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दिल्ली हाईकोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज की, कहा- आप नेता ने नष्ट किया अहम सबूत

Delhi Liquor scam: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आबकारी नीति घोटाले में मनीष सिसोदिया इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य सहित कई अहम सबूतों को नष्ट करने में शामिल थे।

Last Updated- May 21, 2024 | 8:08 PM IST
Delhi excise policy case: Court extends AAP leader Manish Sisodia's ED custody by five days

Excise Policy Scam: कथित शराब घोटाला मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को राहत मिलती नहीं दिख रही है। आज यानी 21 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य (electronic evidence) सहित कई अहम सबूतों को नष्ट करने में शामिल थे। बता दें कि हाईकोर्ट ने 14 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था और आज फैसला सुनाया।

हाईकोर्ट ने कहा कि जुटाई गई सामग्री से पता चलता है कि मनीष सिसोदिया ने अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप सार्वजनिक प्रतिक्रिया गढ़कर आबकारी नीति की प्रक्रिया में गड़बडी की। सिसोदिया ने आम जनता के विचारों को शामिल करने की जगह ‘एक योजना बनाई’ ताकि कुछ व्यक्तियों को फायदा हो और रिश्वत मिल सके।

मनीष सिसोदिया शक्तिशाली व्यक्ति

मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोप में कैद मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि सिसोदिया दिल्ली सरकार के सत्ता गलियारों में बहुत शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति हैं। उनका आचरण ‘लोकतांत्रिक सिद्धांतों के साथ बड़ा विश्वासघात’ है। कोर्ट ने आगे कहा कि अगर सिसोदिया को जमानत दे दी गई तो वे सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं, गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

अदालत ने कहा कि कई गवाह सरकारी अधिकारी हैं और उन्होंने सिसोदिया के खिलाफ बयान दिए हैं और ऐसे में उनके द्वारा उन्हें प्रभावित करने की कोशिश की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा ने यह देखते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी कि अभियोजन पक्ष यानी ED और CBI ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 3 के तहत प्रथम दृष्टया धन शोधन (money laundering) का मामला बनाया है।

ED और CBI ने दर्ज कराया था मामला

मनीष सिसोदिया के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियां CBI और ED ने मामला दर्ज कराया था।  मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस शर्मा की बेंच ने कहा कि सिसोदिया ने यह दिखाने के लिए भ्रामक तरीकों का इस्तेमाल किया कि दिल्ली की आबकारी नीति को जनता का समर्थन प्राप्त है। लेकिन वास्तव में, यह नीति कुछ व्यक्तियों को समृद्ध करने के लिए बनाई गई थी। कोर्ट ने कहा, ‘यह एक प्रकार का भ्रष्टाचार है।’

जस्टिस शर्मा ने कहा कि आप नेता ने आबकारी नीति बनाने में हेरफेर करने की कोशिश की और विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट से भटकाकर फर्जी जनमत तैयार करने का प्लान बनाया। इसमें पाया गया कि सिसोदिया ने CBI मामले में जमानत के लिए ट्रिपल टेस्ट पास नहीं किया क्योंकि यह स्वीकार किया गया है कि वह अपने द्वारा इस्तेमाल किए गए दो फोन पेश नहीं कर सके और दावा किया है कि वे नष्ट हो गए थे।

अपनी पत्नी से मिल सकेंगे सिसोदिया

भले ही आज कोर्ट ने अपने आदेश में ये बातें कहीं हो लेकिन सिसोदिया को अपनी पत्नी से मिलने की अनुमति जारी रहेगी। ट्रॉयल कोर्ट के आदेश के मुताबिक, वे हर हफ्ते अपनी पत्नी से मिल सकेंगे।

अब जमानत के लिए कहां जाएंगे सिसोदिया

मनीष सिसोदिया अब अपनी फ्रेश जमानत याचिका ट्रॉयल कोर्ट यानी निचली अदालत में दाखिल कर सकेंगे। हाईकोर्ट ने आज इसके लिए परमिशन दी है। हालांकि CBI और ED ने उनकी जमानत का विरोध किया लेकिन सिसोदिया की तरफ से बताया गया कि मामले में देरी हो रही है और देरी के आधार पर जमानत दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, उन्हें ट्रॉयल कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल करने की अनुमति मिलनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि अगर वे ट्रॉयल कोर्ट में जमानत अर्जी डालेंगे तो जमानत याचिका खारिज होने वाली याचिका की टिप्पणियां अदालत के नए फैसले पर असर नहीं डालेंगी और वह स्वतंत्र रूप से फैसला ले सकेगी।

First Published - May 21, 2024 | 7:09 PM IST

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