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Chhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तार

भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी ने किया गिरफ्तार, जांच में सहयोग न करने पर हुई कार्रवाई। पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया इसे राजनीतिक साजिश।

Last Updated- July 18, 2025 | 2:24 PM IST
Bhupesh Baghel

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया। यह मामला राज्य में हुए कथित शराब घोटाले से जुड़ा है, जिसमें हजारों करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है। ईडी ने भिलाई स्थित चैतन्य बघेल के घर पर तलाशी लेने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया। अधिकारियों के मुताबिक, चैतन्य ने जांच में सहयोग नहीं किया, जिस कारण उन्हें प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 19 के तहत हिरासत में लिया गया।

ईडी की यह कार्रवाई सुबह हुई, जब एजेंसी की टीमों ने एक बार फिर से बघेल के निवास पर छापा मारा। छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था और कई कांग्रेस समर्थक भी वहां मौजूद थे। चैतन्य और भूपेश बघेल दोनों एक ही पते पर रहते हैं, इसलिए छापेमारी और गिरफ्तारी की कार्रवाई घर पर ही हुई। इससे पहले इसी साल मार्च में भी ईडी ने चैतन्य के घर पर रेड की थी।

गिरफ्तारी के बाद भूपेश बघेल ने एक्स (पहले ट्विटर) पर प्रतिक्रिया दी और इसे सियासी साजिश बताया। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई राज्य विधानसभा के मानसून सत्र को भटकाने के लिए की गई है। उनके मुताबिक, विधानसभा सत्र के आखिरी दिन तमनार में अदाणी की कोल परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई का मुद्दा उठाया जाना था, और उसी दिन ईडी की रेड भेज दी गई। उन्होंने दावा किया कि ये सब “साहब” के इशारे पर हो रहा है।

यह पूरा मामला छत्तीसगढ़ में 2019 से 2022 के बीच शराब की बिक्री से जुड़े कथित घोटाले से जुड़ा है। ईडी का कहना है कि इस दौरान सरकारी सिस्टम का दुरुपयोग कर एक शराब माफिया को फायदा पहुंचाया गया, जिससे राज्य को ₹2,100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ। ईडी के अनुसार, इस घोटाले से जो पैसा आया, उसका एक हिस्सा चैतन्य बघेल को भी मिला।

इस केस में पहले ही कई बड़े नाम गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जिनमें पूर्व मंत्री कवासी लखमा, रायपुर के मेयर अजीज ढेबर के भाई अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल तुतेजा और टेलीकॉम सर्विस के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी शामिल हैं। पहले ईडी ने यह केस आयकर विभाग की शिकायत के आधार पर शुरू किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसकी पहली रिपोर्ट खारिज कर दी थी। इसके बाद ईडी ने राज्य की आर्थिक अपराध शाखा से नए सबूतों के आधार पर एक नई FIR दर्ज करवाई, जो जनवरी 2024 में दर्ज हुई।

नई एफआईआर में कुल 70 लोगों और संस्थानों के नाम हैं, जिनमें कई बड़े राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं। अब तक ईडी ने करीब ₹205 करोड़ की संपत्तियां जब्त की हैं और जांच अभी भी जारी है। एजेंसी का दावा है कि यह घोटाला राज्य की शीर्ष राजनीतिक स्तर से निर्देशित किया गया था।

First Published - July 18, 2025 | 2:24 PM IST

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