़ रही है, जिससे इन विशेष क्षेत्रों में रोजगार सृजन हो रहा है।

डेलॉयट इंडिया में पार्टनर (इंजीनियरिंग एवं एआई) सौरभ कुमार का कहना है, ‘हमारे काम की जगह एआई नहीं ले सकता है, लेकिन आपकी जगह कोई एआई जानने वाला व्यक्ति ले सकता है। हम जो भी काम कर रहे हैं उनमें से अधिकांश परियोजना वेतन बिल कम करने के लिए नहीं हैं बल्कि यह दक्षता बढ़ाने से जुड़ा मामला है।’ हालांकि, कंसंल्टिंग फर्मों का मानना है कि बड़े पैमाने पर नौकरी का नुकसान होने की संभावना नहीं है। बड़ा रुझान रोजगार के मौके तैयार होने और कार्यबल में बदलाव की ओर है। इवाई इंडिया के पार्टनर (टेक्नोलॉजी कंसल्टिंग), हरि बालाजी ने कहा, ‘हम उच्च गुणवत्ता वाले एआई प्रतिभाओं की तलाश में हैं और बाजार से विशेष रूप से वरिष्ठ स्तर पर नई भर्ती की उम्मीद कर रहे हैं ताकि ग्राहकों को बेहतर परिणाम दिए जा सकें।’

एआई को अपनाने के साथ ही इस तकनीक के नैतिकता के साथ इस्तेमाल करने, इसकी गोपनीयता और जिम्मेदारी पर भी चर्चा शुरू हो गई है। मिसाल के तौर पर केपीएमजी एक जिम्मेदार एआई टीम का निर्माण कर रहा है जिसमें डेटा वैज्ञानिक, एआई इंजीनियर, नैतिकता और नीति विशेषज्ञ और सुरक्षा सलाहकार शामिल हैं। केपीएमजी इंडिया के पार्टनर, अखिलेश टुटेजा ने कहा, ‘कई संगठन अब भी एआई के शुरुआती चरणों में हैं और वे उद्यम नीतियों, मॉडल सत्यापन और अनुपालन ढांचे पर ध्यान दे रहे हैं। हालांकि, अत्याधुनिक  एआई मॉडल, एआई संचालित उद्यम के सॉफ्टवेयर फीचर और बदलते वैश्विक नियमन के साथ एआई चर्चाएं तेजी से हो रही हैं।’

वैश्विक एआई बाजार के 2023 में 110-130 अरब डॉलर से बढ़कर 2027 तक 320-380 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है और इसमें एआई सेवाओं पर खर्च लगभग 22-24 प्रतिशत होगा। इसमें भारत का हिस्सा बेहद छोटा है। भारत का एआई बाजार, वर्ष 2024 के लगभग 6.3 अरब डॉलर से बढ़कर 2027 तक 17 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

First Published - March 31, 2025 | 10:27 PM IST

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