दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि दिल्ली सरकार पंचाट के फैसले के मुताबिक दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) को भुगतान करने को तैयार नहीं है। डीएमआरसी ने पंचाट के फैसले के मुताबिक भुगतान करने हेतु धन जुटाने के लिए राइट्स इश्यू पेश किया था और दिल्ली सरकार ने अपने हिस्से का 3,565.64 करोड़ रुपये देने से मना कर दिया है।
डीएमआरसी ने अपने मौजूदा शेयरधारकों केंद्र व दिल्ली सरकार से 7,131 करोड़ रुपये जुटाने के लिए 15 दिसंबर को राइट्स इश्यू जारी किया था। इसका मकसद रिलायंस इन्फ्रा (आर-इन्फ्रा) के साथ चल रही खींचतान खत्म करना था। डीएएमईपीएल आर इन्फ्रा की एक इकाई है। वहीं डीएमआरसी में केंद्र व दिल्ली सरकार की 50-50 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
आरइन्फ्रा की सहायक इकाई को पंचाट के फैसले के मुताबिक धन का भुगतान न करने पर उच्चतम न्यायालय द्वारा फटकार लगाए जाने के बाद कंपनी के बोर्ड ने 13 दिसंबर को एक बैठक कर राइट्स इश्यू लाने का फैसला किया था। यह इश्यू 11 जनवरी को बंद होगा और डीएमआरसी ने दोनो शेयरधारकों को बराबर बराबर इक्विटी शेयर कैपिटल में सब्सक्राइब करने को कहा था। दोनों के हिस्से में 3,564.64 करोड़ रुपये आता है। इसने यह भी कहा था कि अगर पंचाट के फैसले के मुताबिक उसे भुगतान करने को बाध्य किया गया तो दिल्ली मेट्रो के परिचालन का काम पूरी तरह ठप हो जाएगा।
यह भी पढ़ें: सेवा पीएमआई 6 माह के शीर्ष पर
दिल्ली सरकार ने डीएमआरसी को इस संकट से उबारने से इनकार कर दिया और कहा कि उसके पास फर्म की ओर से मांगी जा रही राशि के लिए बजट में प्रावधान नहीं है। दिल्ली सरकार ने यह भी कहा है कि अगर ठेके संबंधी चूक के कारण विवाद होता है तो उसके भुगतान के लिए शेयरहोल्डर जिम्मेदार नहीं हैं। वहीं केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने डीएमआरसी से कहा है कि वह इस मामले की जांच कर रहा है। निदेशक मंडल की अगली बैठक 16 जनवरी को होगी।